06-06-2022, 03:33 PM
उसने मेरे टॉप को निकाला और मेरी ब्रा को निकाल मेरी चूचियों को जोर से मसलने लगा। मेरी गोरी सुडौल चूचियां उसके हाथों के दबाव से लाल हो गई थी। मेरे भूरे निप्पल को वो किसी छोटे बच्चे की तरह चूस रहा था और हाय … मेरी जान निकली जा रही थी।
मुझसे रहा न गया और मैंने उसके मुंह से अपना दूध छुड़ा उसके मलाईदार कुल्फी पर झपट पड़ी।
जैसे ही मैंने उसका शॉर्ट्स सरकाया, उसका सात इंच का मोटा सा लंड उछल कर खड़ा हो गया।
मैंने एक नज़र अमित से मिलाई और फिर उसके लंड की चमड़ी को हल्का सा पीछे सरकार उसके गुलाबी रंगत लिए टोपे को अपने मखमली होंठों से एक चुंबन दिया. और अपनी जीभ को नुकीला बना मैंने उस टोपे को सहलाने शुरु किया.
और कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने अमित की आंखों में देखा और गपाक से पूरा लंड अपने मुंह में भर लिया।
मुझे अंदाज़ नहीं था कि यह मेरे गले तक चला जाएगा। मेरी आंखों में आंसुओं आ गए।
मैंने हल्का सा लंड बाहर निकाल के अपने होंठों को भींच लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
अभी मैं और चूसना चाह रही थी पर अमित ने मुझे गोद में उठा लिया।
मैं उसकी गोद में छोटी सी लग रही थी। आखिर एक फुट का अंतर जो था।
अमित ने खड़े खड़े ही मुझे गोद में ही टांगों को फैलाया और मेरी चूत के मुहाने पर लंड रखा। और एक ही धक्के में सटाक से जड़ तक लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
ऐसा लगा मुझे जैसे कि किसी ने मेरी चूत ही फाड़ दी।
मैं चीख उठी और दर्द से तड़प उठी।
अमित बेरहम जल्लाद की तरह नीचे से मुझे घपाघप चोर रहा था। मेरी कसी हुई अनचुदी चूत को उसने आज भरपूर चोदने का सोच रखा था। उसका मोटा लंड अंदर बाहर जाता रहा और मेरी चूत का दर्द अब मीठे दर्द में बदल गया था।
अमित थक चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया तो उसकी नज़र मेरी और उसकी जांघ पर लगे खून पर गई।
तो उसने बोला- अरे, तेरी सील टूटी नहीं थी क्या अभी? मैं तो तुझे सौ लौड़ों से चुदी हुई रंडी समझ चोद रहा था. तूने बताया क्यूं नहीं? मैं तुझे आराम से चोदता।
मैं कुछ बोली नहीं और अपनी जांघें फैला दी।
अमित ने अपने लंड का टोपा मेरे चूत के दाने पर रगड़ा और मैंने कसमसा कर जबरन उसका लंड पकड़ चूत में घुसाने लगी। तो उसने खुद ब खुद अपना लंड अंदर डाल दिया और मेरे दूध को दबाते हुए चोदने लगा।
उसका गर्म मोटा लंड मेरी चूत की गद्दीदार कसी दीवार को रगड़ता हुआ मुझे पेलता रहा।
15 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी मलाई से मेरी चूत को भर दिया। हम दोनों निढाल पड़े वहीं सो गए.
मुझसे रहा न गया और मैंने उसके मुंह से अपना दूध छुड़ा उसके मलाईदार कुल्फी पर झपट पड़ी।
जैसे ही मैंने उसका शॉर्ट्स सरकाया, उसका सात इंच का मोटा सा लंड उछल कर खड़ा हो गया।
मैंने एक नज़र अमित से मिलाई और फिर उसके लंड की चमड़ी को हल्का सा पीछे सरकार उसके गुलाबी रंगत लिए टोपे को अपने मखमली होंठों से एक चुंबन दिया. और अपनी जीभ को नुकीला बना मैंने उस टोपे को सहलाने शुरु किया.
और कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने अमित की आंखों में देखा और गपाक से पूरा लंड अपने मुंह में भर लिया।
मुझे अंदाज़ नहीं था कि यह मेरे गले तक चला जाएगा। मेरी आंखों में आंसुओं आ गए।
मैंने हल्का सा लंड बाहर निकाल के अपने होंठों को भींच लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
अभी मैं और चूसना चाह रही थी पर अमित ने मुझे गोद में उठा लिया।
मैं उसकी गोद में छोटी सी लग रही थी। आखिर एक फुट का अंतर जो था।
अमित ने खड़े खड़े ही मुझे गोद में ही टांगों को फैलाया और मेरी चूत के मुहाने पर लंड रखा। और एक ही धक्के में सटाक से जड़ तक लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
ऐसा लगा मुझे जैसे कि किसी ने मेरी चूत ही फाड़ दी।
मैं चीख उठी और दर्द से तड़प उठी।
अमित बेरहम जल्लाद की तरह नीचे से मुझे घपाघप चोर रहा था। मेरी कसी हुई अनचुदी चूत को उसने आज भरपूर चोदने का सोच रखा था। उसका मोटा लंड अंदर बाहर जाता रहा और मेरी चूत का दर्द अब मीठे दर्द में बदल गया था।
अमित थक चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया तो उसकी नज़र मेरी और उसकी जांघ पर लगे खून पर गई।
तो उसने बोला- अरे, तेरी सील टूटी नहीं थी क्या अभी? मैं तो तुझे सौ लौड़ों से चुदी हुई रंडी समझ चोद रहा था. तूने बताया क्यूं नहीं? मैं तुझे आराम से चोदता।
मैं कुछ बोली नहीं और अपनी जांघें फैला दी।
अमित ने अपने लंड का टोपा मेरे चूत के दाने पर रगड़ा और मैंने कसमसा कर जबरन उसका लंड पकड़ चूत में घुसाने लगी। तो उसने खुद ब खुद अपना लंड अंदर डाल दिया और मेरे दूध को दबाते हुए चोदने लगा।
उसका गर्म मोटा लंड मेरी चूत की गद्दीदार कसी दीवार को रगड़ता हुआ मुझे पेलता रहा।
15 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी मलाई से मेरी चूत को भर दिया। हम दोनों निढाल पड़े वहीं सो गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.