07-06-2022, 03:48 PM
आत्माराम भले ही आंचल की शारीरिक मनमोहकता को नज़रंदाज़ करने की कोशिश करे, परंतु आंचल का आकर्षक शरीर उसकी इंद्रियों को कामुकता से भर देने में सफल हो ही जाता है। आत्माराम हर सुबह उसके कमरे के बाहर बैठकर मेमसाब के बाहर आने का इंतजार करते हुए सोचता है कि क्यों न एक बार हिम्मत करके किसी बहाने से अंदर जाकर मेमसाब को देख लूं। कभी कभी रात को सोने से पहले आंचल अपने बेडरूम के दरवाजे को खुला ही छोड़ दिया करती है। तब आत्माराम और भी बेकाबू हो जाता है।
आत्माराम मेमसाब के साथ हुई पहली मुलाकात को याद करता है। आंचल रात को सोने से पहले अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गयी थी। दरवाजा आधा खुला था। आत्माराम थोड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजे के नजदीक पहुंचा और उसने दो बार हल्के से खटखटाया। अंदर से कोई उत्तर नहीं मिला। उसे कमरे के अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। वह सोचता है कि क्या पता मेमसाब अपने कपड़े बदल रही हो या अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई हो या किसी अन्य आपत्तिजनक मुद्रा में हो। वह दोबारा दरवाजे को थोड़ा और जोर से खटखटाता है। अंदर से आवाज आती है।
“ कौन है”
आत्माराम –“ मेमसाब, आपका बैग ! बागा ने मुझे इसे आपको देने के लिए भेजा है”
थोड़ी देर बाद ही आंचल दरवाजा खोलती है। आंचल को देखते ही आत्माराम तो बस हक्का-बक्का सा रह जाता है। आंचल ने एक सफेद रंग की, बिना आस्तीन की साटन नाइटी पहनी हुई थी, जिसका कपड़ा बहुत ही महीन व आंचल के बदन पर काफी खुला-खुला सा लग रहा था। आंचल के बोबे बड़े और कसे हुए होने के कारण नाइटी का कपड़ा उसके स्तनों से लटका हुआ लग रहा है। आंचल की नाइटी की straps महीन एवं उसकी त्वचा के रंग के समान होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसके दोनों दूधिया कंधे पूरी तरह से नग्न हैं। इस नाइटी में उसके बोबों की गोलाई साफ-साफ नजर आ रही थी। आंचल की अलसाई मुद्रा और जरा से बिखरे हुए केश दर्शा रहे हैं कि जब आत्माराम ने दरवाजा खटखटाया तो आंचल गहरी नींद में सो रही थी। आत्माराम के नाटेपन के कारण उसका चेहरा आंचल के स्तनों से भी कुछ नीचे है और उसके लिए मेमसाब की आंखों से आंखें मिलाते हुए भी उसके स्तनों की ओर न देखना असंभव है।
आंचल –“अच्छा, इस बैग को वहां मेज पर रख दो”
आंचल जम्हाई लेती है और अपनी दोनों बाजुएं ऊपर उठाकर अपने बाल संवारने लगती हैं। इससे उसके स्तन और भी ऊपर की ओर खिंच जाते हैं। आखिर आत्माराम उसके स्तनों से अपनी नजरें हटाता है और मेज की ओर बढ़ता है, वही आंचल भी अपने बिस्तर की तरफ चलती है। कुछ ही पलों में आत्माराम एक नजर मेमसाब के पीछे के भाग पर डालता है। जो नजारा उसे अब दिखता है, वह देखकर तो वह बिल्कुल सन्न रह जाता है। आंचल बालों का जूड़ा बना चुकी है। पीछे से उसकी नाइटी की straps इतनी गहराई तक थी कि मेमसाब की पीठ का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से नग्न था। यूं समझो कि उसकी पीठ का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा दिखाई दे रहा था। यही नहीं, मेमसाब के नितंबों के ऊपरी ढलान पर नाइटी के महीन लत्ते का जमाव यह बताने के लिए काफी है कि मेमसाब की गांड क्या चीज़ है। और तो और, नाइटी का महीन लत्ता जिस तरह से मेमसाब के दोनों ढुंगों की बीच की दरार में धंसा हुआ था, उससे उनकी ढुंगो के बीच के दरार की चौड़ाई का पता चलता है। आत्माराम मेमसाब को पीछे से देख रहा है, फिर भी उसे मेमसाब के दोनों बोबे दोनों साइड से हिचकोले लेते हुए नजर आ रहे थे। आंचल अपने बिस्तर पर बैठती हैं और आत्माराम की तरफ देखकर कहती है –
आंचल –“ मेरा बैग लेकर आने के लिए धन्यवाद……. मैं तो भूल ही गई थी “
आत्माराम –“कोई बात नहीं…मेमसाब “
आंचल –“ अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है “
आत्माराम –“ वैसे तो मेरा नाम आत्माराम है, पर आप मुझे छोटू भी कह सकती हैं, मेमसाब “
आंचल –“ पर तुम मुझे बार-बार मेमसाब क्यों बोल रहे हो”
आत्माराम –“ मैं यहां पर नौकर हूं, आपको तो मेमसाब ही कहूंगा ना”
आंचल यह सुनकर हतप्रभ रह जाती है।
आंचल –“ नौकर!.......... उम्र क्या है तुम्हारी”
आत्माराम –“ दस साल, मेमसाब!”
आत्माराम ने जान-बूझकर उससे झूठ बोला।
आंचल –“ तो तुम यहां क्या कर रहे हो? …… तुम्हें तो किसी कॉलेज में होना चाहिए था……….इस उम्र में काम कर रहे हो…………. रुको, अभी हेडमास्टर को शिकायत करती हूं”
आत्माराम –“ नहीं मेमसाब, प्लीज़ ऐसा मत करो “
आंचल –“ अरे छोटू!...... तुम्हारी उम्र काम करने की थोड़ी ही है”
आत्माराम नीचे फर्श पर बैठकर रोने लगता है।
आत्माराम –“ मेमसाब, दो महीने पहले मेरे बाबूजी का एक्सीडेंट हो गया।……………मेरी मां भी विकलांग है……….. मैं अकेला ही कमाने वाला हूं घर में मेमसाब…………अगर मैं ही काम नहीं किया तो मेरी मां क्या होगा”
यह सुनकर आंचल का दिल पसीज जाता है। उसकी भी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह तुरंत अपने बिस्तर से उठती हैं, आत्माराम के पास आकर अपने घुटनों पर बैठ जाती हैं और आत्माराम को सांत्वना देते हुए कहती हैं –
“ अरे बच्चा! ……रोते नहीं बेटे”
आंचल ने अपनी हथेलियों से उसके दोनों गालों को सहलाया। अपने दोनों अंगूठों से उसके आंसू पोंछे। आंचल के स्तन उसके चेहरे से महज कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर था।
आत्माराम –“ मेरी मां के सिवा दुनिया में मेरा कोई नहीं है मेमसाब “
आंचल –“ ऐसी बात क्यों करते हो बेटा!........... ऐसा किसने कहा तुमसे……….. मैं हूं ना यहां……….तुम मुझे अपनी……………मौसी कह सकते हो…………तुम्हें जो भी चाहिए, अपनी मौसी से कह सकते हो “
आत्माराम –“ आप मुझे नहीं निकालोगे ना”
आंचल –“ अरे बाबा! …….. नहीं निकालूंगी……..अब खुश…….. और हां, मुझे मेमसाब कहना बंद करो। मुझे मौसी कहो….. ठीक है”
आत्माराम –“ आप बहुत अच्छी है मेमसाब……….. अरे मेरा मतलब है….. मौसी “
आंचल हंसती है और आत्माराम को अपने गले से लगा लेती है।
आत्माराम मेमसाब के साथ हुई पहली मुलाकात को याद करता है। आंचल रात को सोने से पहले अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गयी थी। दरवाजा आधा खुला था। आत्माराम थोड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजे के नजदीक पहुंचा और उसने दो बार हल्के से खटखटाया। अंदर से कोई उत्तर नहीं मिला। उसे कमरे के अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। वह सोचता है कि क्या पता मेमसाब अपने कपड़े बदल रही हो या अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई हो या किसी अन्य आपत्तिजनक मुद्रा में हो। वह दोबारा दरवाजे को थोड़ा और जोर से खटखटाता है। अंदर से आवाज आती है।
“ कौन है”
आत्माराम –“ मेमसाब, आपका बैग ! बागा ने मुझे इसे आपको देने के लिए भेजा है”
थोड़ी देर बाद ही आंचल दरवाजा खोलती है। आंचल को देखते ही आत्माराम तो बस हक्का-बक्का सा रह जाता है। आंचल ने एक सफेद रंग की, बिना आस्तीन की साटन नाइटी पहनी हुई थी, जिसका कपड़ा बहुत ही महीन व आंचल के बदन पर काफी खुला-खुला सा लग रहा था। आंचल के बोबे बड़े और कसे हुए होने के कारण नाइटी का कपड़ा उसके स्तनों से लटका हुआ लग रहा है। आंचल की नाइटी की straps महीन एवं उसकी त्वचा के रंग के समान होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसके दोनों दूधिया कंधे पूरी तरह से नग्न हैं। इस नाइटी में उसके बोबों की गोलाई साफ-साफ नजर आ रही थी। आंचल की अलसाई मुद्रा और जरा से बिखरे हुए केश दर्शा रहे हैं कि जब आत्माराम ने दरवाजा खटखटाया तो आंचल गहरी नींद में सो रही थी। आत्माराम के नाटेपन के कारण उसका चेहरा आंचल के स्तनों से भी कुछ नीचे है और उसके लिए मेमसाब की आंखों से आंखें मिलाते हुए भी उसके स्तनों की ओर न देखना असंभव है।
आंचल –“अच्छा, इस बैग को वहां मेज पर रख दो”
आंचल जम्हाई लेती है और अपनी दोनों बाजुएं ऊपर उठाकर अपने बाल संवारने लगती हैं। इससे उसके स्तन और भी ऊपर की ओर खिंच जाते हैं। आखिर आत्माराम उसके स्तनों से अपनी नजरें हटाता है और मेज की ओर बढ़ता है, वही आंचल भी अपने बिस्तर की तरफ चलती है। कुछ ही पलों में आत्माराम एक नजर मेमसाब के पीछे के भाग पर डालता है। जो नजारा उसे अब दिखता है, वह देखकर तो वह बिल्कुल सन्न रह जाता है। आंचल बालों का जूड़ा बना चुकी है। पीछे से उसकी नाइटी की straps इतनी गहराई तक थी कि मेमसाब की पीठ का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से नग्न था। यूं समझो कि उसकी पीठ का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा दिखाई दे रहा था। यही नहीं, मेमसाब के नितंबों के ऊपरी ढलान पर नाइटी के महीन लत्ते का जमाव यह बताने के लिए काफी है कि मेमसाब की गांड क्या चीज़ है। और तो और, नाइटी का महीन लत्ता जिस तरह से मेमसाब के दोनों ढुंगों की बीच की दरार में धंसा हुआ था, उससे उनकी ढुंगो के बीच के दरार की चौड़ाई का पता चलता है। आत्माराम मेमसाब को पीछे से देख रहा है, फिर भी उसे मेमसाब के दोनों बोबे दोनों साइड से हिचकोले लेते हुए नजर आ रहे थे। आंचल अपने बिस्तर पर बैठती हैं और आत्माराम की तरफ देखकर कहती है –
आंचल –“ मेरा बैग लेकर आने के लिए धन्यवाद……. मैं तो भूल ही गई थी “
आत्माराम –“कोई बात नहीं…मेमसाब “
आंचल –“ अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है “
आत्माराम –“ वैसे तो मेरा नाम आत्माराम है, पर आप मुझे छोटू भी कह सकती हैं, मेमसाब “
आंचल –“ पर तुम मुझे बार-बार मेमसाब क्यों बोल रहे हो”
आत्माराम –“ मैं यहां पर नौकर हूं, आपको तो मेमसाब ही कहूंगा ना”
आंचल यह सुनकर हतप्रभ रह जाती है।
आंचल –“ नौकर!.......... उम्र क्या है तुम्हारी”
आत्माराम –“ दस साल, मेमसाब!”
आत्माराम ने जान-बूझकर उससे झूठ बोला।
आंचल –“ तो तुम यहां क्या कर रहे हो? …… तुम्हें तो किसी कॉलेज में होना चाहिए था……….इस उम्र में काम कर रहे हो…………. रुको, अभी हेडमास्टर को शिकायत करती हूं”
आत्माराम –“ नहीं मेमसाब, प्लीज़ ऐसा मत करो “
आंचल –“ अरे छोटू!...... तुम्हारी उम्र काम करने की थोड़ी ही है”
आत्माराम नीचे फर्श पर बैठकर रोने लगता है।
आत्माराम –“ मेमसाब, दो महीने पहले मेरे बाबूजी का एक्सीडेंट हो गया।……………मेरी मां भी विकलांग है……….. मैं अकेला ही कमाने वाला हूं घर में मेमसाब…………अगर मैं ही काम नहीं किया तो मेरी मां क्या होगा”
यह सुनकर आंचल का दिल पसीज जाता है। उसकी भी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह तुरंत अपने बिस्तर से उठती हैं, आत्माराम के पास आकर अपने घुटनों पर बैठ जाती हैं और आत्माराम को सांत्वना देते हुए कहती हैं –
“ अरे बच्चा! ……रोते नहीं बेटे”
आंचल ने अपनी हथेलियों से उसके दोनों गालों को सहलाया। अपने दोनों अंगूठों से उसके आंसू पोंछे। आंचल के स्तन उसके चेहरे से महज कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर था।
आत्माराम –“ मेरी मां के सिवा दुनिया में मेरा कोई नहीं है मेमसाब “
आंचल –“ ऐसी बात क्यों करते हो बेटा!........... ऐसा किसने कहा तुमसे……….. मैं हूं ना यहां……….तुम मुझे अपनी……………मौसी कह सकते हो…………तुम्हें जो भी चाहिए, अपनी मौसी से कह सकते हो “
आत्माराम –“ आप मुझे नहीं निकालोगे ना”
आंचल –“ अरे बाबा! …….. नहीं निकालूंगी……..अब खुश…….. और हां, मुझे मेमसाब कहना बंद करो। मुझे मौसी कहो….. ठीक है”
आत्माराम –“ आप बहुत अच्छी है मेमसाब……….. अरे मेरा मतलब है….. मौसी “
आंचल हंसती है और आत्माराम को अपने गले से लगा लेती है।