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Adultery मौसी के देवर से मेरी पहली चुदाई
#3
मैं जाकर एक लंबे मोटी डाल पर बैठ गयी.

अब वक़्त आ गया था अपनी चाल चलने का।
मैं ज़ोर जोर से चीखने लगी- अरे कोई है, मुझे नीचे उतारो, मैं यहां फंस गई हूं, कोई तो आओ मुझे उतार दो।
दो सेकंड में अमित भागता हुआ आया।
उसने मुझे देखा और पूछा- तुम ऊपर क्या कर रही हो?
मैंने बोला- मैं तो आम तोड़ने आई थी. चढ़ तो गई पर उतर नहीं पा रही। प्लीज उतार दो ना।
और मैं रोने का नाटक करने लगी।
अमित ने दो मिनट रूकने को बोला और लोहे की एक सीढ़ी लेकर आया. जिस टहनी पर मैं बैठी थी, उसने उस पर सीढ़ी को टिका दिया.
मैं बोली- मुझे सीढ़ी उतरनी नहीं आती. तुम एक बार चढ़ के फिर उतर के बता दो।
अमित के चेहरे पर थोड़ी झुंझलाने जैसे भाव आए फिर न जाने क्यूं वह मुस्कुरा कर सीढ़ी चढ़ गया।
जैसे ही वह ऊपर आया और फिर नीचे उतरने को हुआ मैं बोली- तुम उतरो और तुम्हारे बाद मैं उतरती हूं।
उसने बोला- एक वक्त पर दो लोग?
तो मैंने कहा- देखते नहीं, लोहे की सीढ़ी है. दो लोग का भार झेल लेगी।
मैंने तो बस बहाना किया था कि नीचे उतरते वक़्त वो मेरी नंगी चूत के दर्शन कर सके।
अब खेल शुरू हुआ।
वो सीढ़ी उतर रहा था और मैं उसके ऊपर अपनी गदराई गांड को जान बूझकर मटका कर उतर रही थी.
हवा मेरा साथ दे रही थी, मेरी स्कर्ट उड़ उड़ जा रही थी।
मैं इतना तो जान रही थी कि अमित मेरी चूत को निहार रहा है और मेरी गोलाकार गांड को भी।
जैसे ही एक दो सीढ़ी बची, मैंने जान बूझकर पकड़ ढीली की और उसके ऊपर गिर गई।
मैं जैसे ही गिरी उसकी मजबूत हाथों ने मुझे कमर से थाम लिया।
हाय रे बदकिस्मती … मैं तो चाहती थी वो मुझे मेरी चूचियों से थामे।
मैं पलटी और जोर से अमित को अपनी बांहों में जकड़ लिया। मेरे कठोर हो चुके निप्पल उसके सीने में दब गए।
अमित अब तक पिघल चुका था. मैं अपनी नंगी गांड पर उसके खड़े लंड को महसूस कर सकती थी।
मैं झट से खड़ी हो गई और उसे धन्यवाद बोल कर दौड़ती हुई बंगले की तरफ भागी.
अपने कमरे में जाकर मैं अपनी चूत के दाने को रगड़ रगड़ खूब पानी पानी हुई।
अब बस मुझे उसका लंड चाहिए था। मैं अब उसकी पहल का इंतजार कर रही थी।
मौसी खाना फ्रिज में रख कर गई थीं। मैं किचन में गई तो देखा अमित अपने हिस्से का खाना निकाल चुका है।
मैं खाना लेकर जैसे ही डाइनिंग टेबल पर आई तो देखा कि अमित वहां बैठा हुआ है. खाना वो खा चुका था और अब उठने ही वाला था.
मुझे देख वह दुबारा बैठ गया।
मैं शर्माने का नाटक करने लगी।
अमित ने बोला- एक बात कहूं, तुम शायद बगीचे में अपना कुछ भूल गई थी.
और उसने मेरे सामने मेरी पैंटी हवा में लहराई.
मैंने तुरंत उसे उसके हाथों से झटकना चाहा तो अमित ने मेरे हाथों को दबोच लिया और बोला- मैं जानता हूं तू मुझसे चुदना चाहती है. मुझे अपनी चूत और गांड तूने जानबूझ कर दिखाया था।
मैं कुछ कह पाती इससे पहले ही अमित ने मेरी पैंटी को मेरे मुंह में ठूंस दिया।
मेरे मुंह मैं कोई नमकीन सा स्वाद घुल गया।
अमित ने मेरी पैंटी पर अपनी मूठ मारी थी, मैं समझ गई।
अब अमित ने मेरे गोल गालों को दबोचा। तो मैंने खांसते हुए पैंटी को मुंह से गिरा दिया।
अमित एकटक मेरी नशीली आंखों को तो कभी मेरे रसभरे होंठों को देखता रहा।
उसने धीरे से मेरे निचले होंठ को चूस लिया। मेरे शरीर में तरंगें प्रवाहित होने लगी। मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी। मैं कभी उसके होंठ चूसती तो कभी उसकी लंबी जीभ को अपने होंठों से पकड़ कर ज़ोर से चूसती.
अमित अपनी जीभ मेरे मुंह में घुमाता। अमित ने मेरे चूचियों को दबोच लिया और हल्के हाथों से उन्हें मसलने लगा।
अब मैं नशे में डूबी अधखुली आंखों से मजा लेने लगी।
अमित ने टॉप के ऊपर से ही मेरे निप्पल को अपने नाखून से रगड़ा। मैं तिलमिला उठी और अपनी जांघों से उसे कमर से दबोच लिया.
यह सारा कांड हम लोग डाइनिंग टेबल पर कर रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मौसी के देवर से मेरी पहली चुदाई - by neerathemall - 06-06-2022, 03:32 PM



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