07-06-2022, 06:04 PM
उस दिन शाम को जब मैं रूम पर गया तो दरवाजा निशा ने खोला।
कसम से क्या क़यामत लग रही थी … बड़ी सी बिंदी, आंखों में काजल, सुर्ख लाल लिपस्टिक और टाइट कुर्ती पजामी।
मैं अंदर जाकर नहाने चला गया।
मुझे नहीं पता था कि निशा कुछ शुरुआत करेगी या नहीं।
मैं बस उसको चोदने के बारे में सोच रहा था।
जब मैं नहाकर बाहर निकला तो देखकर हैरान हो गया कि निशा किचन में खड़ी थी।
उसने केवल ब्लैक ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और किचन की स्लैब पर टेक लगाकर मुस्कराते हुए मुझे उसके पास आने का इशारा कर रही थी।
उस वक्त वह किसी कामदेवी से कम नहीं लग रही थी।
मैंने सोचा नहीं था कि वो इस तरह से खुलकर मेरे सामने आएगी।
मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और तौलिया लपेटे हुए ही उसके पास चला गया।
जाते ही वो मुझसे लिपटने लगी।
मेरे होंठों, गालों, गर्दन और छाती पर लगातार किस करने लगी।
उसके चुम्बनों की बारिश से मेरा लंड तौलिया में तोप की तरह तनकर खड़ा हो गया और उसकी जांघों पर टकराने लगा।
वो भी अपनी चूत को बार बार मेरे लंड से टकराने की कोशिश कर रही थी।
मैं बोला- रेखा बता रही थी कि तुम बहुत प्यासी हो।
निशा- हां, बहुत प्यासी हूं। बहुत समय से मर्द का सुख नहीं मिला है। मेरी प्यास को बुझा दो प्लीज!
मैंने जोर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
फिर दो मिनट किस करने के बाद वो अलग हो गई और बोली- चलो मैं तुम्हारे लिए पैग बनाती हूं।
उसके पीछे चलते हुए मैंने कहा- असली नशा तो तुम में है।
वो मुस्कराती हुई मटकती मेरे आगे आगे चलती रही।
हॉल में जाकर उसने जल्दी से पैग बना दिया और दोनों ने एक-एक पैग खत्म कर दिया।
फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।
हम लगातार दस मिनट के लगभग एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
फिर मैंने उसे सोफे पर लिटा लिया और पेट के बल लिटाकर उसकी पीठ पर से ब्रा के हुक खोल दिए।
उसकी गोरी चिकनी पीठ नंगी हो गई।
मैंने उसकी पीठ को चूमना शुरू कर दिया।
हर चुम्बन के साथ उसके बदन में सिहरन हो उठती थी।
चूमते हुए मैं उसकी मोटी उठी हुई गांड तक पहुंच गया जिस पर काले रंग की पैंटी कसी हुई थी।
उसकी गांड के उभार देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था और मन कर रहा था चोद चोदकर इसका बैंड बजा दूं।
फिर मैंने उसकी गांड को दबाना शुरू किया।
वो और ज्यादा कसमसाने लगी।
फिर मैं उसके सिर की ओर गया और घुटनों के बल बैठकर अपना तौलिया उसके सामने खोल दिया।
कसम से क्या क़यामत लग रही थी … बड़ी सी बिंदी, आंखों में काजल, सुर्ख लाल लिपस्टिक और टाइट कुर्ती पजामी।
मैं अंदर जाकर नहाने चला गया।
मुझे नहीं पता था कि निशा कुछ शुरुआत करेगी या नहीं।
मैं बस उसको चोदने के बारे में सोच रहा था।
जब मैं नहाकर बाहर निकला तो देखकर हैरान हो गया कि निशा किचन में खड़ी थी।
उसने केवल ब्लैक ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और किचन की स्लैब पर टेक लगाकर मुस्कराते हुए मुझे उसके पास आने का इशारा कर रही थी।
उस वक्त वह किसी कामदेवी से कम नहीं लग रही थी।
मैंने सोचा नहीं था कि वो इस तरह से खुलकर मेरे सामने आएगी।
मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और तौलिया लपेटे हुए ही उसके पास चला गया।
जाते ही वो मुझसे लिपटने लगी।
मेरे होंठों, गालों, गर्दन और छाती पर लगातार किस करने लगी।
उसके चुम्बनों की बारिश से मेरा लंड तौलिया में तोप की तरह तनकर खड़ा हो गया और उसकी जांघों पर टकराने लगा।
वो भी अपनी चूत को बार बार मेरे लंड से टकराने की कोशिश कर रही थी।
मैं बोला- रेखा बता रही थी कि तुम बहुत प्यासी हो।
निशा- हां, बहुत प्यासी हूं। बहुत समय से मर्द का सुख नहीं मिला है। मेरी प्यास को बुझा दो प्लीज!
मैंने जोर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
फिर दो मिनट किस करने के बाद वो अलग हो गई और बोली- चलो मैं तुम्हारे लिए पैग बनाती हूं।
उसके पीछे चलते हुए मैंने कहा- असली नशा तो तुम में है।
वो मुस्कराती हुई मटकती मेरे आगे आगे चलती रही।
हॉल में जाकर उसने जल्दी से पैग बना दिया और दोनों ने एक-एक पैग खत्म कर दिया।
फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।
हम लगातार दस मिनट के लगभग एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
फिर मैंने उसे सोफे पर लिटा लिया और पेट के बल लिटाकर उसकी पीठ पर से ब्रा के हुक खोल दिए।
उसकी गोरी चिकनी पीठ नंगी हो गई।
मैंने उसकी पीठ को चूमना शुरू कर दिया।
हर चुम्बन के साथ उसके बदन में सिहरन हो उठती थी।
चूमते हुए मैं उसकी मोटी उठी हुई गांड तक पहुंच गया जिस पर काले रंग की पैंटी कसी हुई थी।
उसकी गांड के उभार देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था और मन कर रहा था चोद चोदकर इसका बैंड बजा दूं।
फिर मैंने उसकी गांड को दबाना शुरू किया।
वो और ज्यादा कसमसाने लगी।
फिर मैं उसके सिर की ओर गया और घुटनों के बल बैठकर अपना तौलिया उसके सामने खोल दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
