06-06-2022, 04:18 PM
खैर मुझे तो जागना था तो मैं टीवी देखने लगी. लेकिन पता नहीं कब मेरी आंख लग गयी और मैं सो गयी। लेकिन दिमाग में तो ‘जागना जागना’ चल रहा था तो करीब एक बजे हड़बड़ा कर मेरी आंख खुली और मैं उठी. कमरे में से ही पहले खिड़की में से गेस्ट हाउस की ओर देखा. लेकिन यहाँ से कोई हलचल नहीं दिखी. तो फिर भी मेरा मन नहीं माना मैं चुपचाप दबे पाँव कमरे से निकल कर चल दी और धीरे-धीरे गेस्ट हाउस की खिड़की के पास पहुँच कर कान लगा कर सुनने लगी.
अभी भी मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था तो धीरे से मैंने दरवाजा खोला और अन्दर जाने लगी. अन्दर के कमरे का दरवाजा बन्द था लेकिन एसी चालू था तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि अन्दर जरूर कोई है।
चुपचाप से मैंने उस खिड़की के काँच से देखा तो अन्दर की लाईट जल रही थी.
और अन्दर का नजारा देखा कर मेरे होश उड़ गये … अन्दर कोई और नहीं मेरे ससुर और उनकी सगी बेटी यानि कि मेरी ननद सुमीना थी. मुझे मेरी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ, मैंने दोबारा से अपनी आँखें मली और फिर से देखा कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ.
लेकिन यह सच था, सपना नहीं था.
अभी भी मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था तो धीरे से मैंने दरवाजा खोला और अन्दर जाने लगी. अन्दर के कमरे का दरवाजा बन्द था लेकिन एसी चालू था तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि अन्दर जरूर कोई है।
चुपचाप से मैंने उस खिड़की के काँच से देखा तो अन्दर की लाईट जल रही थी.
और अन्दर का नजारा देखा कर मेरे होश उड़ गये … अन्दर कोई और नहीं मेरे ससुर और उनकी सगी बेटी यानि कि मेरी ननद सुमीना थी. मुझे मेरी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ, मैंने दोबारा से अपनी आँखें मली और फिर से देखा कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ.
लेकिन यह सच था, सपना नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.