07-06-2022, 06:10 PM
मम्मी के फोन से लव से मेरी धीरे धीरे बात होने लगी.
आपको मैंने बताया कि मेरा लव एक जादूगर था. उसे ये बात बहुत अच्छे से पता थी कि क्या बात कब और कैसे शुरू करनी है.
ऐसे ही सामान्य बातें कब रोमांटिक होने लग गईं, कब फोन सेक्स होने लगा, पता ही नहीं चला.
मेरे मन में अपने लव से मिलने की बात तो आती थी, पर मैं उससे कह नहीं पाती थी.
जब वो मिलने की कहता तो मैं टालमटोल कर देती थी.
लेकिन कब तक करती.
फिर एक दिन आया, जब हम लोगों का मिलने का प्लान बना.
छोटे कस्बों में मिलने के लिए होटल तो होते नहीं हैं, शहर पास में था भी, तो भी हम लोग कभी हिम्मत नहीं जुटा पाए.
उसका घर कभी खाली नहीं रहता था.
इधर मेरे घर में भी मुझसे दो साल छोटी बहन और मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती थीं तो वहां भी इंतजाम होना मुमकिन नहीं था.
अंततः मिलने को जो जगह मिली, वो था एक खेत.
चूंकि अब तक मैं लंड को चुच्चू समझने वाली थी और लंड का काम मूतना भर होता है, ये समझने वाली लड़की थी. लंड चुत में कैसे घुसेगा और चुदाई की बात तो क्या ही जानती होऊंगी.
मगर वाह री प्रकृति … क्या बात बनाई है कि कुछ भी न जानते हुए भी एक लड़की को लड़के में क्या पसंद आ जाता है, ये मुझे समझ ही नहीं थी.
मैं अपने लव से मिलने तो जा रही थी और मन में क्या था, कुछ नहीं मालूम था.
आज मैं पहली बार उसे इतने पास से देखूंगी, उसका हाथ पकड़कर बातें करूंगी.
मुझे क्या पता था कि उधर से आऊंगी तो अनुभव ही अलग सा होगा.
मैं घर से कुछ बहाना बनाकर निश्चित स्थान पर पहुंच गयी.
वहां जाकर देखा वो पहले से वहीं था.
उसने मुझे पकड़कर अपने सीने से लगा लिया.
मैं तो मानो उसमें ही समा गयी थी.
मेरी धड़कनें इतनी तेज हो गयी थीं मानो दिल छाती फाड़कर बाहर आने वाला हो गया था.
धीरे से उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लाकर रख दिया.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.
मैं बिल्कुल निढाल हो चुकी थी.
उसका दायां हाथ मेरे एक दूध पर था और बायां हाथ मेरी गांड पर था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
जैसे ही उसके ठंडे होंठों ने मेरे गर्म होंठों को चूमा, मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं और मेरा शरीर ढीला हो चुका था. मेरा पूरा वजन उसके ही ऊपर हो गया था.
ऐसे ही लगभग आधा घंटे चिपके रहने के बाद वो मुझसे अलग हुआ.
उसने पूछा- कैसा लगा?
मैं क्या जवाब देती, जब कुछ पता ही नहीं कि हुआ क्या है तो क्या जवाब देती.
मैं चुप रही लेकिन वो मेरी हालत समझ रहा था.
ऐसे ही बात करते करते अचानक से लव बोला- सेक्स करोगी?
मैंने पूछा- ये क्या होता है?
वो बोला- ये जो भी होता है, बहुत मजेदार होता है … तुम्हें मजा आ जाएगा.
उसके मुँह से मजे की बात सुनकर मैंने हां बोल दिया.
उसने मुझसे मेरे कपड़े निकालने को कहा, पर मैं डर गई.
मैंने कहा- यहां?
वो बोला कि यहां मेरे अलावा कोई नहीं है. क्या तुम मेरे सामने अपने कपड़े नहीं निकाल सकती!
मैंने अपनी जींस पैंट को निकालते हुए पैंटी भी निकाल दी.
मेरी रोंएदार चूत जिसको मैंने आज तक क्लीनशेव नहीं किया था, पूरी तरह गीली थी. मैंने शर्म से अपने दोनों हाथों से अपनी चुत ढक ली.
इस पर उसने अपना पैंट खोलकर अपना लंड निकाल कर मेरे सामने ला दिया और बोला- क्या तुम बालों की वजह से शर्मा रही हो … तो देखो मैंने भी बाल साफ नहीं किए हैं.
मैं उसका लंड देखकर इतना ज्यादा आश्चर्य में थी कि अचानक से बोल पड़ी- ये क्या है?
मैं मन ही मन सोच रही थी कि बच्चों का छोटा सा होता है. इसका इतना बड़ा कैसे है!
उसने जवाब दिया- लंड, लंड कहते हैं इसे … अभी देखकर घबरा रही हो, जब ये तुम्हारी चूत के अन्दर जाएगा, तो बहुत मजा देगा. अभी जितना घबरा रही हो न … बाद में उतना ही मजा आने वाला है, दीवानी हो जाओगी इसकी.
जब उसने कहा कि चुत के अन्दर जाकर मजा देगा, तो मेरे दिमाग में आया कि ये इतना बड़ा मोटा अन्दर कैसे जाएगा, पर मुझे उस पर भरोसा था.
उसने मुझे अपने लंड को हाथ में लेने को कहा.
मैंने मना कर दिया.
मना करती भी क्यों ना … मुझे उससे डर सा लग रहा था.
फिर वो अपनी उंगलियों से मेरी बुर के दाने को छूने लगा.
मुझे नशा सा होने लगा था.
उसने देखते ही देखते मेरी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी.
मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह …’ निकल गई.
उस नशे में मैं जमीन पर पड़ी तड़प सी रही थी.
आपको मैंने बताया कि मेरा लव एक जादूगर था. उसे ये बात बहुत अच्छे से पता थी कि क्या बात कब और कैसे शुरू करनी है.
ऐसे ही सामान्य बातें कब रोमांटिक होने लग गईं, कब फोन सेक्स होने लगा, पता ही नहीं चला.
मेरे मन में अपने लव से मिलने की बात तो आती थी, पर मैं उससे कह नहीं पाती थी.
जब वो मिलने की कहता तो मैं टालमटोल कर देती थी.
लेकिन कब तक करती.
फिर एक दिन आया, जब हम लोगों का मिलने का प्लान बना.
छोटे कस्बों में मिलने के लिए होटल तो होते नहीं हैं, शहर पास में था भी, तो भी हम लोग कभी हिम्मत नहीं जुटा पाए.
उसका घर कभी खाली नहीं रहता था.
इधर मेरे घर में भी मुझसे दो साल छोटी बहन और मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती थीं तो वहां भी इंतजाम होना मुमकिन नहीं था.
अंततः मिलने को जो जगह मिली, वो था एक खेत.
चूंकि अब तक मैं लंड को चुच्चू समझने वाली थी और लंड का काम मूतना भर होता है, ये समझने वाली लड़की थी. लंड चुत में कैसे घुसेगा और चुदाई की बात तो क्या ही जानती होऊंगी.
मगर वाह री प्रकृति … क्या बात बनाई है कि कुछ भी न जानते हुए भी एक लड़की को लड़के में क्या पसंद आ जाता है, ये मुझे समझ ही नहीं थी.
मैं अपने लव से मिलने तो जा रही थी और मन में क्या था, कुछ नहीं मालूम था.
आज मैं पहली बार उसे इतने पास से देखूंगी, उसका हाथ पकड़कर बातें करूंगी.
मुझे क्या पता था कि उधर से आऊंगी तो अनुभव ही अलग सा होगा.
मैं घर से कुछ बहाना बनाकर निश्चित स्थान पर पहुंच गयी.
वहां जाकर देखा वो पहले से वहीं था.
उसने मुझे पकड़कर अपने सीने से लगा लिया.
मैं तो मानो उसमें ही समा गयी थी.
मेरी धड़कनें इतनी तेज हो गयी थीं मानो दिल छाती फाड़कर बाहर आने वाला हो गया था.
धीरे से उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लाकर रख दिया.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.
मैं बिल्कुल निढाल हो चुकी थी.
उसका दायां हाथ मेरे एक दूध पर था और बायां हाथ मेरी गांड पर था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
जैसे ही उसके ठंडे होंठों ने मेरे गर्म होंठों को चूमा, मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं और मेरा शरीर ढीला हो चुका था. मेरा पूरा वजन उसके ही ऊपर हो गया था.
ऐसे ही लगभग आधा घंटे चिपके रहने के बाद वो मुझसे अलग हुआ.
उसने पूछा- कैसा लगा?
मैं क्या जवाब देती, जब कुछ पता ही नहीं कि हुआ क्या है तो क्या जवाब देती.
मैं चुप रही लेकिन वो मेरी हालत समझ रहा था.
ऐसे ही बात करते करते अचानक से लव बोला- सेक्स करोगी?
मैंने पूछा- ये क्या होता है?
वो बोला- ये जो भी होता है, बहुत मजेदार होता है … तुम्हें मजा आ जाएगा.
उसके मुँह से मजे की बात सुनकर मैंने हां बोल दिया.
उसने मुझसे मेरे कपड़े निकालने को कहा, पर मैं डर गई.
मैंने कहा- यहां?
वो बोला कि यहां मेरे अलावा कोई नहीं है. क्या तुम मेरे सामने अपने कपड़े नहीं निकाल सकती!
मैंने अपनी जींस पैंट को निकालते हुए पैंटी भी निकाल दी.
मेरी रोंएदार चूत जिसको मैंने आज तक क्लीनशेव नहीं किया था, पूरी तरह गीली थी. मैंने शर्म से अपने दोनों हाथों से अपनी चुत ढक ली.
इस पर उसने अपना पैंट खोलकर अपना लंड निकाल कर मेरे सामने ला दिया और बोला- क्या तुम बालों की वजह से शर्मा रही हो … तो देखो मैंने भी बाल साफ नहीं किए हैं.
मैं उसका लंड देखकर इतना ज्यादा आश्चर्य में थी कि अचानक से बोल पड़ी- ये क्या है?
मैं मन ही मन सोच रही थी कि बच्चों का छोटा सा होता है. इसका इतना बड़ा कैसे है!
उसने जवाब दिया- लंड, लंड कहते हैं इसे … अभी देखकर घबरा रही हो, जब ये तुम्हारी चूत के अन्दर जाएगा, तो बहुत मजा देगा. अभी जितना घबरा रही हो न … बाद में उतना ही मजा आने वाला है, दीवानी हो जाओगी इसकी.
जब उसने कहा कि चुत के अन्दर जाकर मजा देगा, तो मेरे दिमाग में आया कि ये इतना बड़ा मोटा अन्दर कैसे जाएगा, पर मुझे उस पर भरोसा था.
उसने मुझे अपने लंड को हाथ में लेने को कहा.
मैंने मना कर दिया.
मना करती भी क्यों ना … मुझे उससे डर सा लग रहा था.
फिर वो अपनी उंगलियों से मेरी बुर के दाने को छूने लगा.
मुझे नशा सा होने लगा था.
उसने देखते ही देखते मेरी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी.
मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह …’ निकल गई.
उस नशे में मैं जमीन पर पड़ी तड़प सी रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.