06-06-2022, 05:36 PM
वो मुझसे बोले- कहाँ था तू?
मैंने उन्हें इशारो में समझा दिया कि मैं बीयर पी रहा था।
भईया- अच्छा बेटे … चल भाभी को होटल तक छोड़ आ बच्चों को नींद आ रही है।
मैं- नींद तो मुझे भी आ रही है मैं कब से पापा को ढूँढ रहा हूँ रूम की चाबी के लिए, आप को पता है कि पापा कहाँ हैं?
भईया- इन सबके साथ ही सो जाना अपना रूम क्या खोलने की जरूरत है, हमारे रूम में तो दो डबल बैड हैं।
मैं- अरे नहीं … मुझे चेंज भी तो करना है और डबल बैड तो हमारे रूम में भी हैं।
भईया- तेरे पापा अन्दर हैं जा जल्दी जा कर चाबी ले आ क्योंकि 12 बजने वाले हैं।
फिर मैं पापा से चाभी लेकर और भाभी के साथ होटल की तरफ चल दिया. रास्ते में भाभी मेरे साथ और बच्चे आगे चल रहे थे तभी भाभी ने मुझसे धीरे से कहा- मेरे रूम की खिड़की से होटल का मेन गेट दिखता है. जब वो बन्द हो जाएगा तो मैं आपके रूम पर आ जाऊँगी।
तभी होटल आ गया. रूम्स फस्ट फ्लोर पर थे। दोनों अपने अपने रूम्स में चले गए।
ठीक 12:10 पर मेरे रूम के गेट पर खट खट हुई मतलब मेन गेट बन्द हो गया।
और यहाँ से शुरू होती है भाभी की चुदाई की रासलीला।
मैंने तुरन्त दरवाजा खोल कर भाभी को अन्दर लेकर दरवाजा बन्द कर दिया और दरवाजे से सटा कर उन्हें दबाकर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं। हम एक दूसरे की जीभ भी चूस रहे थे।
मेरा एक हाथ उनकी कमर पर, दूसरा उनके बूब्स पर और अपने लन्ड से उनकी चूत पर दबाव बना रहा था। वो अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़े हुए थी और लन्ड का दबाव जब उनकी चूत पर पड़ रहा था तो उनके मुंह से उत्तेजित होकर वो सिसकारी निकल रही थी और उनकी सिसकारियों से मैं उत्तेजित हो रहा था।
भाभी के साथ मेरा चुम्बन 10 तक मिनट चला और इस बार भाभी ने मुझे रोका भी नहीं. वो भी चुम्बन का पूरा मजा ले रही थीं।
फिर उन्होंने मुझे रुकने के लिए कहा और उन्होंने अपना मंगलसूत्र उतार के रख दिया। इस पर न मैंने उनसे कुछ कहा और न ही उन्होंने।
मंगलसूत्र उतारते ही भाभी ने मुझे दीवार बार सटा दिया और मुझे चूमने लगी। इस बार मेरे दोनों हाथ उनकी गांड पर थे जो उनकी गांड को दबा रहे थे। मैंने लन्ड से चूत को दबाना जारी रखा।
धीरे धीरे मैं अपना एक हाथ उनके ब्लाउज पर ले गया और उनकी ब्लाउज की डोर खोल दी. उसमें चैन भी थी वो भी खोल दी। मैंने भाभी का ब्लाउज उतार दिया। दुपट्टा और ज्वैलरी वो अपने ही रूम में छोड़ कर आयीं थी।
फिर मैं अपना हाथ लहंगे की डोरी की ओर ले गया और उसे भी खोल दी. उसकी चैन को मैं ढूँढता … इतने में उनका लहँगा अपने आप ही नीचे सरक गया।
मैं सोचने लगा कि ये लहँगा क्या सिर्फ एक डोर पर ही टिका था?
अगर ऐसे में किसी ने गलती से या जानबूझ कर ये डोर खोल दी तो इनके जिस्म की नुमाइश लग सकती थी।
मुझसे रूका नहीं गया और मैंने भाभी से पूछ भी लिया तो भाभी बोलीं- नहीं ऐसा नहीं है, मैंने फ्रेश होने के लिए उतारा था तो उसके हल्की सी डोर पर टिका लिया क्योंकि थोड़ी देर में तो उतरना ही है।
मैं हँस दिया उनकी बात पर!
तभी मेरा ध्यान उनकी बिकिनी पर गया जोकि उन्होंने रेड कलर की ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी जिसमें वो बहुत ही ज्यादा अच्छी लग रही थीं।
मैंने कहा- भाभी आप बिकिनी ? में बहुत ही अच्छी लग रही हो।
मैंने उन्हें इशारो में समझा दिया कि मैं बीयर पी रहा था।
भईया- अच्छा बेटे … चल भाभी को होटल तक छोड़ आ बच्चों को नींद आ रही है।
मैं- नींद तो मुझे भी आ रही है मैं कब से पापा को ढूँढ रहा हूँ रूम की चाबी के लिए, आप को पता है कि पापा कहाँ हैं?
भईया- इन सबके साथ ही सो जाना अपना रूम क्या खोलने की जरूरत है, हमारे रूम में तो दो डबल बैड हैं।
मैं- अरे नहीं … मुझे चेंज भी तो करना है और डबल बैड तो हमारे रूम में भी हैं।
भईया- तेरे पापा अन्दर हैं जा जल्दी जा कर चाबी ले आ क्योंकि 12 बजने वाले हैं।
फिर मैं पापा से चाभी लेकर और भाभी के साथ होटल की तरफ चल दिया. रास्ते में भाभी मेरे साथ और बच्चे आगे चल रहे थे तभी भाभी ने मुझसे धीरे से कहा- मेरे रूम की खिड़की से होटल का मेन गेट दिखता है. जब वो बन्द हो जाएगा तो मैं आपके रूम पर आ जाऊँगी।
तभी होटल आ गया. रूम्स फस्ट फ्लोर पर थे। दोनों अपने अपने रूम्स में चले गए।
ठीक 12:10 पर मेरे रूम के गेट पर खट खट हुई मतलब मेन गेट बन्द हो गया।
और यहाँ से शुरू होती है भाभी की चुदाई की रासलीला।
मैंने तुरन्त दरवाजा खोल कर भाभी को अन्दर लेकर दरवाजा बन्द कर दिया और दरवाजे से सटा कर उन्हें दबाकर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं। हम एक दूसरे की जीभ भी चूस रहे थे।
मेरा एक हाथ उनकी कमर पर, दूसरा उनके बूब्स पर और अपने लन्ड से उनकी चूत पर दबाव बना रहा था। वो अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़े हुए थी और लन्ड का दबाव जब उनकी चूत पर पड़ रहा था तो उनके मुंह से उत्तेजित होकर वो सिसकारी निकल रही थी और उनकी सिसकारियों से मैं उत्तेजित हो रहा था।
भाभी के साथ मेरा चुम्बन 10 तक मिनट चला और इस बार भाभी ने मुझे रोका भी नहीं. वो भी चुम्बन का पूरा मजा ले रही थीं।
फिर उन्होंने मुझे रुकने के लिए कहा और उन्होंने अपना मंगलसूत्र उतार के रख दिया। इस पर न मैंने उनसे कुछ कहा और न ही उन्होंने।
मंगलसूत्र उतारते ही भाभी ने मुझे दीवार बार सटा दिया और मुझे चूमने लगी। इस बार मेरे दोनों हाथ उनकी गांड पर थे जो उनकी गांड को दबा रहे थे। मैंने लन्ड से चूत को दबाना जारी रखा।
धीरे धीरे मैं अपना एक हाथ उनके ब्लाउज पर ले गया और उनकी ब्लाउज की डोर खोल दी. उसमें चैन भी थी वो भी खोल दी। मैंने भाभी का ब्लाउज उतार दिया। दुपट्टा और ज्वैलरी वो अपने ही रूम में छोड़ कर आयीं थी।
फिर मैं अपना हाथ लहंगे की डोरी की ओर ले गया और उसे भी खोल दी. उसकी चैन को मैं ढूँढता … इतने में उनका लहँगा अपने आप ही नीचे सरक गया।
मैं सोचने लगा कि ये लहँगा क्या सिर्फ एक डोर पर ही टिका था?
अगर ऐसे में किसी ने गलती से या जानबूझ कर ये डोर खोल दी तो इनके जिस्म की नुमाइश लग सकती थी।
मुझसे रूका नहीं गया और मैंने भाभी से पूछ भी लिया तो भाभी बोलीं- नहीं ऐसा नहीं है, मैंने फ्रेश होने के लिए उतारा था तो उसके हल्की सी डोर पर टिका लिया क्योंकि थोड़ी देर में तो उतरना ही है।
मैं हँस दिया उनकी बात पर!
तभी मेरा ध्यान उनकी बिकिनी पर गया जोकि उन्होंने रेड कलर की ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी जिसमें वो बहुत ही ज्यादा अच्छी लग रही थीं।
मैंने कहा- भाभी आप बिकिनी ? में बहुत ही अच्छी लग रही हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.