06-06-2022, 05:21 PM
मैंने शॉट्स लिए और उनको अपने कैमरे की गैलरी में देखा, तो मेरा लंड खड़ा होने लगा.
तभी मेरी नजर भाभी जी की तरफ गई, तो वो बड़ी बेचैनी से मेरी तरफ देख रही थीं. उनको भी शायद कैमरे के रिजल्ट जानने की इच्छा थी.
मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए थम्ब का इशारा किया. तो वे फिर से हंस दीं.
इसी तरह से मैंने पहले दिन पूरे कार्यक्रम में उनकी कई फोटो खींची.
रात में जब खाना खाकर वापस अपने होटल पहुंचा, तो देखा होटल के रिसेप्शन के पास भाभी जी अपने रूम की चाभी ले रही थीं. भाभी जी ने अचानक सर घुमाया, तो मुझे उधर देखा.
भाभी जी पूछने लगीं- मिस्टर आप यहां कैसे?
मैंने कहा- भाभी जी मेरा नाम मिस्टर नहीं बल्कि करन है … और मैं तो इसी होटल में रुका हूँ.
अब तक हम दोनों एक तरफ को आ गए थे.
भाभी जी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- कोई बात नहीं … मैं भी कम्पनी देने के लिए आ गई हूँ. मेरा नाम शालिनी है. वैसे मैं हूँ तो बिजनेसमैन की बीवी, लेकिन अकेली बोर होती हूँ, इसलिए समाजसेवा और राजनीति में अपना अपना टाइम पास करती हूँ.
उनके हाथ के स्पर्श से मैं चौंक गया था. क्योंकि भाभी जी ने अपनी एक उंगली से मुझे कुरेद कर वो इशारा दिया था, जो एक चुदासी औरत या लड़की देती है.
मैं भी उनका हाथ दबा कर उनकी कम्पनी देने के लिए ओके बोलते हुए कहा- आपको मुझसे निराशा नहीं होगी.
भाभी ने कहा- चलिए देखते हैं.
कुछ देर बात करने के हम दोनों अपने अपने कमरे की तरफ चल पड़े. संयोग से हम दोनों का रूम सटा हुआ था. मैंने अन्दर जाकर देखा, तो हम दोनों कमरा एक दरवाजे से अटैच था.
मैं अपनी तरफ से खोलकर भाभी के कमरे में फट से घुस गया. कमरे का नजारा देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. भाभी ब्रा और पेंटी में थीं और नाईट सूट पहनने ही वाली थीं.
मैंने पहले तो सोचा कि लौट जाऊं. फिर सोचा जब भाभी को इतना नंगी देख ही लिया, तो अब चूत और चूचियों का दर्शन भी करता चलूं.
मुझे आया देख कर शालिनी भाभी अपनी चूचियों को हाथों से ढकने लगीं.
मैंने कहा- शालिनी जी मैंने तो सब कुछ देख लिया, अब अपनी चूत और चुचियों का दीदार करा भी दो. आप कम्पनी देने की बात तो कह ही रही थीं, मेरी योग्यता को भी परख लीजिएगा.
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और दूसरी नजर कमरे के दरवाजे और खिड़कियों पर डाली. कमरे का दरवाजा तो बंद था, मगर एक खिड़की का पर्दा हल्का सा हटा हुआ था.
मैंने दौड़ कर सभी पर्दे ठीक किये और दरवाजे की कुंडी को चैक किया. फिर मैं घूमा ही था कि भाभी मेरे करीब खड़ी थीं. मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया. भाभी भी मुझसे लिपट गईं. ये सब इतना अनायास हुआ था कि हम दोनों अपने संतुलन खो बैठे और मैं भाभी को अपनी बांहों में लेते हुए बिस्तर पर गिर पड़ा.
अब एक तरफ मेरे हाथ उनकी चुचियों पर चल रहे थे, तो दूसरी तरफ उनका हाथ मेरे लंड को जांघिया के ऊपर से ही मसल रहा था.
भाभी अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखते हुए चूसने लगीं. सब कुछ कंट्रोल से बाहर हो चुका था.
तभी मेरी नजर भाभी जी की तरफ गई, तो वो बड़ी बेचैनी से मेरी तरफ देख रही थीं. उनको भी शायद कैमरे के रिजल्ट जानने की इच्छा थी.
मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए थम्ब का इशारा किया. तो वे फिर से हंस दीं.
इसी तरह से मैंने पहले दिन पूरे कार्यक्रम में उनकी कई फोटो खींची.
रात में जब खाना खाकर वापस अपने होटल पहुंचा, तो देखा होटल के रिसेप्शन के पास भाभी जी अपने रूम की चाभी ले रही थीं. भाभी जी ने अचानक सर घुमाया, तो मुझे उधर देखा.
भाभी जी पूछने लगीं- मिस्टर आप यहां कैसे?
मैंने कहा- भाभी जी मेरा नाम मिस्टर नहीं बल्कि करन है … और मैं तो इसी होटल में रुका हूँ.
अब तक हम दोनों एक तरफ को आ गए थे.
भाभी जी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- कोई बात नहीं … मैं भी कम्पनी देने के लिए आ गई हूँ. मेरा नाम शालिनी है. वैसे मैं हूँ तो बिजनेसमैन की बीवी, लेकिन अकेली बोर होती हूँ, इसलिए समाजसेवा और राजनीति में अपना अपना टाइम पास करती हूँ.
उनके हाथ के स्पर्श से मैं चौंक गया था. क्योंकि भाभी जी ने अपनी एक उंगली से मुझे कुरेद कर वो इशारा दिया था, जो एक चुदासी औरत या लड़की देती है.
मैं भी उनका हाथ दबा कर उनकी कम्पनी देने के लिए ओके बोलते हुए कहा- आपको मुझसे निराशा नहीं होगी.
भाभी ने कहा- चलिए देखते हैं.
कुछ देर बात करने के हम दोनों अपने अपने कमरे की तरफ चल पड़े. संयोग से हम दोनों का रूम सटा हुआ था. मैंने अन्दर जाकर देखा, तो हम दोनों कमरा एक दरवाजे से अटैच था.
मैं अपनी तरफ से खोलकर भाभी के कमरे में फट से घुस गया. कमरे का नजारा देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. भाभी ब्रा और पेंटी में थीं और नाईट सूट पहनने ही वाली थीं.
मैंने पहले तो सोचा कि लौट जाऊं. फिर सोचा जब भाभी को इतना नंगी देख ही लिया, तो अब चूत और चूचियों का दर्शन भी करता चलूं.
मुझे आया देख कर शालिनी भाभी अपनी चूचियों को हाथों से ढकने लगीं.
मैंने कहा- शालिनी जी मैंने तो सब कुछ देख लिया, अब अपनी चूत और चुचियों का दीदार करा भी दो. आप कम्पनी देने की बात तो कह ही रही थीं, मेरी योग्यता को भी परख लीजिएगा.
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और दूसरी नजर कमरे के दरवाजे और खिड़कियों पर डाली. कमरे का दरवाजा तो बंद था, मगर एक खिड़की का पर्दा हल्का सा हटा हुआ था.
मैंने दौड़ कर सभी पर्दे ठीक किये और दरवाजे की कुंडी को चैक किया. फिर मैं घूमा ही था कि भाभी मेरे करीब खड़ी थीं. मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया. भाभी भी मुझसे लिपट गईं. ये सब इतना अनायास हुआ था कि हम दोनों अपने संतुलन खो बैठे और मैं भाभी को अपनी बांहों में लेते हुए बिस्तर पर गिर पड़ा.
अब एक तरफ मेरे हाथ उनकी चुचियों पर चल रहे थे, तो दूसरी तरफ उनका हाथ मेरे लंड को जांघिया के ऊपर से ही मसल रहा था.
भाभी अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखते हुए चूसने लगीं. सब कुछ कंट्रोल से बाहर हो चुका था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.