06-06-2022, 03:05 PM
लेकिन में बहुत डरता था कि पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं तुम मुझसे नाराज़ ना हो जाओ और तुम नहीं जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है? में कितना तरसा हूँ, इसको पाने के लिए और में तुम्हें बता नहीं सकता.
रश्मि कहने लगी कि अच्छा तो आज तुम अपनी एक एक इच्छा को पूरा कर लो और जी भरकर दबाओ, चूसो और मज़े लो, में तो आज से पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ और तुम आज मेरे साथ जैसा चाहे वैसा करो. फिर क्या था दोस्तों? में रश्मि की तरफ से हरी झंडी को पाकर में रश्मि के बूब्स पर टूट पड़ा और मेरी जीभ उसके खड़े निप्पल को महसूस कर रही थी.
और मैंने अपनी जीभ को उसके उठे हुए खड़े निप्पल पर घुमाना शुरू किया और में उसके दोनों अनारों को कसकर पकड़े हुए था और में उनको बारी बारी से चूस भी रहा था, में ऐसे कसकर बूब्स को दबा भी रहा था, जैसे कि आज में उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा और रश्मि भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
और उसके मुहं से ओह्ह् सईईईई की आवाज़ निकल रही थी और वो मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए मेरे लंड को बुरी तरह से मसल भी रही थी और मुठ भी मार रही थी. उसने अपने एक पैर को मेरे दूसरे पैर के ऊपर चड़ा दिया और मेरे लंड को उसने अपनी दोनों जांघो के बीच में रख लिया.
मुझे उसकी जांघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. दोस्तों यह उसकी मुलायम चूत का असर था, क्योंकि रश्मि ने उस समय पेंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का टोपा उसकी झांटो के बीच में घूम रहा था, लेकिन मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था और मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा था.
में रश्मि से बोला कि रश्मि मुझे कुछ हो रहा और उस वजह से में अपने आपे में नहीं हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ में क्या करूं? तो रश्मि मुझसे कहने लगी कि करना क्या है, तुम मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को और आज तुम मेरी जमकर चुदाई करो, मुझे भी अपने लंड की चुदाई से खुश कर दो और मेरी चूत की आग को भी बुझा दो.
में भी कब से तुम्हारे साथ अपनी चुदाई के सपने देख रही हूँ, चलो तुम शुरू हो जाओ. में चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए उसके बूब्स को लगातार मसलता रहा और उस समय उसने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और वो मुझसे फुसफुसा कर बहुत धीमी आवाज में बोली कि तुम जल्दी से अपनी रश्मि को चोद दो.
मुझे तुम कब तक ऐसे ही तरसाते तड़पाते रहोगे और उस समय रश्मि ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के निशाने पर लगाकर उसको अंदर जाने का रास्ता दिखा रही थी और सही रास्ता मिलते ही मेरे लंड का टोपा मेरे एक ही हल्के से धक्के में अंदर चला गया और इससे पहले कि रश्मि संभले या वो अपना आसान बदले.
रश्मि कहने लगी कि अच्छा तो आज तुम अपनी एक एक इच्छा को पूरा कर लो और जी भरकर दबाओ, चूसो और मज़े लो, में तो आज से पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ और तुम आज मेरे साथ जैसा चाहे वैसा करो. फिर क्या था दोस्तों? में रश्मि की तरफ से हरी झंडी को पाकर में रश्मि के बूब्स पर टूट पड़ा और मेरी जीभ उसके खड़े निप्पल को महसूस कर रही थी.
और मैंने अपनी जीभ को उसके उठे हुए खड़े निप्पल पर घुमाना शुरू किया और में उसके दोनों अनारों को कसकर पकड़े हुए था और में उनको बारी बारी से चूस भी रहा था, में ऐसे कसकर बूब्स को दबा भी रहा था, जैसे कि आज में उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा और रश्मि भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
और उसके मुहं से ओह्ह् सईईईई की आवाज़ निकल रही थी और वो मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए मेरे लंड को बुरी तरह से मसल भी रही थी और मुठ भी मार रही थी. उसने अपने एक पैर को मेरे दूसरे पैर के ऊपर चड़ा दिया और मेरे लंड को उसने अपनी दोनों जांघो के बीच में रख लिया.
मुझे उसकी जांघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. दोस्तों यह उसकी मुलायम चूत का असर था, क्योंकि रश्मि ने उस समय पेंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का टोपा उसकी झांटो के बीच में घूम रहा था, लेकिन मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था और मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा था.
में रश्मि से बोला कि रश्मि मुझे कुछ हो रहा और उस वजह से में अपने आपे में नहीं हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ में क्या करूं? तो रश्मि मुझसे कहने लगी कि करना क्या है, तुम मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को और आज तुम मेरी जमकर चुदाई करो, मुझे भी अपने लंड की चुदाई से खुश कर दो और मेरी चूत की आग को भी बुझा दो.
में भी कब से तुम्हारे साथ अपनी चुदाई के सपने देख रही हूँ, चलो तुम शुरू हो जाओ. में चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए उसके बूब्स को लगातार मसलता रहा और उस समय उसने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और वो मुझसे फुसफुसा कर बहुत धीमी आवाज में बोली कि तुम जल्दी से अपनी रश्मि को चोद दो.
मुझे तुम कब तक ऐसे ही तरसाते तड़पाते रहोगे और उस समय रश्मि ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के निशाने पर लगाकर उसको अंदर जाने का रास्ता दिखा रही थी और सही रास्ता मिलते ही मेरे लंड का टोपा मेरे एक ही हल्के से धक्के में अंदर चला गया और इससे पहले कि रश्मि संभले या वो अपना आसान बदले.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.