06-06-2022, 05:40 PM
मैंने चुम्बन करते हुए उनकी दोनों टांगों को फैला दिया और दोनों हाथो को अपने हाथ से पकड़ लिया। चुम्बन करते करते थोड़ी ही देर में मैंने पूरा लन्ड चूत में एक बार में ही घुसेड़ दिया।
भाभी ने मुझे पैरों से कस कर जकड़ लिया, वे अपने हाथ छुड़ाना चाह रही थी। मैं भाभी का दर्द समझ सकता था, लेकिन उनकी चूत बहुत टाईट थी तो दर्द होना ही था।
थोड़ी देर में सब नोर्मल हो गया तो मैंने उन्हें ढीला छोड़ दिया. भाभी की आँखों में आंसू थे.
मैंने उन्हें फिर से सॉरी कहा लेकिन भाभी कुछ नहीं बोली।
मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में ही था।
फिर मैंने भाभी की चूत में झटके लगाने शुरू कर दिए।
भाभी- आआहह आआओहह हहआ आआआ हम्मह आहह!!
हम दोनों ही ज्यादा देर नहीं टिक पाए और दोनों एक साथ दस मिनट में झड़ गए। भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उन्होंने मेरी पीठ पर नाखून भी गड़ा दिए। मुझे पहली बार किसी की चूत में झरने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें दस साल बाद चूत में लन्ड लेने का।
थोड़ी देर में मैं अलग हुआ तो मैंने अपने लन्ड पर खून देखा तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत बंद हो गई थी जो मैंने खोल दी।
फिर कुछ देर आराम करके मैं उन्हें अपनी फेवरेट पोजीशन में ले आया और उनकी दोबारा चुदाई शुरू कर दी, इस बार लन्ड को डालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
भाभी- आआआ आआहह आहह आआ… भर दो मेरी चूत … आआआ आओओ आआहह …भईया …बहुत मजा आ रहा है आआ आआहह.
ऐसा लग रहा था कि भाभी को भी इस पोजीशन में चुदना पसन्द आया। भाभी सिसकारियाँ लेते हुए फिर से झड़ गईं। मैं नहीं झड़ा था इसीलिए मैं धक्के लगाए जा रहा था तो भाभी ने मुझे रूकने के लिए कहा.
तो मैं रूक कर भाभी की गांड देखने लगा, उनकी गांड का छेद बहुत छोटा था। मैंने उनसे गांड चोदने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया।
भाभी- मैंने वहाँ कभी नहीं लिया और न ही कभी लूँगी।
फिर मैं भाभी को गोद उठाकर बैड पर मैं नीचे लेट गया और उन्हें अपने ऊपर बैठा लिया। फिर मैंने नीचे से ही उनकी चूत चोदना शुरू कर दी।
भाभी- आआहह आआआ आआहह आहह आहह … चोदो मुझे … बहुत तंग करती है ये… चोदो … आउहह आआआ ओहह.
इस बार हम दोनों फिर एक साथ ही झड़ गए। कमरे में उनकी और मेरी साँसों की ही आवाज गूँज रही थी। भाभी झड़ कर मेरे ऊपर लेट कर मेरे को चूमने लगी। हम दोनों ही थक गए। मैं सुबह से शादी के काम और अब एक असन्तुष्ट औरत को सन्तुष्ट करने में थक चुका था।
भाभी मुझसे चुद कर सन्तुष्ट लग रही थी- आपने मेरी प्यासी ज़िन्दगी की चुदाई करके मुझे सन्तुष्ट कर दिया। काश आप ही मेरे पति होते, मैं आपके बच्चे की मां बनती। सच में देवर जी मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया।
बात करते करते भाभी सो गई।
मैंने घड़ी में टाईम देखा 2:40 बज रहे थे। मैं मोबाइल में सुबह पाँच बजे का आलर्म लगा कर भाभी को देखते हुए सोचने लगा कि चुत क्या क्या करवाती है। अपने से छोटे के साथ सेक्स करना। इतने में मुझे कब नीन्द आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह आलर्म बजा मैं उठा, मैंने भाभी को उठाया और उनसे उनके कमरे में जाकर नहा कर तैयार होने को कहा। भाभी कपड़े पहनने लगी, मैंने उन्हें रोका और कहा- ऐसे ही चली जाओ आप, अभी बाहर कोई नहीं होगा।
भाभी- आपको पता है बाहर कैमरा लगा हुआ है जिसका डायरेक्शन हमारे कमरे की साईड ही है।
मैं- मुझे पता है। मैंने रात में आपके यहाँ आने से पहले उस कैमरे का डायरेक्शन दीवार की साईड कर दिया ताकि आप यहाँ आते हुए कैमरे में न दिखो।
भाभी- अरे वाह देवर जी।
भाभी ने मुझे पैरों से कस कर जकड़ लिया, वे अपने हाथ छुड़ाना चाह रही थी। मैं भाभी का दर्द समझ सकता था, लेकिन उनकी चूत बहुत टाईट थी तो दर्द होना ही था।
थोड़ी देर में सब नोर्मल हो गया तो मैंने उन्हें ढीला छोड़ दिया. भाभी की आँखों में आंसू थे.
मैंने उन्हें फिर से सॉरी कहा लेकिन भाभी कुछ नहीं बोली।
मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में ही था।
फिर मैंने भाभी की चूत में झटके लगाने शुरू कर दिए।
भाभी- आआहह आआओहह हहआ आआआ हम्मह आहह!!
हम दोनों ही ज्यादा देर नहीं टिक पाए और दोनों एक साथ दस मिनट में झड़ गए। भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उन्होंने मेरी पीठ पर नाखून भी गड़ा दिए। मुझे पहली बार किसी की चूत में झरने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें दस साल बाद चूत में लन्ड लेने का।
थोड़ी देर में मैं अलग हुआ तो मैंने अपने लन्ड पर खून देखा तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत बंद हो गई थी जो मैंने खोल दी।
फिर कुछ देर आराम करके मैं उन्हें अपनी फेवरेट पोजीशन में ले आया और उनकी दोबारा चुदाई शुरू कर दी, इस बार लन्ड को डालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
भाभी- आआआ आआहह आहह आआ… भर दो मेरी चूत … आआआ आओओ आआहह …भईया …बहुत मजा आ रहा है आआ आआहह.
ऐसा लग रहा था कि भाभी को भी इस पोजीशन में चुदना पसन्द आया। भाभी सिसकारियाँ लेते हुए फिर से झड़ गईं। मैं नहीं झड़ा था इसीलिए मैं धक्के लगाए जा रहा था तो भाभी ने मुझे रूकने के लिए कहा.
तो मैं रूक कर भाभी की गांड देखने लगा, उनकी गांड का छेद बहुत छोटा था। मैंने उनसे गांड चोदने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया।
भाभी- मैंने वहाँ कभी नहीं लिया और न ही कभी लूँगी।
फिर मैं भाभी को गोद उठाकर बैड पर मैं नीचे लेट गया और उन्हें अपने ऊपर बैठा लिया। फिर मैंने नीचे से ही उनकी चूत चोदना शुरू कर दी।
भाभी- आआहह आआआ आआहह आहह आहह … चोदो मुझे … बहुत तंग करती है ये… चोदो … आउहह आआआ ओहह.
इस बार हम दोनों फिर एक साथ ही झड़ गए। कमरे में उनकी और मेरी साँसों की ही आवाज गूँज रही थी। भाभी झड़ कर मेरे ऊपर लेट कर मेरे को चूमने लगी। हम दोनों ही थक गए। मैं सुबह से शादी के काम और अब एक असन्तुष्ट औरत को सन्तुष्ट करने में थक चुका था।
भाभी मुझसे चुद कर सन्तुष्ट लग रही थी- आपने मेरी प्यासी ज़िन्दगी की चुदाई करके मुझे सन्तुष्ट कर दिया। काश आप ही मेरे पति होते, मैं आपके बच्चे की मां बनती। सच में देवर जी मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया।
बात करते करते भाभी सो गई।
मैंने घड़ी में टाईम देखा 2:40 बज रहे थे। मैं मोबाइल में सुबह पाँच बजे का आलर्म लगा कर भाभी को देखते हुए सोचने लगा कि चुत क्या क्या करवाती है। अपने से छोटे के साथ सेक्स करना। इतने में मुझे कब नीन्द आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह आलर्म बजा मैं उठा, मैंने भाभी को उठाया और उनसे उनके कमरे में जाकर नहा कर तैयार होने को कहा। भाभी कपड़े पहनने लगी, मैंने उन्हें रोका और कहा- ऐसे ही चली जाओ आप, अभी बाहर कोई नहीं होगा।
भाभी- आपको पता है बाहर कैमरा लगा हुआ है जिसका डायरेक्शन हमारे कमरे की साईड ही है।
मैं- मुझे पता है। मैंने रात में आपके यहाँ आने से पहले उस कैमरे का डायरेक्शन दीवार की साईड कर दिया ताकि आप यहाँ आते हुए कैमरे में न दिखो।
भाभी- अरे वाह देवर जी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
