06-06-2022, 03:45 PM
उसने बैठते हुए झट से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और वो मजे से लंड चूसने लगी थी. पहले उसने मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ घुमाई और जीभ को मेरे लंड के बाहर गोटियों तक फिराते हुए ले गई. उसने ऐसा दो तीन बार किया. वो अपनी जीभ को मेरे लंड के सुपारे पर चलाती और जीभ को नीचे गोटियों तक ले जाती. इससे मेरे पूरे लंड को उसकी जीभ का स्पर्श मिल रहा था.
मुझे बड़ा मजा आ रहा था. मैंने देखा कि ऐसा करने में उसे भी मज़ा आ रहा था. फिर उसने मेरे लंड को अपने मुँह में अन्दर भर लिया और मस्ती से चूसने लगी. मेरी तो आंखें मस्ती से बंद हो गई थीं और मुझे जन्नत का सुख मिलने लगा था.
करीब 5 मिनट बाद मुझे रहा नहीं गया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वो मेरे लंड के माल को बड़े मजे से खा गई.
जब मेरा लंड पूरा झड़ गया, तो मैंने उसके मुँह से लंड निकालना चाहा, लेकिन वो मेरे झड़े हुए लंड को भी चूसती रही, उसने मुझे लंड बाहर निकालने ही नहीं दिया. मैं मजबूर होकर अपना लंड उससे चुसवाता ही रहा. नतीजा ये हुआ कि कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इतनी देर में उसकी आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे. मैंने उसकी बांहों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों से अपने होंठ लगा कर खुद अपने लंड का स्वाद उसके होंठों से चूसने लगा.
अगले ही पल मैंने उसको चित लिटा दिया और उसकी टांगों को फैलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया.
अब मैंने उसकी चुत को चाटना चालू कर दिया था. उसके मुँह से आह … उन्ह की मादक आवाजें निकलने लगी थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उन्ह … और जोर से करो … आह जोर से …
उसने अपनी गांड उठाते हुए मेरे सर को अपने हाथ से दबाते हुए अपनी चुत से दबा दिया था. वो बड़ी बेताबी से चुत चटवा रही थी.
वो कुछ ही देर बाद झड़ गई.
कोई तीन चार मिनट तक मैं भी उसकी चुत को चाटता रहा, जिससे वो फिर से गर्म और चुदासी हो गई.
वो बोली- अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तुम जल्दी से अपना लंड मेरी चुत में डाल दो.
मैंने अपने लंड को उसकी चुत के छेद में सैट किया और धक्का लगा दिया. अभी मेरा आधा ही लंड उसकी चुत में गया था कि उसकी एक तेज आवाज निकलने को हुई. मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रखा और धीरे धीरे किस करने लगा.
वो कुछ शांत हुई, तो मैंने कुछ पल बाद एक और धक्का लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चुत में अन्दर तक घुसता चला गया था. वो एक बार के लिए बिना पानी की मछली की तरह तड़फी. फिर खुद ब खुद शांत हो गई.
उसके होंठ अब भी भिंचे हुए थे और उसने बिस्तर की चादर को अपनी मुट्ठियों से खींचा हुआ था. मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया, जिससे वो शांत हो गई और अब उसे भी मजा आने लगा.
कुछ ही देर में वो भी अपनी गांड उठाने लगी. मैं समझ गया कि इसको लंड की जरूरत होने लगी है. मैंने उसकी चूत में लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया. वो भी गांड उठा-उठा कर चुदने का मजा ले रही थी.
उसकी मुँह से हल्के स्वर में मादक और वासना से भरी हुई आवाजें निकलने लगी थीं- अअहह मह्ह्ह्ह हाह … चोदो … चोद दो मुझे … लक्की जोर से चोदो.
मैंने भी उसकी बहुत देर तक धकापेल चुत चुदाई की और उसी अन्दर झड़ गया. अब तक वो भी झड़ चुकी थी.
झड़ने के बाद हम दोनों यूं ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे. कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और उसने खुद को साफ़ करने के लिए बाथरूम में जाने के लिए कहा. मैं उसके साथ उठ कर बाथरूम में गया. अन्दर देखा कि उसकी चुत फट गई थी और खून निकला हुआ था.
उसने अपनी चूत की सील मेरे लंड से खुलवा ली थी. उसके चेहरे पर दर्द था, लेकिन वो मुस्कुरा रही थी.
मुझे बड़ा मजा आ रहा था. मैंने देखा कि ऐसा करने में उसे भी मज़ा आ रहा था. फिर उसने मेरे लंड को अपने मुँह में अन्दर भर लिया और मस्ती से चूसने लगी. मेरी तो आंखें मस्ती से बंद हो गई थीं और मुझे जन्नत का सुख मिलने लगा था.
करीब 5 मिनट बाद मुझे रहा नहीं गया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वो मेरे लंड के माल को बड़े मजे से खा गई.
जब मेरा लंड पूरा झड़ गया, तो मैंने उसके मुँह से लंड निकालना चाहा, लेकिन वो मेरे झड़े हुए लंड को भी चूसती रही, उसने मुझे लंड बाहर निकालने ही नहीं दिया. मैं मजबूर होकर अपना लंड उससे चुसवाता ही रहा. नतीजा ये हुआ कि कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इतनी देर में उसकी आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे. मैंने उसकी बांहों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों से अपने होंठ लगा कर खुद अपने लंड का स्वाद उसके होंठों से चूसने लगा.
अगले ही पल मैंने उसको चित लिटा दिया और उसकी टांगों को फैलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया.
अब मैंने उसकी चुत को चाटना चालू कर दिया था. उसके मुँह से आह … उन्ह की मादक आवाजें निकलने लगी थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उन्ह … और जोर से करो … आह जोर से …
उसने अपनी गांड उठाते हुए मेरे सर को अपने हाथ से दबाते हुए अपनी चुत से दबा दिया था. वो बड़ी बेताबी से चुत चटवा रही थी.
वो कुछ ही देर बाद झड़ गई.
कोई तीन चार मिनट तक मैं भी उसकी चुत को चाटता रहा, जिससे वो फिर से गर्म और चुदासी हो गई.
वो बोली- अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तुम जल्दी से अपना लंड मेरी चुत में डाल दो.
मैंने अपने लंड को उसकी चुत के छेद में सैट किया और धक्का लगा दिया. अभी मेरा आधा ही लंड उसकी चुत में गया था कि उसकी एक तेज आवाज निकलने को हुई. मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रखा और धीरे धीरे किस करने लगा.
वो कुछ शांत हुई, तो मैंने कुछ पल बाद एक और धक्का लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चुत में अन्दर तक घुसता चला गया था. वो एक बार के लिए बिना पानी की मछली की तरह तड़फी. फिर खुद ब खुद शांत हो गई.
उसके होंठ अब भी भिंचे हुए थे और उसने बिस्तर की चादर को अपनी मुट्ठियों से खींचा हुआ था. मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया, जिससे वो शांत हो गई और अब उसे भी मजा आने लगा.
कुछ ही देर में वो भी अपनी गांड उठाने लगी. मैं समझ गया कि इसको लंड की जरूरत होने लगी है. मैंने उसकी चूत में लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया. वो भी गांड उठा-उठा कर चुदने का मजा ले रही थी.
उसकी मुँह से हल्के स्वर में मादक और वासना से भरी हुई आवाजें निकलने लगी थीं- अअहह मह्ह्ह्ह हाह … चोदो … चोद दो मुझे … लक्की जोर से चोदो.
मैंने भी उसकी बहुत देर तक धकापेल चुत चुदाई की और उसी अन्दर झड़ गया. अब तक वो भी झड़ चुकी थी.
झड़ने के बाद हम दोनों यूं ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे. कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और उसने खुद को साफ़ करने के लिए बाथरूम में जाने के लिए कहा. मैं उसके साथ उठ कर बाथरूम में गया. अन्दर देखा कि उसकी चुत फट गई थी और खून निकला हुआ था.
उसने अपनी चूत की सील मेरे लंड से खुलवा ली थी. उसके चेहरे पर दर्द था, लेकिन वो मुस्कुरा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.