06-06-2022, 03:38 PM
राजगढ़ आये हुए मुझे 3 महीने हो चुके थे। पहली जॉब थी, अनजानी जगह और लोग अनजाने!
धीरे- धीरे मैं अब उस माहौल में रच-बसने को तैयार था।
हॉस्पिटल में जॉब था तो बहुतेरे लोग आते थे। उन्हीं में से एक थी ‘सीमा’।
कुछ दिनों से देख रहा था कि वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, जानबूझकर मुझसे बहाने से बातें करने की कोशिश में लगी थी।
आखिर एक दिन मुझसे कॉउंसिल करवाने के नाम पर मेरे ओफिस के रूम में आ गयी।
यहां-वहां की बात करने के बाद वो सेक्स के टॉपिक पे आ गयी। मैंने उसकी काउन्सलिंग की और जो उसकी उलझन थी सुलझा दी।
वो 19 साल की होने को थी और 12वीं में पढ़ रही थी। मुझे पता नहीं था कि मेरे क्वार्टर के पास ही उसका कॉलेज है।
एक दिन जब मैं अपने क्वार्टर लौट रहा था उससे रास्ते में मुलाक़ात हो गयी।
उसने कहा- आप कहाँ रहते हैं?
मैंने कहा- यहीं पर किराये का क्वार्टर लिया है।
उसने कहा- तो न्योता नहीं देंगे जनाब खातिरदारी करवाने का?
मैंने कहा- चलो।
धीरे- धीरे मैं अब उस माहौल में रच-बसने को तैयार था।
हॉस्पिटल में जॉब था तो बहुतेरे लोग आते थे। उन्हीं में से एक थी ‘सीमा’।
कुछ दिनों से देख रहा था कि वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, जानबूझकर मुझसे बहाने से बातें करने की कोशिश में लगी थी।
आखिर एक दिन मुझसे कॉउंसिल करवाने के नाम पर मेरे ओफिस के रूम में आ गयी।
यहां-वहां की बात करने के बाद वो सेक्स के टॉपिक पे आ गयी। मैंने उसकी काउन्सलिंग की और जो उसकी उलझन थी सुलझा दी।
वो 19 साल की होने को थी और 12वीं में पढ़ रही थी। मुझे पता नहीं था कि मेरे क्वार्टर के पास ही उसका कॉलेज है।
एक दिन जब मैं अपने क्वार्टर लौट रहा था उससे रास्ते में मुलाक़ात हो गयी।
उसने कहा- आप कहाँ रहते हैं?
मैंने कहा- यहीं पर किराये का क्वार्टर लिया है।
उसने कहा- तो न्योता नहीं देंगे जनाब खातिरदारी करवाने का?
मैंने कहा- चलो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.