06-06-2022, 05:29 PM
लेकिन तभी अचानक से भाभी उठ कर बैठ गईं. मेरी तो हालत खराब हो गयी और मैं जल्दी से अपने बिस्तर में लेट गया. मैं धड़कते दिल से चुपचाप सो गया. सुबह भाभी बहुत गुस्से में थीं. मैं उठ कर सीधा घर से बाहर निकल गया और अपने चाचा के घर चला गया. मैंने खाना भी वहीं खाया, वहीं बना रहा.
मैं चार दिन तक घर ही नहीं आया. मेरी डर के मारे भाभी के सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
जब कुछ समय बीता, तो कुछ सामान्य हुआ. उस दिन मैं जब चाची के यहां नहा रहा था, तो भाभी छत पर आईं.
भाभी मुझसे बोलीं- क्यों … घर क्यों नहीं आ रहे हो?
तो मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी फिर से बोलीं- घर आओ तुमसे बात करनी है.
मैं डरते हुए घर गया. जब भाभी के पास गया तो भाभी बोलीं- इतना क्यों डर रहे हो, मैंने तुमसे कुछ कहा क्या?
तो मुझे थोड़ी राहत की सांस मिली.
फिर मैं घर रहने लगा. लेकिन भाभी को चोदने की तड़प अब और बढ़ गई थी.
आख़िर वो दिन भी आ गया, जब भाभी की चूत से मेरे लंड का मिलन हुआ.
वो एक तूफ़ानी रात थी. मैं उस दिन भाभी के रूम में उनके बेड पे लेटा हुआ टीवी देख रहा था. फिर अचानक मेरी आंख लग गई और टीवी देखते हुए मुझे नींद आ गई. सच में दोस्तो, ये कोई बहाना नहीं था, आज मुझे हक़ीकत में नींद आ गई थी. मेरी किस्मत थी कि मैं भैया के बेड पर ही सो गया. भाभी बगल में चारपाई पर लेट गईं, जिससे भैया बाहर जाकर और लोगों के साथ सो गए. मेरी किस्मत देखो उस दिन भाभी के साथ में उनके ही रूम में सो रहा था. रात को जब बादल गरजे और आंधी सी आई, तो मेरी आंख खुल गई.
मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी. रूम में अंधेरा हो गया था. बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी.
मैंने देखा भाभी और मैं एक ही रूम में और अंधेरा भी था. मेरा मन डोल गया. मैंने सोचा आज तो भाभी को चोद ही दूँगा. अगर आज नहीं चोद पाया, तो कभी नहीं चोद सकूंगा.
मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ रखा पहले उनके होंठों पर, फिर मम्मों पर हाथ फेरा. फिर मम्मों को खूब मसला. जब भाभी कुछ नहीं बोलीं, तो मैं उनकी चूत को सहलाने लगा. जब वो चूत सहलाने पर भी शांत रहीं, तो मैंने उनकी साड़ी ऊपर कर दी और उनकी चूत को नंगा करके उसमें एक उंगली डाल दी.
उनकी चूत भट्टी सी गर्म थी. मैंने दो उंगलियां डाल दीं. अब भाभी ने भी अपने दोनों पैर खोल दिए और उनकी चूत रस से सराबोर हो गयी.
मैं बहुत देर उनको रगड़ता रहा, कभी चुची … तो कभी चूत.
आख़िर भाभी को बोलना ही पड़ा और वो बोल उठीं- तुम शांत नहीं लेट सकते, रात भर से परेशान कर दिया, ना सो रहे हो ना सोने दे रहे हो. आज तेरे कारण न तेरे भैया ने कुछ किया … और न तू कुछ करता है.
मैं चार दिन तक घर ही नहीं आया. मेरी डर के मारे भाभी के सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
जब कुछ समय बीता, तो कुछ सामान्य हुआ. उस दिन मैं जब चाची के यहां नहा रहा था, तो भाभी छत पर आईं.
भाभी मुझसे बोलीं- क्यों … घर क्यों नहीं आ रहे हो?
तो मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी फिर से बोलीं- घर आओ तुमसे बात करनी है.
मैं डरते हुए घर गया. जब भाभी के पास गया तो भाभी बोलीं- इतना क्यों डर रहे हो, मैंने तुमसे कुछ कहा क्या?
तो मुझे थोड़ी राहत की सांस मिली.
फिर मैं घर रहने लगा. लेकिन भाभी को चोदने की तड़प अब और बढ़ गई थी.
आख़िर वो दिन भी आ गया, जब भाभी की चूत से मेरे लंड का मिलन हुआ.
वो एक तूफ़ानी रात थी. मैं उस दिन भाभी के रूम में उनके बेड पे लेटा हुआ टीवी देख रहा था. फिर अचानक मेरी आंख लग गई और टीवी देखते हुए मुझे नींद आ गई. सच में दोस्तो, ये कोई बहाना नहीं था, आज मुझे हक़ीकत में नींद आ गई थी. मेरी किस्मत थी कि मैं भैया के बेड पर ही सो गया. भाभी बगल में चारपाई पर लेट गईं, जिससे भैया बाहर जाकर और लोगों के साथ सो गए. मेरी किस्मत देखो उस दिन भाभी के साथ में उनके ही रूम में सो रहा था. रात को जब बादल गरजे और आंधी सी आई, तो मेरी आंख खुल गई.
मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी. रूम में अंधेरा हो गया था. बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी.
मैंने देखा भाभी और मैं एक ही रूम में और अंधेरा भी था. मेरा मन डोल गया. मैंने सोचा आज तो भाभी को चोद ही दूँगा. अगर आज नहीं चोद पाया, तो कभी नहीं चोद सकूंगा.
मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ रखा पहले उनके होंठों पर, फिर मम्मों पर हाथ फेरा. फिर मम्मों को खूब मसला. जब भाभी कुछ नहीं बोलीं, तो मैं उनकी चूत को सहलाने लगा. जब वो चूत सहलाने पर भी शांत रहीं, तो मैंने उनकी साड़ी ऊपर कर दी और उनकी चूत को नंगा करके उसमें एक उंगली डाल दी.
उनकी चूत भट्टी सी गर्म थी. मैंने दो उंगलियां डाल दीं. अब भाभी ने भी अपने दोनों पैर खोल दिए और उनकी चूत रस से सराबोर हो गयी.
मैं बहुत देर उनको रगड़ता रहा, कभी चुची … तो कभी चूत.
आख़िर भाभी को बोलना ही पड़ा और वो बोल उठीं- तुम शांत नहीं लेट सकते, रात भर से परेशान कर दिया, ना सो रहे हो ना सोने दे रहे हो. आज तेरे कारण न तेरे भैया ने कुछ किया … और न तू कुछ करता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.