07-06-2022, 06:05 PM
मैंने उसको वहीं स्लैब पर बिठा लिया और उसकी पैंटी में बर्फ का टुकड़ा डाल दिया।
टुकड़ा ठीक उसकी चूत के होंठों के ऊपर फंसा था।
एकदम से वो मेरे बदन से लिपट गई और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही बर्फ के टुकड़े को उसकी चूत पर सहलाना शुरू किया।
वो मचलने लगी।
फिर मैंने नीचे झुकते हुए उसकी पैंटी को चूसना चाटना शुरू किया जो बर्फ के ठंडे पानी से गीली हो चुकी थी।
निशा पूरी तड़प उठी थी, उससे ये गुदगुदी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
लग रहा था जैसे वो अभी पेशाब कर देगी।
फिर मैंने उसकी पैंटी को निकलवा दिया और उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
वो अपनी चूचियों को अपने ही हाथों से दबाने लगी।
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी।
मैं उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत से चिकना रस निकलने लगा था।
मैं बीच बीच में उसकी चूत के रस को जीभ से चाट लेता था जिससे वो जोर से सिसकार उठती थी।
उसकी चूत फूल चुकी थी और गर्म होकर पूरी लाल हो गई थी।
उसने मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूचियों पर मेरा मुंह दबा दिया।
मैं उसके बड़े बड़े बूब्स को भींचते हुए निप्पलों को मुंह में चूसने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे उसके चूचों से दूध निकल आएगा।
अब हम दोनों हवस में जैसे पागल हो चुके थे।
उसने मुझे पीछे धकेला और दीवार के साथ सटाकर मेरे होंठों को बुरी तरह से लबड़ते हुए मेरे लंड को पकड़ कर फेंटने लगी।
फिर वो एकदम से नीचे गई और रंडियों की तरह लंड की चुसाई करने लगी।
मैं फिर से पागल होने लगा।
कुछ पल लंड चुसाने के बाद ही मैंने उसको उठाकर दीवार से सटा दिया और उसकी टांग उठाकर उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
टुकड़ा ठीक उसकी चूत के होंठों के ऊपर फंसा था।
एकदम से वो मेरे बदन से लिपट गई और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही बर्फ के टुकड़े को उसकी चूत पर सहलाना शुरू किया।
वो मचलने लगी।
फिर मैंने नीचे झुकते हुए उसकी पैंटी को चूसना चाटना शुरू किया जो बर्फ के ठंडे पानी से गीली हो चुकी थी।
निशा पूरी तड़प उठी थी, उससे ये गुदगुदी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
लग रहा था जैसे वो अभी पेशाब कर देगी।
फिर मैंने उसकी पैंटी को निकलवा दिया और उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
वो अपनी चूचियों को अपने ही हाथों से दबाने लगी।
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी।
मैं उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत से चिकना रस निकलने लगा था।
मैं बीच बीच में उसकी चूत के रस को जीभ से चाट लेता था जिससे वो जोर से सिसकार उठती थी।
उसकी चूत फूल चुकी थी और गर्म होकर पूरी लाल हो गई थी।
उसने मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूचियों पर मेरा मुंह दबा दिया।
मैं उसके बड़े बड़े बूब्स को भींचते हुए निप्पलों को मुंह में चूसने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे उसके चूचों से दूध निकल आएगा।
अब हम दोनों हवस में जैसे पागल हो चुके थे।
उसने मुझे पीछे धकेला और दीवार के साथ सटाकर मेरे होंठों को बुरी तरह से लबड़ते हुए मेरे लंड को पकड़ कर फेंटने लगी।
फिर वो एकदम से नीचे गई और रंडियों की तरह लंड की चुसाई करने लगी।
मैं फिर से पागल होने लगा।
कुछ पल लंड चुसाने के बाद ही मैंने उसको उठाकर दीवार से सटा दिया और उसकी टांग उठाकर उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
