06-06-2022, 05:17 PM
मैंने भी बाहर निकलने में ही भलाई समझी। फटाफट अपने कपड़े पहने और बाहर निकल कर बरामदे में कुर्सी डाल कर बैठ गया। भाभी भी नहाने लगी। थोड़ी देर बाद भाभी भी कपड़े बदल कर मेरे करीब ही बैठ गयी।
मैंने कहा- चलो भाभी, पहले चाय बना कर लाओ, फिर बातें करते हैं। दोनों थक जो गए हैं इतनी मेहनत करके। चाय से कुछ तो फुर्ती जागेगी।
भाभी चाय बनाकर ले आयी। मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा- तो भाभी मजा आया कि नहीं मेरे लण्ड से चुदवाने में?
वो बोली- हां, मजा तो बहुत आया। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि कभी तुम्हारे भाई के अलावा किसी और से भी चुदूंगी। लेकिन अब डर भी बहुत लग रहा है।
“किस बात का डर भाभी जी?” मैंने पूछा।
वो कहने लगी- ये बात अगर किसी को पता चल गई तो?
मैंने कहा- अरे किसी को पता नहीं चलेगा. जब तक हम ही किसी और को न बात दें। मैं तो किसी को बताने से रहा … आप भी नहीं बताएंगी। बात हमारे ही बीच में रहेगी। फिर आप ही बताओ कि किसी और को क्या पता लगेगा कि हमारे बीच में कुछ ऐसा हुआ भी है?
भाभी मेरी बात से सहमत हो गई.
मैंने पूछा- अच्छा, अब कब मेरे लण्ड की सवारी करोगी? कल फिर आऊं क्या?
भाभी बोली- ना बाबा ना … अब तो एक हफ्ते तक मैं किसी से भी नहीं चुदवाऊंगी। मेरा अब मन नहीं है।
मैंने कहा- अच्छा जब भी मैं गांव आऊंगा तो मुझे अपनी चूत चोदने का मौका तो दोगी न?
मैंने कहा- चलो भाभी, पहले चाय बना कर लाओ, फिर बातें करते हैं। दोनों थक जो गए हैं इतनी मेहनत करके। चाय से कुछ तो फुर्ती जागेगी।
भाभी चाय बनाकर ले आयी। मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा- तो भाभी मजा आया कि नहीं मेरे लण्ड से चुदवाने में?
वो बोली- हां, मजा तो बहुत आया। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि कभी तुम्हारे भाई के अलावा किसी और से भी चुदूंगी। लेकिन अब डर भी बहुत लग रहा है।
“किस बात का डर भाभी जी?” मैंने पूछा।
वो कहने लगी- ये बात अगर किसी को पता चल गई तो?
मैंने कहा- अरे किसी को पता नहीं चलेगा. जब तक हम ही किसी और को न बात दें। मैं तो किसी को बताने से रहा … आप भी नहीं बताएंगी। बात हमारे ही बीच में रहेगी। फिर आप ही बताओ कि किसी और को क्या पता लगेगा कि हमारे बीच में कुछ ऐसा हुआ भी है?
भाभी मेरी बात से सहमत हो गई.
मैंने पूछा- अच्छा, अब कब मेरे लण्ड की सवारी करोगी? कल फिर आऊं क्या?
भाभी बोली- ना बाबा ना … अब तो एक हफ्ते तक मैं किसी से भी नहीं चुदवाऊंगी। मेरा अब मन नहीं है।
मैंने कहा- अच्छा जब भी मैं गांव आऊंगा तो मुझे अपनी चूत चोदने का मौका तो दोगी न?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.