27-05-2022, 06:11 PM
(23-05-2022, 04:47 PM)neerathemall Wrote:
वो वैसे ही जोरों से सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लण्ड पर फुदकती रही जिससे कुछ ही देर बाद अचानक उसका बदन अकड़ सा गया और मुंह से ‘आह्ह … ईश्श्श … ईश्श्श … आह्ह … ईश्श्श …’ की किलकारियाँ सी मारते हुए वो जोरों से मुझसे लिपट गयी। साथ ही उसकी चुत भी मेरे लण्ड पर कस गयी और रह रह कर मेरे लण्ड को अपने प्रेमरस से नहलाना शुरु कर दिया।
मैंने भी उसे अब कसकर भींच लिया और उसके रस स्खलन में उसका पूरा साथ दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.