07-06-2022, 12:28 PM
मेरी दीदी की लम्बाई पांच फीट और पांच इंच है. उनका फिगर बहुत ही कमाल का है. दीदी को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था. पहले तो मैं सोचा करता था कि दीदी और जीजा जी चुदाई के मजे लेने के लिए बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं. लेकिन बाद में मुझे सच्चाई का पता चला. असली कहानी यहीं से शुरू होती है.
जब मैं गुवाहाटी पहुंचा तो दीदी ने गले लगा कर मेरा स्वागत किया. लेकिन जब मेरी छाती उनके चूचों से टकराई तो मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. दोस्तो मैं अन्तर्वासना की कहानियां काफी समय पहले से पढ़ रहा था इसलिए मैंने अपनी बहन को कभी बहन की नजर से देखा ही नहीं था. मुझे वो बाकी औरतों की तरह चोदने का ही माल नजर आती थी.
जब दीदी के चूचों का स्पर्श मुझे मिला तो किसी तरह मैंने खुद को रोका. शाम को खाना खाने के बाद मैं मुठ मार कर सो गया. कुछ ही दिन के बाद मेरे जीजा ने मेरी नौकरी एक अच्छी जगह लगवा दी थी. मैं सुबह दस बजे ऑफिस के लिए निकल जाता था और शाम को पांच बजे वापस आता था.
जब मैं दीदी के यहां पर रहने के लिए आया था तो तब से लेकर अब तक मैंने कभी भी उन दोनों के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं सुनी थी. आप समझ गये होंगे कि मैं किस आवाज की बात कर रहा हूं. रात को मैंने कई बार कोशिश की कि उनकी चुदाई की आवाजें मेरे कानों में आये लेकिन उनके कमरे से कभी कोई ऐसी आवाज नहीं आती थी.
पहले तो मैं सोचने लगा था कि ये दोनों शायद बहुत ही धीरे से चुदाई करते होंगे. मगर ऐसा नहीं था.
एक दिन की बात है कि जब मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया. मैं नाश्ता करके आराम करने के लिए सो गया.
दिन में जब मेरी आंख खुली तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी. मैंने उठ कर अंदर झांक कर देखा तो मेरी दीदी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने कमरे में किटी पार्टी कर रही थी. मैं वहीं पर कान लगा कर उन की बातें सुनने लगा.
उसकी सहेलियां बातें कर रही थीं.
एक ने दीदी से पूछा- अगर तेरा भाई यहां पर रहता है तो तुम अपने पति के साथ चुदाई कैसे कर लेती हो?
मेरी दीदी बोली- हमने उसके आने से पहले ही अपने कमरे में कांच बदलवा दिये थे. इसलिए आवाज बाहर नहीं जा पाती है.
मुझे दीदी की ये बात सुन कर बुरा लगा कि दीदी को मेरी वजह से इस तरह सोचना पड़ रहा है और उनको इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है.
मैंने इस बारे में दीदी से बात करने की सोची. मैं शाम को जब दीदी से बात करने के लिए गया तो वो रसोई में खाना बना रही थी. मैं दीदी के पास गया और दीदी से सीधा ही बोल दिया- दीदी, अगर आप लोगों को मेरे यहां पर रहने से कोई परेशानी हो रही है तो मैं बाहर किराये पर कमरा ले लेता हूं.
दीदी ने मेरी तरफ देखा. वो हैरान सी लग रही थी मेरी बात से.
दीदी बोली- अचानक से तुझे क्या हो गया? तू ऐसी बात क्यों कह रहा है?
मैंने दीदी से कहा- वो … दीदी, मैंने आपकी सहेलियों की बातें सुन ली थीं.
दीदी ने जब यह बात सुनी तो पहले वो गुस्से से बोलीं- तूने हमारी बातें ऐसे छुपकर क्यों सुनी?
मैंने कहा- सॉरी दीदी. लेकिन मैं जब अपने कमरे में सो रहा था तो आप लोगों की आवाज सुन कर मेरी नींद खुल गई थी. मैं जब देखने के लिए आया तो मैंने आप लोगों की बातें सुन लीं.
फिर दीदी बोली- ऐसी कोई बात नहीं है जैसा तू सोच रहा है. हमने कोई कांच नहीं लगवाया है.
मैंने कहा- दीदी, आप झूठ बोल रहे हो. मुझे रात में आप लोगों के कमरे से सच में कोई आवाज नहीं आती.
दीदी गुस्से से बोली- आवाज आने के लिए कुछ करना भी पड़ता है. हम दोनों पति-पत्नी के बीच में कुछ होता ही नहीं तो आवाज कहां से आयेंगी. तू इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और अपना काम कर, अपनी नौकरी पर ध्यान दे साले. समझा?
मेरी दीदी के पापा यानि मेरे फूफा जी शराब का ठेका चलाते हैं इसलिए दीदी को गाली देने की पुरानी आदत है क्योंकि उनके घर में यह सब चलता रहता है.
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया. लेकिन आज मुझे इतना पता तो चल गया था कि मेरे जीजा जी मेरी दीदी को चोदते नहीं हैं. मगर क्यों नहीं चोदते हैं इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था.
फिर दो या तीन दिन तक मेरी दीदी से मेरी कोई बात नहीं हुई. एक दिन दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- लगता है तू कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, इसलिए इतना गुस्सा करने लगा है.
मैंने कहा- नहीं दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है. आप ने ही तो कहा था कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं इसलिए मैंने उसके बाद आप से इस तरह की बात करना ठीक नहीं समझा.
दीदी ने कहा- मैंने तुझे हमारी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने से मना किया था. दूसरी और बात करने से मना नहीं किया था.
मेरे मन में वो जिज्ञासा थी इसलिए मैं उसी के बारे में बात करना चाह रहा था तो मैंने दीदी से कहा- जिस बात के बारे में आपको परेशानी होगी मैं उसी के बारे में तो बात करुंगा न आपसे …
वो बोली- हमारी सेक्स लाइफ के बारे में क्या बात करेगा तू, जब हमारे बीच में कुछ है ही नहीं तो.
दीदी ने गुस्से में कहा और उठ कर चली गई.
अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया था. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और फिर जाकर दीदी से माफी मांग ली. दीदी ने मुझे माफ भी कर दिया.
जब मैं गुवाहाटी पहुंचा तो दीदी ने गले लगा कर मेरा स्वागत किया. लेकिन जब मेरी छाती उनके चूचों से टकराई तो मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. दोस्तो मैं अन्तर्वासना की कहानियां काफी समय पहले से पढ़ रहा था इसलिए मैंने अपनी बहन को कभी बहन की नजर से देखा ही नहीं था. मुझे वो बाकी औरतों की तरह चोदने का ही माल नजर आती थी.
जब दीदी के चूचों का स्पर्श मुझे मिला तो किसी तरह मैंने खुद को रोका. शाम को खाना खाने के बाद मैं मुठ मार कर सो गया. कुछ ही दिन के बाद मेरे जीजा ने मेरी नौकरी एक अच्छी जगह लगवा दी थी. मैं सुबह दस बजे ऑफिस के लिए निकल जाता था और शाम को पांच बजे वापस आता था.
जब मैं दीदी के यहां पर रहने के लिए आया था तो तब से लेकर अब तक मैंने कभी भी उन दोनों के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं सुनी थी. आप समझ गये होंगे कि मैं किस आवाज की बात कर रहा हूं. रात को मैंने कई बार कोशिश की कि उनकी चुदाई की आवाजें मेरे कानों में आये लेकिन उनके कमरे से कभी कोई ऐसी आवाज नहीं आती थी.
पहले तो मैं सोचने लगा था कि ये दोनों शायद बहुत ही धीरे से चुदाई करते होंगे. मगर ऐसा नहीं था.
एक दिन की बात है कि जब मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया. मैं नाश्ता करके आराम करने के लिए सो गया.
दिन में जब मेरी आंख खुली तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी. मैंने उठ कर अंदर झांक कर देखा तो मेरी दीदी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने कमरे में किटी पार्टी कर रही थी. मैं वहीं पर कान लगा कर उन की बातें सुनने लगा.
उसकी सहेलियां बातें कर रही थीं.
एक ने दीदी से पूछा- अगर तेरा भाई यहां पर रहता है तो तुम अपने पति के साथ चुदाई कैसे कर लेती हो?
मेरी दीदी बोली- हमने उसके आने से पहले ही अपने कमरे में कांच बदलवा दिये थे. इसलिए आवाज बाहर नहीं जा पाती है.
मुझे दीदी की ये बात सुन कर बुरा लगा कि दीदी को मेरी वजह से इस तरह सोचना पड़ रहा है और उनको इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है.
मैंने इस बारे में दीदी से बात करने की सोची. मैं शाम को जब दीदी से बात करने के लिए गया तो वो रसोई में खाना बना रही थी. मैं दीदी के पास गया और दीदी से सीधा ही बोल दिया- दीदी, अगर आप लोगों को मेरे यहां पर रहने से कोई परेशानी हो रही है तो मैं बाहर किराये पर कमरा ले लेता हूं.
दीदी ने मेरी तरफ देखा. वो हैरान सी लग रही थी मेरी बात से.
दीदी बोली- अचानक से तुझे क्या हो गया? तू ऐसी बात क्यों कह रहा है?
मैंने दीदी से कहा- वो … दीदी, मैंने आपकी सहेलियों की बातें सुन ली थीं.
दीदी ने जब यह बात सुनी तो पहले वो गुस्से से बोलीं- तूने हमारी बातें ऐसे छुपकर क्यों सुनी?
मैंने कहा- सॉरी दीदी. लेकिन मैं जब अपने कमरे में सो रहा था तो आप लोगों की आवाज सुन कर मेरी नींद खुल गई थी. मैं जब देखने के लिए आया तो मैंने आप लोगों की बातें सुन लीं.
फिर दीदी बोली- ऐसी कोई बात नहीं है जैसा तू सोच रहा है. हमने कोई कांच नहीं लगवाया है.
मैंने कहा- दीदी, आप झूठ बोल रहे हो. मुझे रात में आप लोगों के कमरे से सच में कोई आवाज नहीं आती.
दीदी गुस्से से बोली- आवाज आने के लिए कुछ करना भी पड़ता है. हम दोनों पति-पत्नी के बीच में कुछ होता ही नहीं तो आवाज कहां से आयेंगी. तू इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और अपना काम कर, अपनी नौकरी पर ध्यान दे साले. समझा?
मेरी दीदी के पापा यानि मेरे फूफा जी शराब का ठेका चलाते हैं इसलिए दीदी को गाली देने की पुरानी आदत है क्योंकि उनके घर में यह सब चलता रहता है.
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया. लेकिन आज मुझे इतना पता तो चल गया था कि मेरे जीजा जी मेरी दीदी को चोदते नहीं हैं. मगर क्यों नहीं चोदते हैं इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था.
फिर दो या तीन दिन तक मेरी दीदी से मेरी कोई बात नहीं हुई. एक दिन दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- लगता है तू कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, इसलिए इतना गुस्सा करने लगा है.
मैंने कहा- नहीं दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है. आप ने ही तो कहा था कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं इसलिए मैंने उसके बाद आप से इस तरह की बात करना ठीक नहीं समझा.
दीदी ने कहा- मैंने तुझे हमारी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने से मना किया था. दूसरी और बात करने से मना नहीं किया था.
मेरे मन में वो जिज्ञासा थी इसलिए मैं उसी के बारे में बात करना चाह रहा था तो मैंने दीदी से कहा- जिस बात के बारे में आपको परेशानी होगी मैं उसी के बारे में तो बात करुंगा न आपसे …
वो बोली- हमारी सेक्स लाइफ के बारे में क्या बात करेगा तू, जब हमारे बीच में कुछ है ही नहीं तो.
दीदी ने गुस्से में कहा और उठ कर चली गई.
अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया था. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और फिर जाकर दीदी से माफी मांग ली. दीदी ने मुझे माफ भी कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
