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चचेरी बहन की रजाई
#92
पुष्पिका- छोड़ो भाई, कहां की बातें ले कर बैठ गए तुम भी।
मैं- अरे बाबा बताओ तो मुझे, तुम्हारी बात का मतलब सच में मुझे समझ नहीं आया. इसलिए पूछ रहा हूँ.

अब वो मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगी थी. शायद वो भी समझ गयी थी कि मैं उसके साथ ओपन होना चाहता हूँ.
पुष्पिका- आजकल के लड़कों को सिर्फ लड़की के साथ कुछ टाइम बिताना होता है. जब उससे मन भर जाता है तो दूसरी को पकड़ लेते हैं।
मैं- लेकिन मेरी गर्लफ्रैंड के बाद तो मैंने किसी को नहीं देखा।
पुष्पिका- कोशिश तो अपने भी की होगी भाई, ऐसी बात पर मैं तो विश्वास कर ही नहीं सकती कि लड़के की नजर किसी और लड़की पर न जाए.
मैं- हां ये तो तुम सही बोल रही हो, लेकिन मुझे कोई वैसी मिली ही नहीं उसके अलावा।
पुष्पिका- एक बात पूछूँ … बुरा तो नहीं मानोगे?
मैं- पूछो, तुम्हारी बातों का बुरा क्यों मानूँगा?
पुष्पिका- ऐसी कौन सी हूर की परी थी वो वो जो उसके जैसी आपको अब तक नहीं मिली?

मैंने हिम्मत करके पुष्पिका की आँखों में देख कर बोला- तुम्हारे जैसी थी बिल्कुल.
पुष्पिका- क्या मतलब है भाई आपका?
मैं- पुष्पिका वो बिल्कुल तुम्हारी तरह ही सेक्सी थी.
पुष्पिका- मैं बहन हूं आपकी और आप इस तरह के शब्द यूज़ कर रहे हो अपनी बहन के लिए?
मैं- सॉरी अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो. लेकिन मैं सिर्फ़ सच बता रहा था. तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो गयी हो पुष्पिका.

लड़की का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने का ये सबसे अच्छा तरीका होता है. उसके हुस्न की तारीफ करते रहो और किसी दूसरी लड़की से उसकी तुलना करते रहो. मैं उन सब बातों में माहिर था. मगर मेरी बातों का असर फिलहाल कुछ उल्टा सा हो गया था.
पुष्पिका गुस्से में- ये बातें भाई-बहन के बीच अच्छी नहीं लगती.
मैं- अगर कोई और बोलता तो क्या तुम्हें तब भी बुरा लगता?

पुष्पिका वहां से उठ कर जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मुझे पता नहीं क्या होने लगा था. मेरे अंदर की हिम्मत अपने आप ही बढ़ने लगी थी. वैसे ऐसा करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है. एक तरफ पुष्पिका इसके लिए तैयार नहीं थी मगर फिर भी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया था.
मैं बस उसके साथ आज सेक्स करना ही चाहता था किसी भी हालत में। पुष्पिका ने मेरा हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो मैं कुर्सी से उठा और अपने हाथों से उसके गालों को पकड़ लिया. वो बस गुस्से से मेरी तरफ देखे जा रही थी.

मैं- पुष्पिका, अगर मैं तुम्हें पसंद करता हूं तो गलत क्या है? अभी थोड़ी देर पहले तुमने ही कहा था कि सब मतलबी होते हैं लेकिन मैं तो तुम्हारा ही भाई हूँ. मैं क्या मतलब निकालूंगा तुमसे! क्या तुम अपनी जवानी को यूं ही बेकार करना चाहती हो? अगर तुम मुझसे नाराज हो तो सॉरी. मैं अभी वापस दिल्ली चला जाता हूं.

ये सुनकर वो कुछ समय के लिए बिल्कुल चुप हो गयी. थोड़ी देर बाद मेरे कान के पास आकर बोली- भाई मेरा भी मन करता है लेकिन किसी को पता न चल जाये इसलिए ख़ानदान की इज्जत की वजह से मैं हमेशा अपने ऊपर कंट्रोल कर लेती हूं। आप मेरे भाई हो इसलिए मैंने आपको ये सब बात बता दी। लेकिन हमारे बीच में ऐसा कुछ नहीं हो सकता. आप मेरे भाई हो और मैं बहन हूं आपकी।

मैंने उसके गाल पर एक किस किया और बोला- अगर तुम कहीं बाहर कुछ करती तो पता भी चल सकता था लेकिन मेरे साथ करने के बारे में किसी को पता भी नहीं चलेगा. सबकी नजरों में हम भाई-बहन हैं. कोई शक भी नहीं करेगा हमारे ऊपर और मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा।
इतना कहते ही मैं मेन गेट बंद कर आया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 06-06-2022, 04:05 PM



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