Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा
#24
मैंने उसे थोड़ी देर तक देखा और फिर उसकी ब्रा से बाहर दिख रही चूचियों को चूमना, चाटना शुरू किया. मैंने अपनी बहन की ब्रा में से एक चुचे को बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबा रहा था. इस तरह मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा. अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने ब्रा का हुक खोल के उसे पूरा उतार फेंका।

अपनी बहन की पूरी नंगी चूचियां देख कर मेरे तो होश ही उड़ चुके थे, वासना मेरे दिमाग में भर चुकी थी, मैंने उसके उरोजों को चूसना चालू रखा और वो इतनी गर्म हो गई कि उसकी आवाजें कमरे में गूंज रही थी और वो ‘उह आह…’ सिसकारियां भर रही थी, उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था और न ही मुझसे कुछ बोला जा रहा था।
अब मैं अपनी बहन के नंगे बदन को चाटता चूसता हुआ नीचे चल दिया, पहले उसके गोरे गोरे पेट को चूसा और चूमा, फिर उसने मेरा हाथ रोक और मुझे ऊपर उठा कर मेरी टीशर्ट निकाल दी और मुझे चूमने लगी.
फिर तो इतनी चुदास चढ़ चुकी थी, मैंने उसका लोवर भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने कोई अप्सरा जैसी लग रही थी केवल लाल पेंटी में… उसके खड़े 34″ के चूचे मुझे सलामी दी रहे थे, मेरे लन्ड का तो बुरा हाल था, मैंने खुद अपना लोअर उतार कर खड़ा हो गया और अंडरवियर में कैद मेरा लन्ड मेरी नंगी बहन को देखने की कोशिश कर रहा था.
मैंने तुरन्त उसका हाथ पकड़ कर अपना लन्ड उसके हाथ में दे दिया और उसने हाथों से मेरे लन्ड को सहलाना शुरू किया और कुछ ही देर में अंडरवियर निकाल दिया और लन्ड को हाथ में लेकर बोली- पुनीत जान, तेरा तो बहुत बड़ा हो गया है!
मैंने कहा- ये तो बस तुझे देख के सलामी दे रहा है!
और लन्ड उसके मुंह के पास कर दिया।
पहले उसने मना किया लेकिन थोड़ी बहुत देर आनाकानी के बाद उसने लन्ड को चूसना शुरू किया और यह उसका पहली बार था। लेकिन उसने मेरे लन्ड को खूब अच्छे से चूसा लॉलीपॉप समझ कर!
मैंने भी देर न करते हुए अपनी बहन की पैंटी निकाल दी और हम 69 की पोजीशन में आ गए. मैंने उसकी चूत को पहले किस किया फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और खूब अच्छे से चाटा.
वो पूरी तरह पागल हो चुकी थी, अब तो वो तुरन्त उठी और बोली- भाई, इतना मत तड़पा और चोद दे मुझे!
मैंने भी देर न करते हुए उसे लिटाया और एक तकिया उसकी गांड के नीचे लगाया क्योंकि मेरा भी पहली बार था तो मैं भी कुछ जल्दी में ही था… और धीरे धीरे लन्ड अपनी बहन की चूत पर घिसने लगा।
और मैंने एक जरा सा धक्का मारा, जिससे मेरे लंड का थोड़ा सा टोपा उसकी चूत में घुस गया, वो दर्द और घबराहट से उछल पड़ी और मेरा लन्ड निकल गया.
फिर मेरी बहन मना करने लगी- नहीं यार, दर्द हो रहा है बहुत!
मैंने उसे समझाया और इस बार पकड़ मजबूत करके एक धक्का और मारा इस बार थोड़ा सा लन्ड गया और मैंने उसके मुँह को अपने होठों से बंद कर दिया ताकि वो चिल्लाये ना… और वो छटपटा रही थी लेकिन मैंने एक ना सुनी और एक धक्का और मार दिया इस बार वो बिल्कुल पागल हो गई और मेरी चंगुल से निकल भागने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उसके होठों को अपने होठों में भींच रखा था.
मेरा करीब आधा लन्ड ही मेरी बहन की चूत में गया होगा और दर्द तो मुझे भी हो रहा था क्योंकि मेरा भी पहली बार था लेकिन मैंने यहां अन्तर्वासना पर बहुत स्टोरी पढ़ी हैं तो मुझे मालूम था।
मैं थोड़ी देर शांत रहा, जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने एक धक्के में पूरा लन्ड जड़ तक डाल दिया और वो रोने लगी, कहने लगी- छोड़ दे कमीने… आज तो मेरी चूत फाड़ दी तूने!
मैंने उसे समझाया कि अभी थोड़ी सा दर्द सहन कर ले, फिर मजा ही मजा है!
और उसके शांत होने तक उसे किस करता करता रहा और उसके चुचे दबाता रहा।
अब उसका दर्द कम हो चुका था और वो भी हल्के हल्के चूतड़ उठा रही थी, मैंने भी हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किए और फिर तो वो बहुत मस्ती में आकर तेजी से अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी।
मैंने भी स्पीड बहुत बढ़ा दी और पूरी जान से अपनी बहन को चोदता रहा.
वो बोल रही थी- और चोद और चोद बहनचोद फाड़ दे मेरी चूत!
मैं अपने धक्के लगाता रहा और पूरे कमरे में हमारी सिसकारियां गूँज रही थी।
करीब 15 मिनट की भयंकर चढ़ाई चुदाई के बाद मेरा होने वाला था मैंने उससे कहा- कहाँ निकालूँ जानेमन, मैं आ रहा हूँ.
वो बोली- अंदर ही निकाल दे बहनचोद, मैं भी बस आई।
और एक मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और वो भी साथ झड़ गई।
और हमारी हालत अब खराब थी, मैंने उसे उठाया तो देखा नीचे तकिया खून में लाल पड़ा है वो डर गई मैंने उसे समझाया कि अब तू फ्री हो गई है सील टूटी है तेरी!
हम भाई बहन एक दूसरे को कामुक नजरों से देख रहे थे।
मैं उसे बाथरूम में ले गया, पेशाब कराया, उसे दर्द बहुत हो रहा था.
और फिर मैंने वो मेरी बहन की चूत के खून से सना तकिया छिपा दिया ताकि मौक़ा मिलते ही उसे मैं कहीं दूर फेंक आऊँ!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा - by neerathemall - 07-06-2022, 12:33 PM



Users browsing this thread: 6 Guest(s)