06-06-2022, 05:55 PM
मैं एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पद पर एरोनॉटिकल इंजिनीयरिंग विभाग में हूँ। मेरी लंबाई, हाजिर जवाबी और मिलनसार नेचर के कारण मैं सभी को आसानी से आकर्षित कर लेता हूँ खासतौर पर लड़कियों और भाभियों को।
एक बात और बताना चाहूंगा दोस्तो … मुझे तसल्ली वाला सेक्स करना पसंद है, मैं मेरे पार्टनर को हमेशा प्यार, आदर और केअर के साथ हैंडल करता हूँ। एक बार सेक्स करना शुरू करता हूँ तो वक़्त का ध्यान नहीं रहता. मैं कहानी में शायद ये न बता पाऊँ कि मैं कितनी देर किस किया, कितनी देर ओरल किया और कितनी देर शॉट लगाये।
बस मेरे लिए मेरी और मेरे पार्टनर की तृप्ति ही सर्वोपरि होती है।
आइये ज्यादा बोर न करते हुए आपको अपनी देवर भाभी की कहानी पर ले चलता हूँ। मैं पुणे के खराड़ी एरिया में रहता हूँ यहीं मेरा ऑफिस भी है।
मेरे दूर के रिश्ते के भैया भाभी भी इसी एरिया में रहते हैं.
यह मुझे तब पता लगा जब मैं ट्रेन से पुणे आ रहा था और वो भी अचानक उसी ट्रेन में मिल गए। बहुत सालों पहले भैया से मिला था तब उनकी शादी नहीं हुई थी.
वो मुझे अपने साथ अपनी सीट पे ले गए जहां भाभी और उनकी दो साल की बेटी भी थी।
अब भाभी की खूबसूरती बयां करता हूँ. उनका रंग गोरा, न मोटी न पतली, शरीर में सभी जगह परफेक्ट अनुपात में माँस बँटा था। फिगर भी 34-30-32 का था। कुल मिला कर उन्होंने मेरे अंदर एक हलचल पैदा कर दी थी।
पर भैया के सामने होने के कारण मैंने कुछ जाहिर नहीं किया।
दिन भर का सफर भैया भाभी के साथ बातें करने, दूसरे रिश्तेदारों को याद करने और उनकी बिटिया के साथ खेलने में निकल गया।
इस तरह मैं उनसे काफी हिल मिल गया और वो भी मुझसे खुल गई।
हम सब ने अपने-अपने घर से लाया हुआ खाना मिलकर खाया और फिर मैं अपनी सीट पर आकर सो गया.
पर भाभी की सुंदरता ने मेरे अंदर आग सी लगा दी थी।
दोस्तो, जितनी आनंददायक चुदाई होती है उतना ही रोमांचक उसको हासिल करने का सफर भी होता है। प्रेयसी की छोटी से छोटी बात के मायने निकलना उसके इरादों को समझने की कोशिश करना, अपनी बात समझाने की कोशिश करना, इन सब में गांड फटी में रहती जब एक-एक कदम आगे बढ़ाते हैं कि कहीं बात बिगड़ न जाये और इज्जत का कचरा न हो जाये.
खैर इस दौर का भी अपना ही एक मज़ा है, रोमांच है।
अब आते हैं असल देवर भाभी कहानी पे:
एक बात और बताना चाहूंगा दोस्तो … मुझे तसल्ली वाला सेक्स करना पसंद है, मैं मेरे पार्टनर को हमेशा प्यार, आदर और केअर के साथ हैंडल करता हूँ। एक बार सेक्स करना शुरू करता हूँ तो वक़्त का ध्यान नहीं रहता. मैं कहानी में शायद ये न बता पाऊँ कि मैं कितनी देर किस किया, कितनी देर ओरल किया और कितनी देर शॉट लगाये।
बस मेरे लिए मेरी और मेरे पार्टनर की तृप्ति ही सर्वोपरि होती है।
आइये ज्यादा बोर न करते हुए आपको अपनी देवर भाभी की कहानी पर ले चलता हूँ। मैं पुणे के खराड़ी एरिया में रहता हूँ यहीं मेरा ऑफिस भी है।
मेरे दूर के रिश्ते के भैया भाभी भी इसी एरिया में रहते हैं.
यह मुझे तब पता लगा जब मैं ट्रेन से पुणे आ रहा था और वो भी अचानक उसी ट्रेन में मिल गए। बहुत सालों पहले भैया से मिला था तब उनकी शादी नहीं हुई थी.
वो मुझे अपने साथ अपनी सीट पे ले गए जहां भाभी और उनकी दो साल की बेटी भी थी।
अब भाभी की खूबसूरती बयां करता हूँ. उनका रंग गोरा, न मोटी न पतली, शरीर में सभी जगह परफेक्ट अनुपात में माँस बँटा था। फिगर भी 34-30-32 का था। कुल मिला कर उन्होंने मेरे अंदर एक हलचल पैदा कर दी थी।
पर भैया के सामने होने के कारण मैंने कुछ जाहिर नहीं किया।
दिन भर का सफर भैया भाभी के साथ बातें करने, दूसरे रिश्तेदारों को याद करने और उनकी बिटिया के साथ खेलने में निकल गया।
इस तरह मैं उनसे काफी हिल मिल गया और वो भी मुझसे खुल गई।
हम सब ने अपने-अपने घर से लाया हुआ खाना मिलकर खाया और फिर मैं अपनी सीट पर आकर सो गया.
पर भाभी की सुंदरता ने मेरे अंदर आग सी लगा दी थी।
दोस्तो, जितनी आनंददायक चुदाई होती है उतना ही रोमांचक उसको हासिल करने का सफर भी होता है। प्रेयसी की छोटी से छोटी बात के मायने निकलना उसके इरादों को समझने की कोशिश करना, अपनी बात समझाने की कोशिश करना, इन सब में गांड फटी में रहती जब एक-एक कदम आगे बढ़ाते हैं कि कहीं बात बिगड़ न जाये और इज्जत का कचरा न हो जाये.
खैर इस दौर का भी अपना ही एक मज़ा है, रोमांच है।
अब आते हैं असल देवर भाभी कहानी पे:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
