06-06-2022, 04:01 PM
अभी भी मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं आ रही थी कि मैं उसके साथ कुछ छेड़खानी कर सकूं. वो धीरे धीरे गहरे पानी की ओर आ रही थी. तभी उसका पैर फिसल गया और वो पानी में नीचे जाने लगी. मैंने उसको पकड़ा और थोड़े उथले पानी में लेकर आया.
मैंने कहा- तुम्हें तैरना नहीं आता है.
वो बोली- हां मुझे पता है. तुम ही सिखाओगे मुझे तैरना. इसीलिए तो मैं इस हालत में तुम्हारे साथ हूं.
मैंने कहा- ठीक है. पहले मैं तुम्हारी मदद करता हूं और उसके बाद तुम खुद कोशिश करना.
दीपू के जिस्म को अपने हाथों में थाम कर मैं उसको तैरना सिखाने लगा जिसके दौरान मेरा लंड बार बार उसके बदन को छू रहा था. उसके कोमल जिस्म को छूकर मेरे लंड में तूफान सा उठ रहा था. मन कर रहा था कि उसकी चड्डी को उतार कर उसकी चूत में लंड को घुसा दूं लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था.
उसको मैंने पेट के करीब से पकड़ा हुआ था और वो पानी में हाथ पैर मार रही थी. एक दो बार ट्राइ करने के बाद वो थोड़ा तैरने लगी और काफी खुश हुई.
मैंने कहा- अभी तुम्हें थोड़े अभ्यास की जरूरत है.
वो बोली- हां ठीक है मैं कोशिश करती हूं.
वो कम गहरे पानी में तैरने की कोशिश करने लगी. तालाब के पानी में उसका गोरा जिस्म चमक रहा था. मेरा ध्यान बार बार उसकी गांड और उसके बूब्स की ओर जा रहा था. मेरे अंडरवियर में तंबू बना हुआ था जिसे दीपू ने भी नोटिस कर लिया था.
अब मैं बाहर आकर पानी में ऊंचाई से छलांग लगाने लगा. दीपू मेरे लंड के उठाव को देख रही थी. मैं भी थोड़ा शरमा रहा था लेकिन मेरे वश में कुछ नहीं था. मैं अपनी उत्तेजना को रोक नहीं पा रहा था.
मुझे पानी में मजे से छलांग लगाते देख दीपू का मन भी रोमांचित हो उठा.
वो बोली- मुझे भी ऐसे ही करना है.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन पहले छोटी छलांग लगाना. अभी तुम्हें ठीक से तैरना नहीं आता है.
वो बोली- ठीक है, मैं कोशिश करती हूं.
दीपू भी ऊपर आकर पानी में छलांग लगाने की कोशिश करने लगी. जब वो पानी से बाहर आई तो उसकी लाल चड्डी उसकी गांड में चिपकी हुई थी. उसकी गांड के अंदर घुसी हुई उसकी चड्डी की शेप देख कर मेरा मुंह खुला खुला रह गया. मैं अपने लंड को हाथ से सहलाने पर मजबूर हो गया.
मैंने कहा- तुम्हें तैरना नहीं आता है.
वो बोली- हां मुझे पता है. तुम ही सिखाओगे मुझे तैरना. इसीलिए तो मैं इस हालत में तुम्हारे साथ हूं.
मैंने कहा- ठीक है. पहले मैं तुम्हारी मदद करता हूं और उसके बाद तुम खुद कोशिश करना.
दीपू के जिस्म को अपने हाथों में थाम कर मैं उसको तैरना सिखाने लगा जिसके दौरान मेरा लंड बार बार उसके बदन को छू रहा था. उसके कोमल जिस्म को छूकर मेरे लंड में तूफान सा उठ रहा था. मन कर रहा था कि उसकी चड्डी को उतार कर उसकी चूत में लंड को घुसा दूं लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था.
उसको मैंने पेट के करीब से पकड़ा हुआ था और वो पानी में हाथ पैर मार रही थी. एक दो बार ट्राइ करने के बाद वो थोड़ा तैरने लगी और काफी खुश हुई.
मैंने कहा- अभी तुम्हें थोड़े अभ्यास की जरूरत है.
वो बोली- हां ठीक है मैं कोशिश करती हूं.
वो कम गहरे पानी में तैरने की कोशिश करने लगी. तालाब के पानी में उसका गोरा जिस्म चमक रहा था. मेरा ध्यान बार बार उसकी गांड और उसके बूब्स की ओर जा रहा था. मेरे अंडरवियर में तंबू बना हुआ था जिसे दीपू ने भी नोटिस कर लिया था.
अब मैं बाहर आकर पानी में ऊंचाई से छलांग लगाने लगा. दीपू मेरे लंड के उठाव को देख रही थी. मैं भी थोड़ा शरमा रहा था लेकिन मेरे वश में कुछ नहीं था. मैं अपनी उत्तेजना को रोक नहीं पा रहा था.
मुझे पानी में मजे से छलांग लगाते देख दीपू का मन भी रोमांचित हो उठा.
वो बोली- मुझे भी ऐसे ही करना है.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन पहले छोटी छलांग लगाना. अभी तुम्हें ठीक से तैरना नहीं आता है.
वो बोली- ठीक है, मैं कोशिश करती हूं.
दीपू भी ऊपर आकर पानी में छलांग लगाने की कोशिश करने लगी. जब वो पानी से बाहर आई तो उसकी लाल चड्डी उसकी गांड में चिपकी हुई थी. उसकी गांड के अंदर घुसी हुई उसकी चड्डी की शेप देख कर मेरा मुंह खुला खुला रह गया. मैं अपने लंड को हाथ से सहलाने पर मजबूर हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.