06-06-2022, 04:02 PM
मैंने नजर बचाकर उसकी गोरी और गोल गांड देखने लगा. उसकी ब्रा में कैद उसकी चूचियों के निप्पल भी एकदम से जैसे तन गये थे. उसके निप्पल की शेप अलग से उभरी हुई मालूम पड़ रही थी.
जैसे ही उसने छलांग लगाई वो पानी में नीचे डूबने लगी और मैंने उसको संभाला. अब वो मेरी बांहों में थी. मैं उसको देख रहा था. उसकी चूचियां एकदम से तनी हुई थीं उसकी ब्रा में. मेरा लंड पूरे जोश में आकर एकदम से सख्त हो गया था.
वो भी शायद उत्तेजित हो रही थी.
मैंने कहा- मैंने तुम्हें तैरना सिखाया है, मुझे कुछ गिफ्ट नहीं दोगी क्या?
वो बोली- क्या चाहिए तुम्हें?
मैंने कहा- मैं बस एक बार तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूं.
पहले तो वो मना करने लगी लेकिन फिर बोली- ठीक है, मैं केवल एक बार के लिए ब्रा उतारूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
ब्रा उतारने के नाम से ही मेरा लंड टनटना गया था.
मैंने कहा- चलो अंदर कमरे में चलते हैं. मैं नहीं चाहता कि कोई यहां तुम्हें इस हालत में देख ले.
वो बोली- ठीक है.
हम दोनों पानी से बाहर निकल आये. उसकी लाल चड्डी से पानी की धार टपक रही थी. उस पानी को पीने के लिए मेरे मुंह में भी पानी आ गया था. वो मेरे आगे चल रही थी और उसकी मटकती गांड को देख कर मेरा लंड फनफना रहा था.
हम दोनों अंदर चले गये. मगर उसको अभी शर्म आ रही थी.
मैंने कहा- यहां पर मेरे और तुम्हारे अलावा कोई नहीं है.
वो बोली- नहीं, तुम उस तरफ मुंह करो.
मैंने उसके कहने पर मुंह घुमा लिया.
कुछ सेकेण्ड्स के बाद उसने मुझे वापस पलटने के लिए कहा.
जैसे ही मैंने पलट कर उसकी छाती की ओर देखा तो मैं उसके सफेद और गोल चूचे देख कर खुद को रोक ही नहीं पाया. मैंने उसकी चूची को पकड़ लिया.
वो बोली- क्या कर रहे हो, ये गलत है.
मैंने कहा- एक बार छूने दो. बहुत मन कर रहा है.
मैंने उसके हामी भरने से पहले ही उसकी चूची को पकड़ लिया और दबा दिया. जब तक वो कुछ बोलती मेरे होंठ उसकी चूची पर गड़ गये थे.
वो पीछे हटी और बोली- नहीं विजय, ये गलत है.
मैंने कहा- बस एक बार करने दो दीपू, तुम्हें भी बहुत मजा आयेगा.
तुरंत मैंने उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो जैसे मेरे काबू में होने लगी. एक दो बार रोकने के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया और मेरे दोनों हाथ उसकी दोनों चूचियों को दबा दबा कर मसल रहे थे.
मैं जोर जोर से उसकी चूचियों को मुंह में बारी बारी से लेकर पी रहा था और मेरे हाथ उसकी चूचियों को लगातार दबा रहे थे. वो इतनी सेक्सी होगी मैंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी. अब मुझे पता चला कि सारे बिहारी उसको ऐसी भूखी नजर से क्यों ताड़ा करते थे.
जैसे ही उसने छलांग लगाई वो पानी में नीचे डूबने लगी और मैंने उसको संभाला. अब वो मेरी बांहों में थी. मैं उसको देख रहा था. उसकी चूचियां एकदम से तनी हुई थीं उसकी ब्रा में. मेरा लंड पूरे जोश में आकर एकदम से सख्त हो गया था.
वो भी शायद उत्तेजित हो रही थी.
मैंने कहा- मैंने तुम्हें तैरना सिखाया है, मुझे कुछ गिफ्ट नहीं दोगी क्या?
वो बोली- क्या चाहिए तुम्हें?
मैंने कहा- मैं बस एक बार तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूं.
पहले तो वो मना करने लगी लेकिन फिर बोली- ठीक है, मैं केवल एक बार के लिए ब्रा उतारूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
ब्रा उतारने के नाम से ही मेरा लंड टनटना गया था.
मैंने कहा- चलो अंदर कमरे में चलते हैं. मैं नहीं चाहता कि कोई यहां तुम्हें इस हालत में देख ले.
वो बोली- ठीक है.
हम दोनों पानी से बाहर निकल आये. उसकी लाल चड्डी से पानी की धार टपक रही थी. उस पानी को पीने के लिए मेरे मुंह में भी पानी आ गया था. वो मेरे आगे चल रही थी और उसकी मटकती गांड को देख कर मेरा लंड फनफना रहा था.
हम दोनों अंदर चले गये. मगर उसको अभी शर्म आ रही थी.
मैंने कहा- यहां पर मेरे और तुम्हारे अलावा कोई नहीं है.
वो बोली- नहीं, तुम उस तरफ मुंह करो.
मैंने उसके कहने पर मुंह घुमा लिया.
कुछ सेकेण्ड्स के बाद उसने मुझे वापस पलटने के लिए कहा.
जैसे ही मैंने पलट कर उसकी छाती की ओर देखा तो मैं उसके सफेद और गोल चूचे देख कर खुद को रोक ही नहीं पाया. मैंने उसकी चूची को पकड़ लिया.
वो बोली- क्या कर रहे हो, ये गलत है.
मैंने कहा- एक बार छूने दो. बहुत मन कर रहा है.
मैंने उसके हामी भरने से पहले ही उसकी चूची को पकड़ लिया और दबा दिया. जब तक वो कुछ बोलती मेरे होंठ उसकी चूची पर गड़ गये थे.
वो पीछे हटी और बोली- नहीं विजय, ये गलत है.
मैंने कहा- बस एक बार करने दो दीपू, तुम्हें भी बहुत मजा आयेगा.
तुरंत मैंने उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो जैसे मेरे काबू में होने लगी. एक दो बार रोकने के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया और मेरे दोनों हाथ उसकी दोनों चूचियों को दबा दबा कर मसल रहे थे.
मैं जोर जोर से उसकी चूचियों को मुंह में बारी बारी से लेकर पी रहा था और मेरे हाथ उसकी चूचियों को लगातार दबा रहे थे. वो इतनी सेक्सी होगी मैंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी. अब मुझे पता चला कि सारे बिहारी उसको ऐसी भूखी नजर से क्यों ताड़ा करते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.