06-06-2022, 05:39 PM
भाभी मेरी शर्ट और जीन्स के बटन खोलने लगीं, जीन्स टाईट थी उनसे उतरी नहीं फिर मैंने उतारी। वो मेरे छाती को चूमे जा रही थी।
मैं उन्हें गोद में उठा कर बैड पर ले गया और लेटा कर मैं भी उनके ऊपर लेट गया। अपना हाथ पीछे ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनके बूब्स को आजाद कर दिया फिर एक दूध अपने हाथ से दबाने लगा दूसरा मुंह में लेकर चूसने लगा।
भाभी के मुँह से बस सिसकारी ही निकल रही थी।
यही काम फिर मैंने दूसरे वाले स्तन के साथ किया.
लेकिन दूसरे वाले को चूसने के बाद उनके निप्पल को मैंने काट दिया उनकी बहुत तेज सिसकारी निकल गई- आहह! देवर जी ये क्या कर रहे हो … आह!!
मैं उनकी बात अनसुना करते हुए उनके पेट पर आ गया, चूमने लगा और नाभि चाटने लगा।
भाभी- आआहह इतना क्यों तड़पा रहे हो आप … आआआहह!
धीरे धीरे मैं उनकी पैन्टी के ऊपर आ गया जो पूरी गीली थी उनके पानी से।
मैं पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूम रहा था।
भाभी- आआआ हहआ आआह!!!!
मैं भाभी की पैन्टी उतारने लगा भाभी ने अपनी कमर उठा कर अपनी पैन्टी उतरवाने में मेरी मदद की। पैन्टी को उतारने के बाद मैंने उतनी चूत देखी तो मुझे बहुत ही बुरा लगा क्योंकि उनकी चूत पर लम्बी लम्बी झाँटें थी, उनके जंगल में चूत दिखी ही नहीं रही थी।
मैं- भाभी आप झाँटें कभी साफ नहीं करती हो क्या?
भाभी- नहीं, इसे क्या साफ करना। आप अपना साफ रखते हो क्या?
मैं- हाँ, मेरे तो बहुत चुभती हैं, इसलिए मैं तो साफ ही रखता हूँ।
लेकिन चूत चाटे बगैर मेरे लिए सेक्स अधूरा है इसलिए मैं उस झाँटों वाली चूत को चाटने लगा।
भाभी- छीः ये गन्दी जगह है इसे क्यों चूम रहे हो?
मैं चूत चाटे जा रहा था इतने में मैंने उनके चूम के दाने को ढूँढ कर काट दिया। भाभी अपने एक हाथ से अपना दूध और दूसरे से मेरे सर के बाल खींच रही थीं।
भाभी- आआहह आहह आआआ हहआ आआआ.
भाभी ज्यादा देर नहीं टिक पाईं वो झड़ गई और उनका सारा नमकीन चूत रस मैं पी गया।
भाभी- आहह आओआहह!!!!!
चूत साफ करने के बाद मैंने अपना अन्डरवियर उतार कर भाभी को अपने लन्ड के दर्शन कराये, भाभी मेरा लन्ड देख कर बहुत ही खुश लग रही थी।
इशारे में मैंने उनसे चूसने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया, मैं भी ज्यादा जोर न देकर उनके ऊपर लेट गया।
भाभी- अब और न तड़पाओ देवर जी, अपना लिंग मेरी योनि में डाल कर मेरी प्यास बुझा दो।
पास में पानी की बोतल रखी थी मैंने उठा कर उन्हें देकर कहा- लो पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो।
भाभी- कौन सी प्यास, इतना भी नहीं समझते क्या?
मैं- ये बात पहले आप गन्दी भाषा में कहो फिर मैं कुछ करूंगा।
भाभी- अच्छा जी, देवर जी अपनी प्यासी भाभी की चूत की चुदाई अपने लन्ड से कर दो। अब तो डाल दो।
चुम्बन फिर शुरू हो गया. मैं लन्ड से उनकी चूत की लकीर पर हल्के से रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी बेचैन हो गई और लन्ड लेने को उत्सुक हो गई, वो अपनी गांड उठा कर लन्ड लेना चाह रही थी मैं भी लन्ड पीछे कर ले रहा था।
चार बार ऐसा करने के बाद बाद पांचवी बार में मैंने भाभी की चूत मैं लन्ड डाल दिया. मेरा लन्ड 2 इन्च ही घुस पाया था कि भाभी की बहुत तेज चीख निकल गई।
भाभी- आराम से करो भईया! आपके भईया ने मुझे हमारे दूसरे बच्चे के बाद से छुआ तक नहीं है।
(जैसा मैंने आप लोगों को शुरू में बताया था.)
मैं- सॉरी भाभी।
मैं उन्हें गोद में उठा कर बैड पर ले गया और लेटा कर मैं भी उनके ऊपर लेट गया। अपना हाथ पीछे ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनके बूब्स को आजाद कर दिया फिर एक दूध अपने हाथ से दबाने लगा दूसरा मुंह में लेकर चूसने लगा।
भाभी के मुँह से बस सिसकारी ही निकल रही थी।
यही काम फिर मैंने दूसरे वाले स्तन के साथ किया.
लेकिन दूसरे वाले को चूसने के बाद उनके निप्पल को मैंने काट दिया उनकी बहुत तेज सिसकारी निकल गई- आहह! देवर जी ये क्या कर रहे हो … आह!!
मैं उनकी बात अनसुना करते हुए उनके पेट पर आ गया, चूमने लगा और नाभि चाटने लगा।
भाभी- आआहह इतना क्यों तड़पा रहे हो आप … आआआहह!
धीरे धीरे मैं उनकी पैन्टी के ऊपर आ गया जो पूरी गीली थी उनके पानी से।
मैं पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूम रहा था।
भाभी- आआआ हहआ आआह!!!!
मैं भाभी की पैन्टी उतारने लगा भाभी ने अपनी कमर उठा कर अपनी पैन्टी उतरवाने में मेरी मदद की। पैन्टी को उतारने के बाद मैंने उतनी चूत देखी तो मुझे बहुत ही बुरा लगा क्योंकि उनकी चूत पर लम्बी लम्बी झाँटें थी, उनके जंगल में चूत दिखी ही नहीं रही थी।
मैं- भाभी आप झाँटें कभी साफ नहीं करती हो क्या?
भाभी- नहीं, इसे क्या साफ करना। आप अपना साफ रखते हो क्या?
मैं- हाँ, मेरे तो बहुत चुभती हैं, इसलिए मैं तो साफ ही रखता हूँ।
लेकिन चूत चाटे बगैर मेरे लिए सेक्स अधूरा है इसलिए मैं उस झाँटों वाली चूत को चाटने लगा।
भाभी- छीः ये गन्दी जगह है इसे क्यों चूम रहे हो?
मैं चूत चाटे जा रहा था इतने में मैंने उनके चूम के दाने को ढूँढ कर काट दिया। भाभी अपने एक हाथ से अपना दूध और दूसरे से मेरे सर के बाल खींच रही थीं।
भाभी- आआहह आहह आआआ हहआ आआआ.
भाभी ज्यादा देर नहीं टिक पाईं वो झड़ गई और उनका सारा नमकीन चूत रस मैं पी गया।
भाभी- आहह आओआहह!!!!!
चूत साफ करने के बाद मैंने अपना अन्डरवियर उतार कर भाभी को अपने लन्ड के दर्शन कराये, भाभी मेरा लन्ड देख कर बहुत ही खुश लग रही थी।
इशारे में मैंने उनसे चूसने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया, मैं भी ज्यादा जोर न देकर उनके ऊपर लेट गया।
भाभी- अब और न तड़पाओ देवर जी, अपना लिंग मेरी योनि में डाल कर मेरी प्यास बुझा दो।
पास में पानी की बोतल रखी थी मैंने उठा कर उन्हें देकर कहा- लो पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो।
भाभी- कौन सी प्यास, इतना भी नहीं समझते क्या?
मैं- ये बात पहले आप गन्दी भाषा में कहो फिर मैं कुछ करूंगा।
भाभी- अच्छा जी, देवर जी अपनी प्यासी भाभी की चूत की चुदाई अपने लन्ड से कर दो। अब तो डाल दो।
चुम्बन फिर शुरू हो गया. मैं लन्ड से उनकी चूत की लकीर पर हल्के से रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी बेचैन हो गई और लन्ड लेने को उत्सुक हो गई, वो अपनी गांड उठा कर लन्ड लेना चाह रही थी मैं भी लन्ड पीछे कर ले रहा था।
चार बार ऐसा करने के बाद बाद पांचवी बार में मैंने भाभी की चूत मैं लन्ड डाल दिया. मेरा लन्ड 2 इन्च ही घुस पाया था कि भाभी की बहुत तेज चीख निकल गई।
भाभी- आराम से करो भईया! आपके भईया ने मुझे हमारे दूसरे बच्चे के बाद से छुआ तक नहीं है।
(जैसा मैंने आप लोगों को शुरू में बताया था.)
मैं- सॉरी भाभी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.