06-06-2022, 03:39 PM
वो साथ आ गयी।
मैंने उसे नाश्ता करवाया और यूँ ही फिर हमारी बातचीत शुरू हो गयी।
एक हफ्ते बाद वो मेरे क्वार्टर में आई।
मैंने कहा- क्यों छुट्टी हो गयी?
उसने कहा- हाँ।
फिर उसने कहा- आपका तो लंच टाइम होगा न?
मैंने कहा- अभी तो फुरसत है, अब शाम को 5 से 6 की ड्यूटी बची है। मतलब पूरे 4 घण्टे हैं। लंच करके रेस्ट करूँगा फिर जाऊंगा।
उसने मौका ताड़ लिया, बोली- अब तो हम खास दोस्त बन गए हैं। एक चीज़ मांगूंगी तो मना तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- मेरे बस का हुआ तो ज़रूर करूँगा।
सब अपने मोबाइल पर कुछ टाइप किया और मुझे दिखाया।
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ।
उसमें लिखा था- किस।
मैंने उसे समझाया- ऐसा करना ठीक नहीं!
उसका ईगो ज़रा हर्ट सा हो गया।
फिर उसका दिल रखने के लिए मैंने उसके दाहिने गाल पे किस दिया।
लेकिन उसने कहा- यह मेरी इंसल्ट है।
मैंने समझाया कि यह सब ठीक नहीं!
पर वो नहीं मानी, बोली- जबसे आपको देखा है आपकी दीवानी हो गयी हूँ और आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हो।
10 मिनट की खामोशी के बाद मैंने उसकी बात मान ली।
वो मेरे जीवन का पहला किस था। वो नाज़ुक होंठ और वो पल आज भी भुलाये नहीं भूलता है।
फिर उसने मुझे बांहों में भर लिया। मुझे उसकी बेसब्री महसूस हो रही थी। पर मुझे काबू रखना था खुद पर।
मैंने किस के बाद उसे अपनी गोद पर बिठा लिया और मेरे हाथों से उसका आलिंगन किया। उसके बूब्स मेरे हाथों के नीचे थे। मुझे मन ही मन उन्हें दबाने की इच्छा जागृत होने लगी लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी।
सीमा ने यह भांप लिया और कहने लगी- हां, मैं जानती हूँ, सभी लड़कों को यही पसन्द आते हैं। जाने क्यों सभी इन्हें ही चाहते हैं। हमको तो कोई पसन्द नहीं करता।
मैंने अनजान बनते हुए उसके बूब्स से हाथ फिसलाते हुए नीचे उसकी गोद में हाथ रख दिया।
फिर वो उठकर बाजू में बैठ गयी।
बूब्स दबाने की मेरी इच्छा अधूरी रह गयी। लेकिन जो स्पर्श उसके स्तनों का मिला वो भी अद्भुत था।
उसने कहा- जल्दी क्या है, अगली बार।
फिर उसने किस के लिए थैंक यू कहा और एक किस चुरा कर भाग गयी।
मैं लंच करना भूल ही गया और उसी ख्याल में शाम के 4 बज गए। शाम की चाय बनाई और नाश्ता करके हॉस्पिटल की ओर चल पड़ा।
3 किलोमीटर के रास्ते में वो किस याद करते हुए, मानो खुद को विश्व विजेता की तरह समझ रहा था।
मुझे क्या पता था कि आगे और भी रोमांचक पल आने वाले हैं। और मैं उसे ‘द जंगल क्वीन’ के नाम से याद रखने वाला था।
मैंने उसे नाश्ता करवाया और यूँ ही फिर हमारी बातचीत शुरू हो गयी।
एक हफ्ते बाद वो मेरे क्वार्टर में आई।
मैंने कहा- क्यों छुट्टी हो गयी?
उसने कहा- हाँ।
फिर उसने कहा- आपका तो लंच टाइम होगा न?
मैंने कहा- अभी तो फुरसत है, अब शाम को 5 से 6 की ड्यूटी बची है। मतलब पूरे 4 घण्टे हैं। लंच करके रेस्ट करूँगा फिर जाऊंगा।
उसने मौका ताड़ लिया, बोली- अब तो हम खास दोस्त बन गए हैं। एक चीज़ मांगूंगी तो मना तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- मेरे बस का हुआ तो ज़रूर करूँगा।
सब अपने मोबाइल पर कुछ टाइप किया और मुझे दिखाया।
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ।
उसमें लिखा था- किस।
मैंने उसे समझाया- ऐसा करना ठीक नहीं!
उसका ईगो ज़रा हर्ट सा हो गया।
फिर उसका दिल रखने के लिए मैंने उसके दाहिने गाल पे किस दिया।
लेकिन उसने कहा- यह मेरी इंसल्ट है।
मैंने समझाया कि यह सब ठीक नहीं!
पर वो नहीं मानी, बोली- जबसे आपको देखा है आपकी दीवानी हो गयी हूँ और आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हो।
10 मिनट की खामोशी के बाद मैंने उसकी बात मान ली।
वो मेरे जीवन का पहला किस था। वो नाज़ुक होंठ और वो पल आज भी भुलाये नहीं भूलता है।
फिर उसने मुझे बांहों में भर लिया। मुझे उसकी बेसब्री महसूस हो रही थी। पर मुझे काबू रखना था खुद पर।
मैंने किस के बाद उसे अपनी गोद पर बिठा लिया और मेरे हाथों से उसका आलिंगन किया। उसके बूब्स मेरे हाथों के नीचे थे। मुझे मन ही मन उन्हें दबाने की इच्छा जागृत होने लगी लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी।
सीमा ने यह भांप लिया और कहने लगी- हां, मैं जानती हूँ, सभी लड़कों को यही पसन्द आते हैं। जाने क्यों सभी इन्हें ही चाहते हैं। हमको तो कोई पसन्द नहीं करता।
मैंने अनजान बनते हुए उसके बूब्स से हाथ फिसलाते हुए नीचे उसकी गोद में हाथ रख दिया।
फिर वो उठकर बाजू में बैठ गयी।
बूब्स दबाने की मेरी इच्छा अधूरी रह गयी। लेकिन जो स्पर्श उसके स्तनों का मिला वो भी अद्भुत था।
उसने कहा- जल्दी क्या है, अगली बार।
फिर उसने किस के लिए थैंक यू कहा और एक किस चुरा कर भाग गयी।
मैं लंच करना भूल ही गया और उसी ख्याल में शाम के 4 बज गए। शाम की चाय बनाई और नाश्ता करके हॉस्पिटल की ओर चल पड़ा।
3 किलोमीटर के रास्ते में वो किस याद करते हुए, मानो खुद को विश्व विजेता की तरह समझ रहा था।
मुझे क्या पता था कि आगे और भी रोमांचक पल आने वाले हैं। और मैं उसे ‘द जंगल क्वीन’ के नाम से याद रखने वाला था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.