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Incest बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा
#29
मैं पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गया था और इधर अपनी बुआ के घर रहता था.
फूफा जी बाहर जॉब करते थे तो बुआ जी को भी मेरे आने से एक आसरा हो गया था.
बुआ एक निजी कम्पनी के ऑफिस में काम करती थीं.

मेरी बुआ की बेटी का नाम दीपिका था.

एक दिन दीपिका नहा कर निकली. उस समय घर पर कोई नहीं था. बुआ ऑफिस गई हुई थीं.

उस दिन घर मैं अपने रूम में ही था.

जिस समय दीपिका नहा कर बाहर निकली, उसी समय अचानक से मैं अपने कमरे से पानी पीने के लिए बाहर निकला.

मैंने देखा कि दीपिका एकदम नंगी ही बाथरूम से निकली और अपने कमरे की तरफ जाने लगी.
उसे इस अवस्था में देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मेरे हाथ से पानी का गिलास था तो वो गिर गया.
गिलास गिरने की आवाज से उसका ध्यान मेरी तरफ चला गया और वो जल्दी से भाग कर अपने कमरे में चली गयी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया.

इस समय मेरी खोपड़ी में दीपिका की मदमस्त जवानी ही घूम रही थी.
मैं उसके बारे में सोच कर लंड सहलाने लगा.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और मुठ मारने लगा.

उस दिन मुझे मुठ मारने में इतना मजा आया कि बता नहीं सकता.

शाम को उसकी मॉम आईं तो उन्होंने मुझे बुलाने दीपिका को मेरे कमरे में भेजा.
मैं उस टाइम भी उसके बारे में ही सोच कर लंड हिला रहा था.

उसने कमरे का दरवाजा बजाया और आवाज देकर बोली- भैया, मॉम ने आपको खाने के लिए बुलाया है.

मैं लंड अन्दर करके खाना खाने बाहर आ गया.

बाहर मेज पर वो भी खाना खा रही थी. उसकी नजरें झुकी हुई थीं.
मैं उसे ही देखता रहा.
वो मुझे अब बस नंगी ही दिख रही थी.

खाना खाने के बाद दीपिका अपने कमरे में चली गयी. उसने मेरी तरफ देखा ही नहीं.
मगर मैं समझ गया था कि वो मुझसे झेम्प रही है.

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा.

मैं बस अब ये ही सोच रहा था कि कैसे भी करके दीपिका की चुत चोदने को मिल जाए.
उसके चक्कर में मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगता था.

फिर एक दिन वो अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तो मैं चुपके से उसे देखने लगा.
उसने अपने सारे कपड़े उतारे और अपनी चुत सहलाने लगी.
कुछ देर तक वह अपने मम्मों से भी खेला और अपने कपड़े पहन कर लेट गई.

मैं उसी के दरवाजे के बाहर उसे देख कर मुठ मारने लगा.

तभी अचानक से उसने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया.
वो उधर से चिल्ला कर बोली- ये तुम क्या कर रहे हो … शर्म नहीं आती?

मैं कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चला गया.
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो ये सब बुआ से ना कह दे.

बुआ शाम को घर आईं और दीपिका से मुझे बुलाने को बोलीं.

दीपिका मेरे कमरे में आई और अजीब सी आवाज में बोली- मॉम बुला रही हैं … चलो.

उसकी इस तरह की टोन से मैं डर सा गया और सोचने लगा कि इसने पक्के में बुआ से कह दिया होगा.

मैं डरते हुए गया और बुआ से बोला- जी बुआ जी … क्या हुआ!
उन्होंने पूछा- क्या हुआ का क्या मतलब है? खाना नहीं खाना है क्या … चलो बैठो खाना खा लो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा - by neerathemall - 07-06-2022, 12:37 PM



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