06-06-2022, 05:28 PM
भाभी ऐसे ही टांगें फैलाए लेटी थीं. मुझे उनकी चूत साफ़ साफ दिख रही थी. उनकी चूत से भैया का पानी बह रहा था और भाभी की सांसें फूल रही थीं. दिल कर रहा था कि मैं उनके ऊपर चढ़ जाऊं. लेकिन फिर मैंने देखा भाभी उठी ही नहीं, यूं ही चूत पसारे लेटी ही रहीं.
फिर कुछ देर बाद भैया ने उनको हाथ पकड़ कर उठाया, तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत कुछ ज्यादा ही चुद गई थी, जिससे भाभी चल नहीं पा रही थीं. फिर दोनों बाहर आने के लिए कपड़े पहन कर खड़े हो गए.
मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और आंखें बंद कर लीं, जिससे उनको लगे मैं सो रहा हूँ.
ये गर्मी का समय था, इसलिए सब लोग बाहर ही सोते थे. भाभी की चारपाई मेरे बगल में ही बिछी थी. उसके बाद भैया नीचे ज़मीन पर सो गए. हम सब आंगन में ही सोते थे.
चुदी हुई भाभी मेरे बगल में आकर सो गईं, लेकिन मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.
जब रात के डेढ़ बजे, तो सब लोग गहरी नींद में थे. भाभी भी सो रही थीं. मैंने सोचा भाभी तो चुद कर थक गई हैं, इसलिए मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ फेरना चालू किया. जब कुछ हरकत नहीं हुई … तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे भाभी की साड़ी उनके पैरों से ऊपर खिसकाना चालू की. जब पूरी टांगें नंगी हो गईं, तो मेरे हाथ कांप रहे थे. ये सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था. जब उनकी चूत मेरे सामने आई.
ओह हाय क्या बताऊं … क्या नज़ारा था कितनी मुलायम रबड़ी सी चूत भाभी बिल्कुल खुली पड़ी थी. उनकी चूत पर हल्के बाल भी थे. मैंने भाभी की चूत पर हाथ फेरना चालू किया और फिर धीरे से एक उंगली उनकी चूत में सरका दी. बड़ी ही रसीली और चिकनी चूत थी. बड़े आराम से सुप्प से मेरी उंगली उनकी चूत में चली गई.
फिर जब मेरी हिम्मत और बढ़ी, तो मैंने भाभी की चुत में अपनी दो उंगलियां अन्दर कर दीं और उनको अन्दर बाहर करने लगा. मैं बहुत देर तक बड़ी भाभी की चूत में दोनों उंगलियां चलाता रहा और अपना लंड हिलाता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. भाभी के पैर धीरे धीरे खुलते जा रहे थे, उनकी चूत रस से भीग चुकी थी. मेरी दोनों उंगलियां सटासट अन्दर बाहर हो रही थीं.
फिर कुछ देर बाद भैया ने उनको हाथ पकड़ कर उठाया, तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत कुछ ज्यादा ही चुद गई थी, जिससे भाभी चल नहीं पा रही थीं. फिर दोनों बाहर आने के लिए कपड़े पहन कर खड़े हो गए.
मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और आंखें बंद कर लीं, जिससे उनको लगे मैं सो रहा हूँ.
ये गर्मी का समय था, इसलिए सब लोग बाहर ही सोते थे. भाभी की चारपाई मेरे बगल में ही बिछी थी. उसके बाद भैया नीचे ज़मीन पर सो गए. हम सब आंगन में ही सोते थे.
चुदी हुई भाभी मेरे बगल में आकर सो गईं, लेकिन मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.
जब रात के डेढ़ बजे, तो सब लोग गहरी नींद में थे. भाभी भी सो रही थीं. मैंने सोचा भाभी तो चुद कर थक गई हैं, इसलिए मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ फेरना चालू किया. जब कुछ हरकत नहीं हुई … तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे भाभी की साड़ी उनके पैरों से ऊपर खिसकाना चालू की. जब पूरी टांगें नंगी हो गईं, तो मेरे हाथ कांप रहे थे. ये सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था. जब उनकी चूत मेरे सामने आई.
ओह हाय क्या बताऊं … क्या नज़ारा था कितनी मुलायम रबड़ी सी चूत भाभी बिल्कुल खुली पड़ी थी. उनकी चूत पर हल्के बाल भी थे. मैंने भाभी की चूत पर हाथ फेरना चालू किया और फिर धीरे से एक उंगली उनकी चूत में सरका दी. बड़ी ही रसीली और चिकनी चूत थी. बड़े आराम से सुप्प से मेरी उंगली उनकी चूत में चली गई.
फिर जब मेरी हिम्मत और बढ़ी, तो मैंने भाभी की चुत में अपनी दो उंगलियां अन्दर कर दीं और उनको अन्दर बाहर करने लगा. मैं बहुत देर तक बड़ी भाभी की चूत में दोनों उंगलियां चलाता रहा और अपना लंड हिलाता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. भाभी के पैर धीरे धीरे खुलते जा रहे थे, उनकी चूत रस से भीग चुकी थी. मेरी दोनों उंगलियां सटासट अन्दर बाहर हो रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.