06-06-2022, 03:06 PM
मैंने अपनी तरफ से उसको दूसरा एक जोरदार धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी मक्खन जैसी मुलायम चिकनी चूत की जन्नत में पहुंच चुका था. रश्मि ज़ोर से चिल्ला पड़ी, उईईईईईईईई आईईईई माँ ऊहुहुहहह विनय में मर गई, तुम ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं और मुझे तुम्हारे लंड से बहुत ज़ोर से जलन दर्द हो रहा है.
ऊह्ह्हह्ह तुम्हारा लंड बहुत मोटा है और मेरी चूत अभी छोटी है, तुमने आज मुझे मार ही डाला आईईई ऐसा दर्द मैंने कभी नहीं महसूस किया, तुमने यह क्या किया, में आज मर ही जाउंगी, प्लीज धीरे से करना. दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि रश्मि को बहुत दर्द हो रहा था, क्योंकि तक उसकी चूत वर्जिन थी.
और आज पहली बार जो उसकी चूत में मेरा इतना मोटा और लंबा लंड में घुसा था और वो दर्द की वजह से अपनी दोनों जांघो को चिपकाकर मेरी कमर पर अपने नाखूनों से निशान कर रही थी, जिसकी वजह से मुझे भी जलन हो रही थी और में कुछ देर तक अपने लंड को उसकी चूत में डालकर चुपचाप ऐसे ही पड़ा हुआ था.
तब मैंने महसूस किया कि रश्मि की चूत फड़क रही थी और वो अंदर ही अंदर मेरे लंड को मसल भी रही थी और तेज गति से चलती हुई सांसो की वजह से उसकी बार बार उठी छाती उसके बूब्स बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहे थे और वो बहुत आकर्षक नजर आ रहे थे.
फिर मैंने तुरंत अपने हाथ आगे बढ़ाकर उसके दोनों बूब्स को पकड़ लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. फिर मैंने महसूस किया कि रश्मि को दर्द से कुछ राहत मिली और उसने भी अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया और फिर उसने अपनी कमर को एक झटका देकर.
वो मुझसे कहने लगी आह्ह्हह् विनय तुम मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदना शुरू करो, मेरी चूत को चोदकर पूरी तरह से शांत कर दो और उसके उस धक्के की वजह से मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया. फिर रश्मि मुझसे बोली कि तुम इस लंड को मेरी चूत से बाहर निकालो.
लेकिन में अपने लंड को धीरे धीरे रश्मि की चूत में अंदर बाहर करने लगा और उसी समय रश्मि ने मुझसे मेरे धक्को की स्पीड को बढ़ाकर करने को कहा और मैंने अपनी स्पीड को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया और में और भी तेज़ी से अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.
और रश्मि को भी पूरी तरह से मस्ती आ रही थी और वो जोश में आकर अपनी कमर को नीचे से उठा उठाकर मेरे हर एक धक्के का जवाब देने लगी थी. उसने अपने रसीले बूब्स को मेरी छाती पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठो को मेरे होंठ पर रख दिए और मेरे मुँह में अपनी जीभ को डाल दिया और वो अपनी चूत में मेरा लंड समाए हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी.
दोस्तों मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे में सीधा जन्नत में पहुँच गया हूँ और फिर मैंने महसूस किया कि वो जैसे जैसे झड़ने के करीब आ रही थी. उसकी धक्को की रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी और पूरे कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी और में रश्मि के ऊपर लेटकर धनाधन धक्के लगाने लगा.
ऊह्ह्हह्ह तुम्हारा लंड बहुत मोटा है और मेरी चूत अभी छोटी है, तुमने आज मुझे मार ही डाला आईईई ऐसा दर्द मैंने कभी नहीं महसूस किया, तुमने यह क्या किया, में आज मर ही जाउंगी, प्लीज धीरे से करना. दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि रश्मि को बहुत दर्द हो रहा था, क्योंकि तक उसकी चूत वर्जिन थी.
और आज पहली बार जो उसकी चूत में मेरा इतना मोटा और लंबा लंड में घुसा था और वो दर्द की वजह से अपनी दोनों जांघो को चिपकाकर मेरी कमर पर अपने नाखूनों से निशान कर रही थी, जिसकी वजह से मुझे भी जलन हो रही थी और में कुछ देर तक अपने लंड को उसकी चूत में डालकर चुपचाप ऐसे ही पड़ा हुआ था.
तब मैंने महसूस किया कि रश्मि की चूत फड़क रही थी और वो अंदर ही अंदर मेरे लंड को मसल भी रही थी और तेज गति से चलती हुई सांसो की वजह से उसकी बार बार उठी छाती उसके बूब्स बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहे थे और वो बहुत आकर्षक नजर आ रहे थे.
फिर मैंने तुरंत अपने हाथ आगे बढ़ाकर उसके दोनों बूब्स को पकड़ लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. फिर मैंने महसूस किया कि रश्मि को दर्द से कुछ राहत मिली और उसने भी अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया और फिर उसने अपनी कमर को एक झटका देकर.
वो मुझसे कहने लगी आह्ह्हह् विनय तुम मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदना शुरू करो, मेरी चूत को चोदकर पूरी तरह से शांत कर दो और उसके उस धक्के की वजह से मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया. फिर रश्मि मुझसे बोली कि तुम इस लंड को मेरी चूत से बाहर निकालो.
लेकिन में अपने लंड को धीरे धीरे रश्मि की चूत में अंदर बाहर करने लगा और उसी समय रश्मि ने मुझसे मेरे धक्को की स्पीड को बढ़ाकर करने को कहा और मैंने अपनी स्पीड को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया और में और भी तेज़ी से अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.
और रश्मि को भी पूरी तरह से मस्ती आ रही थी और वो जोश में आकर अपनी कमर को नीचे से उठा उठाकर मेरे हर एक धक्के का जवाब देने लगी थी. उसने अपने रसीले बूब्स को मेरी छाती पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठो को मेरे होंठ पर रख दिए और मेरे मुँह में अपनी जीभ को डाल दिया और वो अपनी चूत में मेरा लंड समाए हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी.
दोस्तों मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे में सीधा जन्नत में पहुँच गया हूँ और फिर मैंने महसूस किया कि वो जैसे जैसे झड़ने के करीब आ रही थी. उसकी धक्को की रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी और पूरे कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी और में रश्मि के ऊपर लेटकर धनाधन धक्के लगाने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.