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चचेरी बहन की रजाई
#85
(06-06-2022, 03:59 PM)neerathemall Wrote:
खेत में कुंवारी  की ज़ोरदार चुदाई


मैंने अपनी सारी पढ़ाई पंजाब में ही की थी. मैं एक फैक्ट्री में नौकरी करता हूँ। कभी कभी मैं अपने पिता के साथ भी काम करवा देता था. जब भी मुझे समय मिलता था मैं अपने पिता के साथ भी हाथ बंटा दिया करता था.
अब मैं आपको उस जमींदार के परिवार के बारे में बता देता हूं जिसके यहां पर मेरे पिताजी काम किया करते थे. वो भी जमींदार थे. उनके परिवार में चार लोग थे.
एक मालिक था, उसकी बीवी और उसके दो बच्चे. बच्चों में एक लड़का था और एक लड़की थी. उनका लड़का तो कनाडा में पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था जबकि लड़की यहीं पर रह रही थी.
उस जमींदार के पास 20 एकड़ ज़मीन थी. उनके यहां पर 10 के करीब भैंस भी थी. मालिक का स्वभाव काफी सहज और सरल था. जबकि उसकी जमींदारनी बीवी के स्वभाव में बहुत अकड़ थी. उसके साथ मेरी कई बार बहस भी हो चुकी थी. उसने मुझे कई बार बुरा भला बोला हुआ था.
मैं उस जमींदारनी की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था. बस अपने काम से काम रखता था. उसकी बेटी दीपिंदर कौर का स्वभाव अच्छा था. उसके साथ मेरी सही बनती थी. वही इस कहानी की नायिका भी है.
दीपिंदर को सब लोग प्यार से दीपू कह कर बुलाया करते थे. हम दोनों की दोस्ती काफी अच्छी थी. जैसा उसका स्वभाव उससे कहीं ज्यादा वो देखने में सुंदर और सुशील थी. दीपू की हाइट 5.5 फीट की थी. उसकी उम्र 25 साल थी और पढ़ाई भी काफी कर चुकी थी.
उसकी मां उसको बहुत ही ज्यादा अनुशासन में रखा करती थी. वो कई बार अपनी आजादी के बारे में मुझसे शिकायत किया करती थी. मैं उसको समझा देता था. फिर उसके घरवालों ने उसकी शादी के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी.
दीपू के घरवाले उसकी शादी किसी कनाडा के लड़के से ही करवाना चाहते थे. उसका रूप देख कर न चाहते हुए भी मेरी नजर उसके बदन पर चली जाती थी. जब भी वो घर में होती थी तो मैं उसको ही देखता रहता था.
बनाने वाले उसको बहुत ही कोमल और प्यारा रूप दिया था. वो घर में सूट भी पहनती थी और पजामे के साथ टी-शर्ट भी पहन लेती थी। उसके गोल गोल मम्मे काफी बड़े थे. उसकी गांड भी गोल थी।
अब तक उसका जिस्म बिल्कुल ही अनछुआ था. किसी कुंवारी जमींदारनी को देख कर तो अच्छे खासे साधुओं का मन डोल जाता है. मैं तो एक साधारण बिहारी ही था.
जब भी वो मेरे करीब होती थी तो मेरे लंड में हलचल होना शुरू हो जाती थी. मेरा इस पर कोई वश नहीं चलता था। दीपू मेरे साथ एक दोस्त की तरह बात कर लेती थी। हमारी दोस्ती वाला यह रिश्ता उसकी माँ को बिलकुल भी पसंद नहीं था। भगवान ने मुझे लंड बहुत मोटा और लम्बा दिया था. मैं दीपू को देखकर बस मुठ मारकर काम चला लेता था.
हमारे गांव में बिहार से आये लोग काफी संख्या में रहते थे. वो सब वहां पर मजदूरी का काम किया करते थे. दीपू शाम को अपने चाचा की लड़कियों के साथ सैर करने के लिए जाती थी.
जिस रास्ते से वो जाया करती थी उस पर मेरे दो बिहारी दोस्त भी रहा करते थे. वो रोज उन तीनों जमींदारनियों को गांड मटकाते हुए देखा करते थे. पजामे में मटकती उनकी गांड को देख कर उनके लंड बेकाबू हो जाते थे.
मेरे दोस्तों ने कई बार मुझे बोला कि तुम्हारे पास में इतना पटाखा माल रहती है, तुमने आज तक कुछ करने की कोशिश क्यों नहीं की?
मैं उनको कह देता था कि मुझे आज तक कभी कुछ करने का मौका ही नहीं मिला. वैसे मेरी हिम्मत भी कम ही होती थी.
कई बार ऐसा होता था कि उसके घरवाले रिश्तेदारों के यहां गये हुए होते थे तो दीपू घर पर अकेली ही होती थी. हम दोनों एक ही कमरे में बैठ कर टीवी देख लिया करते थे. कई बार तो वो मेरे सामने ही बेड पर लेटी होती थी. उसकी गोल गोल गांड को देख कर मेरा बदन पसीने पसीने हो जाता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: खेत में कुंवारी पंजाबन की ज़ोरदार चुदाई - by neerathemall - 06-06-2022, 04:00 PM



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