31-05-2022, 05:53 PM
मैंने सोच सोच कर रात में अपना लंड हिलाया.
फिर दूसरे दिन दीदी फिर शाम को बालकनी में खड़ी थी. मैं नीचे से देखकर ऊपर जाने से पहले अपना अंडरवीयर निकाल कर सिर्फ़ एक टावल लगा कर ऊपर गया.
वहां जाकर देखा तो मैं हैरान हो गया क्योंकि अरुणिमा दीदी ने आज अपना बहुत पुराना स्कर्ट पहना हुआ था जो उनके सिर्फ़ घुटनों तक ही आता था.
और वो बालकनी में झुक कर खड़ी थी.
मैंने पीछे से देखा तो उनकी पेंटी भी दिख रही थी.
मेरा लंड उनकी गोरी गोरी जांघ और पेंटी देखकर एकदम खड़ा हो गया.
फिर दूसरे दिन दीदी फिर शाम को बालकनी में खड़ी थी. मैं नीचे से देखकर ऊपर जाने से पहले अपना अंडरवीयर निकाल कर सिर्फ़ एक टावल लगा कर ऊपर गया.
वहां जाकर देखा तो मैं हैरान हो गया क्योंकि अरुणिमा दीदी ने आज अपना बहुत पुराना स्कर्ट पहना हुआ था जो उनके सिर्फ़ घुटनों तक ही आता था.
और वो बालकनी में झुक कर खड़ी थी.
मैंने पीछे से देखा तो उनकी पेंटी भी दिख रही थी.
मेरा लंड उनकी गोरी गोरी जांघ और पेंटी देखकर एकदम खड़ा हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.