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Incest बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा
#18
उस दिन के बाद दीदी से मेरी बात खुल कर होने लगी थी. मैं अब दीदी को खुश करने की कोशिश करने लगा था. सीधे शब्दों में कहूं तो मैं दीदी पर लाइन मारने की कोशिश करता रहता था. दीदी भी इस बात को जान गयी थी.

एक दिन उन्होंने मुझे इस बारे में टोक ही दिया, दीदी बोली- मैं देख रही हूं कि तू आजकल मुझ पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है. तुझे और कोई लड़की नहीं मिल रही है क्या?
मैंने कहा- जब घर में इतनी सुन्दर लड़की है तो फिर बाहर ढूंढने की क्या जरूरत है?
दीदी बोली- कुत्ते, मैं तेरी बहन हूं.
मैंने कहा- तो क्या हुआ, आप लड़की भी तो हो.
कुछ देर के लिए दीदी चुप हो गयी और फिर कहने लगी कि मुझ पर लाइन मारने का कोई फायदा नहीं है.
मैंने कहा- एक बार कोशिश करके तो देख लेने दो.
इतना कह कर मैंने दीदी को चूम लिया.
दीदी पीछे हट गई, बोली- कोशिश अच्छी थी लेकिन अभी तेरे जीजा आने वाले हैं इसलिए चुपचाप अपने कमरे में जा, हम फिर किसी दिन देखेंगे.
उस दिन हल्की सी सही लेकिन शुरूआत तो हो ही गई थी दीदी के साथ. मैं दीदी को गाली देकर चोदना चाह रहा था. उस दिन का इंतजार करने लगा जब मुझे दीदी को चोदने का मौका मिलेगा. दो दिन के बाद मेरा इंतजार खत्म हो गया.
उस दिन जब मैं ऑफिस से आया तो मेरा लौड़ा पहले से ही गर्म था. मगर जीजा जी मुझसे पहले ही घर आ गये थे और अपने कमरे में सो रहे थे. शायद उनके सिर में दर्द था. मैंने उनको देखा और धीरे से कमरे का दरवाजा बंद करके आ गया.
मैं अपने कमरे में चला गया और फ्रेश होकर रसोई में चला गया. तब तक दीदी ने हम दोनों के लिए चाय बना दी थी. किचन दीदी के बेडरूम से थोड़ी दूरी पर था. दीदी के बेडरूम में जीजा जी सो रहे थे.
दीदी ने चाय मेरी तरफ बढ़ाई तो मैंने गुस्से में आकर चाय फेंक दी.
दीदी बोली- साले मादरचोद, चाय क्यों फेंक दी. अब दोबारा चाय क्या तेरी मां आकर बनाएगी रंडी की औलाद?
मैंने कहा- नहीं चाहिए मुझे चाय.
इतना कहकर मैंने अपना पजामा खोल दिया और अपना लंड दीदी को दिखाते हुए कहा- आज मैं इसकी मलाई तुझे पिलाऊंगा साली. चल बहन की लौड़ी. चूस ले इसको …
मेरा लंड खड़ा हुआ था तो मैंने अपने खड़े हुए लंड को दीदी के मुंह में डाल दिया और दीदी के मुंह को चोदने लगा. दीदी भी लंड को चूसने लगी और मैंने अपना माल दीदी के मुंह में गिरा दिया. उस दिन हमने इसके अलावा और कुछ नहीं किया. अब मैं दीदी को चोदने के मौके की तलाश में था.
फिर तीन-चार दिन के बाद जीजा को कंपनी के काम से बाहर जाना था तो मैंने अपने ऑफिस एक दिन के लिए छुट्टी ले ली. मैंने दीदी से पहले ही इस बारे में बात कर ली थी.
जीजा जी उस दिन जा चुके थे और जब मैं घर पहुंचा तो दीदी सोफे पर बैठी हुई थी.
मैंने कहा- साली रंडी, यहां क्यूं बैठी हुई है? तुझे चुदना नहीं है क्या? चल साली बेडरूम के अंदर.
दीदी बोली- आ रही हूं भड़वे.
दीदी अंदर बेडरूम में आ गई और आकर बेड पर लेट गई. मैं भी दीदी के ऊपर आकर लेट गया और उसको किस करने लगा. फिर मैं उठा और दीदी को एक थप्पड़ मार कर बोला- चल साली, मेरे कपड़े खोल और मेरा लौड़ा चूस ले.
दीदी ने उठ कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे नंगा कर दिया. उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी. दीदी की चुसाई इतनी तेज थी कि उसने जल्दी ही मेरा माल अपने मुंह में निकलवा दिया.
फिर मैंने दीदी को भी नंगी कर दिया और ऊपर लेट कर दीदी के बोबे चूसने लगा. मैं दीदी के बाबे दबाते हुए उनको काटने लगा. दीदी के चूचे लाल हो गये.
दीदी बोली- साले चूस क्या रहा है मादरचोद, मैंने तुझे चोदने के लिए कहा था न … चोद मुझे हरामी की औलाद.
दीदी के कहने पर मैंने नीचे आकर उसकी चिकनी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.
काफी देर उसकी चूत को जीभ से चोदते हुए हो गई तो वो फिर से गाली देने लगी- साले मुझे अपने लौड़े से कब चोदेगा हरामी?
मैंने कहा- रंडी, पहले वादा कर कि जितनी औरतों को तू जानती है उन सब की चूत मेरे लंड को दिलवायेगी.
दीदी झट से मान गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा - by neerathemall - 07-06-2022, 12:28 PM



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