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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
लव अपनी उंगली को जितना आगे पीछे करता, मुझे उतना ही ज्यादा मजा आता.

ये खेल करीब 15 मिनट तक चला और उतनी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था.
जब उसने देखा मैं खूब गर्म हो चुकी हूँ, तब उसने कंडोम लगाकर अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया.

जैसे ही वो लंड डालने की कोशिश करता, उसका लंड इधर उधर फिसल जाता.

मुझे थोड़ा बहुत वो अन्दर जाते महसूस होता भी, तो दर्द इतना होता कि मुझे लगता मर ही जाऊंगी.
मैं उछल जाती और उसका लंड अन्दर नहीं जा पाता.

वो शायद ये सोचकर मुझे छोड़ देता कि मुझे दर्द ना हो.

वो पहला दिन था, जब मैं चुदते चुदते बच गयी.

इसी तरह मैं बार बार उसके पास जाती थी पर बिना चुदे वापस आ जाती थी.

मेरा तो पहली बार था ही, उसका भी पहली बार ही था और जगह भी सही नहीं मिल रही थी.
इस वजह से कंडोम लगाकर या तेल लगाकर भी हम लोग किसी तरह से सफल ना हो पाए.

अंततः वो दिन आ ही गया, जब मेरा चुत का भेदन हो गया.

उसने मुझे मिलने को बुलाया. इस बार मैं भी घर से ये सोचकर निकली थी कि कितना भी दर्द हो, पर मैं उसका पूरा साथ दूंगी.
कुछ ही मिनटों में मैं उसके आगोश में थी.
उसकी गोद में बैठकर कुछ देर इधर उधर की बातें करते करते कब हम लोग नंगे हो गए, पता ही ना चला.

इस बार मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ा भी और मुँह में भी लिया.
कुछ मिनट तक लॉलीपॉप के जैसे लंड चूसने के बाद मेरा मुँह वीर्य से भर चुका था.
पर मैंने उसे पिया नहीं, बाहर ही थूक दिया.

अब वो धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगलियां घुसाने लगा था.
मुझे दर्द सा महसूस होता तो मैं आह्ह ह्ह करके रह जाती, पर मुझे भी चुदाई का मजा लेने की बहुत जल्दी थी.

मैं लव से कह रही थी- जानू, अब और मत तड़पाओ, डाल दो अपना बड़ा और सख्त लंड मेरी चूत में.
उससे भी रहा नहीं जा रहा था. वो भी मुझे चोदने का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का लगाते हुए मेरी चूत में अपना लंड घुसाना चाहा.
पर उसका लंड फिसल कर बाहर आ गया.

मुझे बहुत दर्द होने लगा था.
फिर उसने मुझे खड़ा किया और मेरा एक पैर अपने कंधे पर रखते हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सैट किया. फिर एक ही धक्के में उसने टोपा मेरी चूत में घुसा दिया.

मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
मैं दर्द से छटपटा रही थी. दर्द की वजह से मैं खड़ी नहीं रह पाई तो लव ने मेरी चूत से लंड निकाले बिना ही मुझे जमीन पर लिटा लिया.

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा, पर मैं उसे हटा नहीं पायी.

मेरी चीख निकलने से पहले उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
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RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 07-06-2022, 06:10 PM



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