06-06-2022, 05:15 PM
अब दोनों का एक जैसा हाल था। मैंने भी उनकी कमर को पकड़ा और एक ही झटके में उनकी चूत में अपने लण्ड को पूरा उतार दिया। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गयी।
बस फिर अब क्या था. मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ मसलनी शुरू की और दनादन धक्के देने लगा। बहुत दिनों बाद चूत में लण्ड जा रहा था तो बड़ा मजा आ रहा था। चंडीगढ़ जाने के बाद तो मेरे लिए जैसे चूत का अकाल ही पड़ गया था। वहां की सारी कसर मैं अभी भाभी की चूत में निकाल रहा था।
भाभी की चूचियों को पकड़ पर भींचते हुए मैं अपने लंड को भीगी हुई गीली भाभी की चूत में पेलने लगा. मेरे मुंह से कामुक सीत्कार फूटने लगे. बहुत दिनों के बाद ऐसी देसी चूत की चुदाई करने का मौका मिला था. गांव की चूतों को चोदने का मजा ही कुछ और होता है दोस्तो.
मैं भीगी हुई सेक्सी भाभी की चूत में पेलम-पेल कर रहा था. गीली चूत होने के कारण फच्च-फच्च की आवाज निकल रही थी जो मेरी वासना को और ज्यादा बढ़ा रही थी.
इतनी मस्त भाभी की गीली चूत की चुदाई करने के कारण मैं भी भला कब तक अपने लंड पर काबू रख पाता. मन तो कर रहा था कि भाभी को काफी देर तक जम कर चोदूँ मगर चूत इतने दिन बाद मिली थी तो ज्यादा देर मैं रुक नहीं पाया. मगर अभी मैं किसी भी हाल में झड़ना नहीं चाह रहा था. इसलिए सोच रहा था कि लंड को बाहर निकाल लूं.
बस फिर अब क्या था. मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ मसलनी शुरू की और दनादन धक्के देने लगा। बहुत दिनों बाद चूत में लण्ड जा रहा था तो बड़ा मजा आ रहा था। चंडीगढ़ जाने के बाद तो मेरे लिए जैसे चूत का अकाल ही पड़ गया था। वहां की सारी कसर मैं अभी भाभी की चूत में निकाल रहा था।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
