06-06-2022, 05:57 PM
मुझे मसखरी सूझी, मैंने पूछा- अंदर के मतलब?
तो वो बनावटी गुस्से में बोली- बाहर आकर पिटाई लगाऊँगी.
मैंने फिर चुटकी ली- भाभी जान, ऐसे ही बाहर आओगी क्या?
उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और कहा- प्लीज जल्दी दे दो, ठंड लग रही है।
मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए उन्हें ब्रा पैंटी और गाऊन दे दिया। मेरे मन से डर निकल चुका था, जब कपड़े दे रहा था तो मैं अंदर झांकने की कोशिश भी कर रहा था।
भाभी दरवाजे के पीछे सिमटी हुई थी पर उनकी पीठ, गांड और सीने के उभार थोड़ा दिख रहा था।
मैं गरम हो रहा था।
भाभी दो मिनट बाद बाहर आई. तब तक मैं तौलिये में ही खड़ा था और मेरा हथियार भी उठा हुआ था। भाभी मेरी बालों वाली छाती निहार रही थी।
मेरे सारे कपड़े गीले हो चुके थे तो भाभी ने भैया के कपड़े पहनने के लिए दिए। वो लगातार मुझे निहारे जा रही थी और मैं उन्हें!
जब वो कपड़े देकर कमरे से बाहर जा रही थी, तब अचानक पता नहीं कैसी उत्तेजना की लहर हम दोनों के शरीर में दौड़ी कि बिना कुछ कहे कुछ ही सेकण्ड्स में हम एक दूसरे से चुम्बक की तरह चिपक गए। हम एक दूसरे को अपने अंदर समा लेना चाहते थे।
आमने सामने से चिपकने के बाद मैंने उन्हें पीछे से दबोच लिया पर मेरी मेरी हाइट ज्यादा होने के कारण मुझे बहुत झुकना पड़ रहा था और उनसे सही से चिपक नहीं पा रहा था तो मैं वहीं फर्श पर पालथी मार का बैठ गया और भाभी को भी अपनी गोद में पीठ अपनी तरफ करके बैठा लिया। बैठते वक्त मेरा टॉवेल फैल गया और लंड बाहर निकल आया.
भाभी उसी पर बैठ गई. बैठते ही थोड़ा उचकी पर पोजीशन सेट करके मैंने वापस गोद में जकड़ लिया.
फिर शुरू हुआ चुम्बनों का सिलसिला!
उनके बारिश में भीगे बाल गालों और गले से चिपके हुए थे। मैं उन पर चुम्बनों की बौछार कर रहा था और मेरे हाथ उनके बूब्स मसल रहे थे. मेरे हाथों के ऊपर हाथ रखकर वो अपनी उत्तेजना को नियांत्रित करने की नाकाम कोशिश में लगी हुई थी।
बैठे बैठे ही मैंने उनकी गाउन कमर तक खिसका दी थी। पीठ गले और गालों पे किस करने के बाद हमारे होंठ आपस में मिल गए, वो अपना चेहरा पीछे मोड़ कर और मैं उनके चेहरे पर झुक कर न जाने कितनी देर तक किस करते रहे.
तभी मेरा दायां हाथ उनकी पैंटी में उतर गया। अंदर कामरस से भीगी चिकनी हुई चूत पर मैंने उंगलियाँ फेरनी शुरू की और भाभी मचलने लगी।
मैंने गले, गर्दन, होंठ बूब्स और चूत पर चौतरफा हमला बोल दिया था। हम दोनों पागल हुए जा रहे थे।
तो वो बनावटी गुस्से में बोली- बाहर आकर पिटाई लगाऊँगी.
मैंने फिर चुटकी ली- भाभी जान, ऐसे ही बाहर आओगी क्या?
उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और कहा- प्लीज जल्दी दे दो, ठंड लग रही है।
मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए उन्हें ब्रा पैंटी और गाऊन दे दिया। मेरे मन से डर निकल चुका था, जब कपड़े दे रहा था तो मैं अंदर झांकने की कोशिश भी कर रहा था।
भाभी दरवाजे के पीछे सिमटी हुई थी पर उनकी पीठ, गांड और सीने के उभार थोड़ा दिख रहा था।
मैं गरम हो रहा था।
भाभी दो मिनट बाद बाहर आई. तब तक मैं तौलिये में ही खड़ा था और मेरा हथियार भी उठा हुआ था। भाभी मेरी बालों वाली छाती निहार रही थी।
मेरे सारे कपड़े गीले हो चुके थे तो भाभी ने भैया के कपड़े पहनने के लिए दिए। वो लगातार मुझे निहारे जा रही थी और मैं उन्हें!
जब वो कपड़े देकर कमरे से बाहर जा रही थी, तब अचानक पता नहीं कैसी उत्तेजना की लहर हम दोनों के शरीर में दौड़ी कि बिना कुछ कहे कुछ ही सेकण्ड्स में हम एक दूसरे से चुम्बक की तरह चिपक गए। हम एक दूसरे को अपने अंदर समा लेना चाहते थे।
आमने सामने से चिपकने के बाद मैंने उन्हें पीछे से दबोच लिया पर मेरी मेरी हाइट ज्यादा होने के कारण मुझे बहुत झुकना पड़ रहा था और उनसे सही से चिपक नहीं पा रहा था तो मैं वहीं फर्श पर पालथी मार का बैठ गया और भाभी को भी अपनी गोद में पीठ अपनी तरफ करके बैठा लिया। बैठते वक्त मेरा टॉवेल फैल गया और लंड बाहर निकल आया.
भाभी उसी पर बैठ गई. बैठते ही थोड़ा उचकी पर पोजीशन सेट करके मैंने वापस गोद में जकड़ लिया.
फिर शुरू हुआ चुम्बनों का सिलसिला!
उनके बारिश में भीगे बाल गालों और गले से चिपके हुए थे। मैं उन पर चुम्बनों की बौछार कर रहा था और मेरे हाथ उनके बूब्स मसल रहे थे. मेरे हाथों के ऊपर हाथ रखकर वो अपनी उत्तेजना को नियांत्रित करने की नाकाम कोशिश में लगी हुई थी।
बैठे बैठे ही मैंने उनकी गाउन कमर तक खिसका दी थी। पीठ गले और गालों पे किस करने के बाद हमारे होंठ आपस में मिल गए, वो अपना चेहरा पीछे मोड़ कर और मैं उनके चेहरे पर झुक कर न जाने कितनी देर तक किस करते रहे.
तभी मेरा दायां हाथ उनकी पैंटी में उतर गया। अंदर कामरस से भीगी चिकनी हुई चूत पर मैंने उंगलियाँ फेरनी शुरू की और भाभी मचलने लगी।
मैंने गले, गर्दन, होंठ बूब्स और चूत पर चौतरफा हमला बोल दिया था। हम दोनों पागल हुए जा रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.