06-06-2022, 04:03 PM
दीपू की कड़क गीली चूचियों को जोर जोर से चूसते हुए मैं उसके निप्पलों को काट रहा था. दीपू के मुंह से अब सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो सिसकारते हुए मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी- आह्ह … विजय … नहीं … आह्ह … आराम से … ओह्ह … जोर से … उसकी ये कामुक आवाजें मेरे जोश को बढ़ा रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.