07-06-2022, 06:06 PM
ने सेक्स में ऐसा मजा कभी नहीं लिया था।
शायद निशा चुदाई की बहुत ज्यादा शौकीन थी और वह मजा उसका पति उसे नहीं दे पा रहा था।
वो लंडखोर रंडी की तरह लंड को बस खाए जा रही थी।
मेरा लंड पूरा ऐंठ चुका था। उसकी नसें फूलकर फटने को हो गई थीं।
निशा की चूत के रस से वो पूरा चिकना होकर चमक रहा था और चूत में अंदर बाहर होते हुए पच-पच की आवाज से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।
चोदते हुए दस मिनट के लगभग बीत चुके थे।
फिर एकदम से निशा की जोर से आह्ह निकली और उसकी चूत ने गर्म गर्म रस छोड़ दिया जो मुझे मेरे लंड पर लगता हुआ महसूस हुआ।
अब मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी; पूरी ताकत के साथ मैं उसकी चूत को पेलने लगा।
मैंने उसके बालों को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचते हुए उस कुतिया को पेलने लगा।
अब उससे लंड के धक्के बर्दाश्त नहीं हो रहे थे क्योंकि उसका पानी निकल चुका था और उसकी चूत में अब जलन और दर्द हो रहा था।
फिर मेरा भी अब स्खलन नजदीक था। मैंने उसे बताया कि होने वाला है, अंदर निकालना है या बाहर?
वो बोली- मुझे तुम्हारे लंड की मलाई खानी है।
ये कहते हुए वो एकदम से उठकर बैठ गई और मेरे लंड को तुरंत मुंह में भर लिया।
वो बड़ी मस्ती से चूत-रस लगे मेरे लंड को चूसने लगी।
मैं भी सातवें आसमान पर था।
जल्द ही मेरे लंड से वीर्य का गर्म गर्म लावा बाहर निकलने लगा जिसे निशा पूरा का पूरा साथ ही साथ पीती गई।
मैं उसके मुंह में झटके देता रहा और वो मेरे चूतडों को भींचते हुए जैसे लंड से एक एक बूंद को निचोड़ने की कोशिश करती रही। मैं बुरी तरह से हांफ रहा था और वो भी बेहाल हो गई थी।
उसने मेरे वीर्य की एक एक बूंद को चाट लिया।
फिर हम दोनों हांफते हुए वहीं पर गिरे पड़े रहे।
छत पर पूरा अंधेरा था और खुले में नंगे लेटने का मजा भी अलग ही आ रहा था।
लेटे हुए हम वहीं पर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे।
सहलाते हुए वो मुझे इस चुदाई के अनुभव के बारे में बताने लगी।
उसने कहा कि उसको चुदाई में इतना मजा कभी नहीं आया।
मैंने भी उससे कहा कि ऐसी प्यास मैंने किसी औरत के अंदर नहीं देखी।
शायद निशा चुदाई की बहुत ज्यादा शौकीन थी और वह मजा उसका पति उसे नहीं दे पा रहा था।
वो लंडखोर रंडी की तरह लंड को बस खाए जा रही थी।
मेरा लंड पूरा ऐंठ चुका था। उसकी नसें फूलकर फटने को हो गई थीं।
निशा की चूत के रस से वो पूरा चिकना होकर चमक रहा था और चूत में अंदर बाहर होते हुए पच-पच की आवाज से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।
चोदते हुए दस मिनट के लगभग बीत चुके थे।
फिर एकदम से निशा की जोर से आह्ह निकली और उसकी चूत ने गर्म गर्म रस छोड़ दिया जो मुझे मेरे लंड पर लगता हुआ महसूस हुआ।
अब मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी; पूरी ताकत के साथ मैं उसकी चूत को पेलने लगा।
मैंने उसके बालों को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचते हुए उस कुतिया को पेलने लगा।
अब उससे लंड के धक्के बर्दाश्त नहीं हो रहे थे क्योंकि उसका पानी निकल चुका था और उसकी चूत में अब जलन और दर्द हो रहा था।
फिर मेरा भी अब स्खलन नजदीक था। मैंने उसे बताया कि होने वाला है, अंदर निकालना है या बाहर?
वो बोली- मुझे तुम्हारे लंड की मलाई खानी है।
ये कहते हुए वो एकदम से उठकर बैठ गई और मेरे लंड को तुरंत मुंह में भर लिया।
वो बड़ी मस्ती से चूत-रस लगे मेरे लंड को चूसने लगी।
मैं भी सातवें आसमान पर था।
जल्द ही मेरे लंड से वीर्य का गर्म गर्म लावा बाहर निकलने लगा जिसे निशा पूरा का पूरा साथ ही साथ पीती गई।
मैं उसके मुंह में झटके देता रहा और वो मेरे चूतडों को भींचते हुए जैसे लंड से एक एक बूंद को निचोड़ने की कोशिश करती रही। मैं बुरी तरह से हांफ रहा था और वो भी बेहाल हो गई थी।
उसने मेरे वीर्य की एक एक बूंद को चाट लिया।
फिर हम दोनों हांफते हुए वहीं पर गिरे पड़े रहे।
छत पर पूरा अंधेरा था और खुले में नंगे लेटने का मजा भी अलग ही आ रहा था।
लेटे हुए हम वहीं पर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे।
सहलाते हुए वो मुझे इस चुदाई के अनुभव के बारे में बताने लगी।
उसने कहा कि उसको चुदाई में इतना मजा कभी नहीं आया।
मैंने भी उससे कहा कि ऐसी प्यास मैंने किसी औरत के अंदर नहीं देखी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
