06-06-2022, 06:01 PM
अगली सुबह आशिमा की परीक्षा थी तो हम लोग जल्दी ही निकल गए घर से! हालांकि उसका परीक्षा केंद्र घर के पास ही था।
उसकी परीक्षा हाल में जाते ही मैंने भाभी से कहा- परीक्षा खत्म होने में 3 घंटे बाकी हैं, तब तक हम घर होकर आते हैं।
भाभी बोली-ठीक है!
और हम घर आ गए।
घर आकर भाभी बोली- खाना बनाने के लिए कुछ सामान चाहिए, ला दो!
मैं ‘ठीक है’ बोलकर चला गया और सामान लेकर वापस आया।
मेरे पास घर की एक चाबी हमेशा रहती है तो मैं उससे दरवजा खोलकर आ गया।
समान रसोई में रखकर अंदर गया तो रूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था। मैंने अंदर देखा तो भाभी सिर्फ ब्रा पेंटी में खड़ी थी, वो नहा कर बाहर आई ही थी।
मैं उनके नंगे जिस्म को निहार रहा था.
जब भाभी बाहर आने को हुई तो में चुपचाप रसोई में चला गया और सामान जमाने लगा।
भाभी ने पूछा- तुम कब आये, पता ही नहीं चला?
मैंने बड़े आराम से कहा- बस अभी आया।
भाभी बोली- ठीक है, तुम नहा लो, मैं चाय बना लेती हूँ।
मैं ‘ठीक है’ बोलकर नहाने चला गया और बाथरूम में जाकर भाभी के जिस्म का सोच कर मुठ मारी और नहा कर बाहर आ गया।
फिर भाभी और मैंने चाय पी और कुछ इधर उधर की बातें की।
रात को खाने के बाद में टीवी देख रहा था और भाभी रसोई में काम निपटा रही थी। उसके बाद भाभी आशिमा को देखने रूम में चली गयी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोली- आशिमा सो गयी है. तुम टीवी बंद करो, चलो कुछ बात करते हैं, ऐसा मौका बहुत कम मिलता है।
मेरे सामने अभी भी भाभी का ब्रा-पेंटी वाला लुक आ रहा था।
मैं बोला- ठीक है।
और टीवी बंद कर दिया।
हम बातें करने लगे.
भाभी फिर मुझसे बोली- मुझे ऐसा लग रहा है कि तलाक के बाद तुम बहुत अकेलापन महसूस कर रहे हो।
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है, सारा दिन तो आफिस में चला जाता है। और बाकी टाइम दोस्तों के साथ।
भाभी बोली- मैं उस सबकी बात नहीं कर रही।
मुझे थोड़ा सोचने में समझ आया कि भाभी क्या बोलना चाह रही हैं। फिर भी मैंने पूछा- तो फिर आप किसकी बात कर रही हैं?
वो कुछ न बोली, बस चुप रही।
मैंने फिर पूछा- बोलो न भाभी, आप क्या बोल रही थी?
सीमा बोली- नहाने से पहले बाथरूम में क्या कर रहे थे?
मेरी तो हालात खराब हो गयी।
मैं बोला- सॉरी भाभी में वो बस!
बोल के में चुप हो गया।
सीमा भाभी बोली- और कल जो हरकत तुमने मेरे कपड़ों के साथ की उसका क्या?
वो आगे बोली- तुमने बाथरूम तो साफ कर दिया था पर मेरे कपड़े ठीक से साफ नहीं किये थे। मुझे कल ही शक हो गया था तो आज जब तुम नहा रहे थे तो चेक करने आयी थी। तुम इतने मस्त हो गए कि दरवाजा बन्द करना भूल गए।
मैं कुछ नहीं बोला, बस सीमा की सुनता रहा और करता भी क्या।
थोड़ी देर बस शांति रही, फिर मैं ही बोला- सॉरी भाभी … पर प्लीज किसी मत बोलना!
सीमा बोली- वो बात नहीं है … तुम समझ नहीं रहे हो।
मैं बोला- मैं आपको बहुत मानता हूँ भाभी! आप बोलो बस?
वो बोली- तुम अपने आप को क्यों इस तरह बर्बाद क्यों कर रहे हो, शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैं बोला- हम कल बात कर चुके हैं. और मैं कोई बात नहीं करना चाहता। केवल इस सब के लिए मैं अपनी जिंदगी फिर से खराब नहीं करूँगा।
भाभी थोड़ा गुस्सा होकर बोली- और जो तुम ये सब कर रहे हो? उससे भी तो जिंदगी खराब ही हो रही है, जैसे मेरी हो रही है।
मैं बोला- क्या बोला आपने? आपकी जिंदगी कैसे खराब हो रही है?
सीमा को लगा कि वो कुछ ज्यादा बोल गयी, वो संभालते हुए बोली- कुछ नहीं … मैं ऐसा कुछ नहीं बोली।
मैंने फिर थोड़ा जोर देकर बोला- नहीं … आपने कुछ तो बोला, बताओ ना क्या बात है।
फिर सीमा बोली- तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे भैया मुझसे 7 साल बड़े हैं। हमारा बेटा यश होने के बाद उनके जोर देने पर मैंने अपना आपरेशन करवा लिया ताकि मैं पुनः माँ न बन सकूं। उसके कुछ साल तक तो सबकुछ ठीक चला. पर अभी कुछ महीनों से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा।
मैंने आगे पूछा- ऐसा क्या हुआ भाभी?
सीमा बोली- आजकल कुछ उखड़े से रहते हैं, दुकान से आने के बाद भी जल्दी सो जाते हैं। न ही कुछ बात करते हैं और न ही …
मैं समझ गया कि सीमा भाभी आगे क्या कहना चाहती थी पर मैंने भी पूछ ही लिया- न ही क्या भाभी?
सीमा बोली- अब इतने भी नादान न बनो! कुछ बातें बताने की नहीं होती समझने की भी होती हैं.
कुछ देर हम कुछ ना बोले.
फिर सीमा ही बोली- अब बर्दाश्त नहीं होता मयंक!
मैं बोला- जो भी दिल में हो साफ साफ बोल दो भाभी, मैं वादा करता हूँ कि यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।
सीमा ने मेरी आंखों में देखा और उसे ये विश्वास हो गया कि मैं वाकयी भरोसे के लायक हूँ।
उसकी परीक्षा हाल में जाते ही मैंने भाभी से कहा- परीक्षा खत्म होने में 3 घंटे बाकी हैं, तब तक हम घर होकर आते हैं।
भाभी बोली-ठीक है!
और हम घर आ गए।
घर आकर भाभी बोली- खाना बनाने के लिए कुछ सामान चाहिए, ला दो!
मैं ‘ठीक है’ बोलकर चला गया और सामान लेकर वापस आया।
मेरे पास घर की एक चाबी हमेशा रहती है तो मैं उससे दरवजा खोलकर आ गया।
समान रसोई में रखकर अंदर गया तो रूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था। मैंने अंदर देखा तो भाभी सिर्फ ब्रा पेंटी में खड़ी थी, वो नहा कर बाहर आई ही थी।
मैं उनके नंगे जिस्म को निहार रहा था.
जब भाभी बाहर आने को हुई तो में चुपचाप रसोई में चला गया और सामान जमाने लगा।
भाभी ने पूछा- तुम कब आये, पता ही नहीं चला?
मैंने बड़े आराम से कहा- बस अभी आया।
भाभी बोली- ठीक है, तुम नहा लो, मैं चाय बना लेती हूँ।
मैं ‘ठीक है’ बोलकर नहाने चला गया और बाथरूम में जाकर भाभी के जिस्म का सोच कर मुठ मारी और नहा कर बाहर आ गया।
फिर भाभी और मैंने चाय पी और कुछ इधर उधर की बातें की।
रात को खाने के बाद में टीवी देख रहा था और भाभी रसोई में काम निपटा रही थी। उसके बाद भाभी आशिमा को देखने रूम में चली गयी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोली- आशिमा सो गयी है. तुम टीवी बंद करो, चलो कुछ बात करते हैं, ऐसा मौका बहुत कम मिलता है।
मेरे सामने अभी भी भाभी का ब्रा-पेंटी वाला लुक आ रहा था।
मैं बोला- ठीक है।
और टीवी बंद कर दिया।
हम बातें करने लगे.
भाभी फिर मुझसे बोली- मुझे ऐसा लग रहा है कि तलाक के बाद तुम बहुत अकेलापन महसूस कर रहे हो।
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है, सारा दिन तो आफिस में चला जाता है। और बाकी टाइम दोस्तों के साथ।
भाभी बोली- मैं उस सबकी बात नहीं कर रही।
मुझे थोड़ा सोचने में समझ आया कि भाभी क्या बोलना चाह रही हैं। फिर भी मैंने पूछा- तो फिर आप किसकी बात कर रही हैं?
वो कुछ न बोली, बस चुप रही।
मैंने फिर पूछा- बोलो न भाभी, आप क्या बोल रही थी?
सीमा बोली- नहाने से पहले बाथरूम में क्या कर रहे थे?
मेरी तो हालात खराब हो गयी।
मैं बोला- सॉरी भाभी में वो बस!
बोल के में चुप हो गया।
सीमा भाभी बोली- और कल जो हरकत तुमने मेरे कपड़ों के साथ की उसका क्या?
वो आगे बोली- तुमने बाथरूम तो साफ कर दिया था पर मेरे कपड़े ठीक से साफ नहीं किये थे। मुझे कल ही शक हो गया था तो आज जब तुम नहा रहे थे तो चेक करने आयी थी। तुम इतने मस्त हो गए कि दरवाजा बन्द करना भूल गए।
मैं कुछ नहीं बोला, बस सीमा की सुनता रहा और करता भी क्या।
थोड़ी देर बस शांति रही, फिर मैं ही बोला- सॉरी भाभी … पर प्लीज किसी मत बोलना!
सीमा बोली- वो बात नहीं है … तुम समझ नहीं रहे हो।
मैं बोला- मैं आपको बहुत मानता हूँ भाभी! आप बोलो बस?
वो बोली- तुम अपने आप को क्यों इस तरह बर्बाद क्यों कर रहे हो, शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैं बोला- हम कल बात कर चुके हैं. और मैं कोई बात नहीं करना चाहता। केवल इस सब के लिए मैं अपनी जिंदगी फिर से खराब नहीं करूँगा।
भाभी थोड़ा गुस्सा होकर बोली- और जो तुम ये सब कर रहे हो? उससे भी तो जिंदगी खराब ही हो रही है, जैसे मेरी हो रही है।
मैं बोला- क्या बोला आपने? आपकी जिंदगी कैसे खराब हो रही है?
सीमा को लगा कि वो कुछ ज्यादा बोल गयी, वो संभालते हुए बोली- कुछ नहीं … मैं ऐसा कुछ नहीं बोली।
मैंने फिर थोड़ा जोर देकर बोला- नहीं … आपने कुछ तो बोला, बताओ ना क्या बात है।
फिर सीमा बोली- तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे भैया मुझसे 7 साल बड़े हैं। हमारा बेटा यश होने के बाद उनके जोर देने पर मैंने अपना आपरेशन करवा लिया ताकि मैं पुनः माँ न बन सकूं। उसके कुछ साल तक तो सबकुछ ठीक चला. पर अभी कुछ महीनों से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा।
मैंने आगे पूछा- ऐसा क्या हुआ भाभी?
सीमा बोली- आजकल कुछ उखड़े से रहते हैं, दुकान से आने के बाद भी जल्दी सो जाते हैं। न ही कुछ बात करते हैं और न ही …
मैं समझ गया कि सीमा भाभी आगे क्या कहना चाहती थी पर मैंने भी पूछ ही लिया- न ही क्या भाभी?
सीमा बोली- अब इतने भी नादान न बनो! कुछ बातें बताने की नहीं होती समझने की भी होती हैं.
कुछ देर हम कुछ ना बोले.
फिर सीमा ही बोली- अब बर्दाश्त नहीं होता मयंक!
मैं बोला- जो भी दिल में हो साफ साफ बोल दो भाभी, मैं वादा करता हूँ कि यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।
सीमा ने मेरी आंखों में देखा और उसे ये विश्वास हो गया कि मैं वाकयी भरोसे के लायक हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
