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Incest दीदी की मचलती जवानी
#18
मैंने दीदी  को मेरे साथ चिपक कर सोने का लालच दिया था. उसने कहा-तू तौलिया लपेट ले ,मैं आती हूँ तेरे पास,उसकी चूत  भी लंड लेने के लिए बेचैन हो चुकी थी. उसने पास में पड़ा तौलिया मेरी तरफ उछाल दिया और मेरे बगल में आकर लेट गई. मैंने दीदी से लाईट बंद करने को कहा पर उसने कहा नहीं भैया मुझे डर लगता है,लग रहा था उसे मेरे मन की बात पता हो गई हो.

मेरा लंड कडक कर लोहा जैसा सख्त हो गया था,मेरे लिए कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था. मैंने करवट बदलते हुए अपने हाथों से लंड को सहलाते हुए दबा दिया, की तभी दीदी पीछे से मुझे पकड़ कर चिपक गई,उसकी नंगी चूचियां मेरे पीठ को सहलाने लगी,उसका कड़ा निप्पल मेरे पीठ में गड़ता हुए महसूस हो रहा था . मेरी दीदी भी मेरी तरह ही जिस्म के आग में जल रही थी,मैं करवट बदलते हुए उसकी ओर घूम गया.
मेरी दीदी मेरी ओर अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से देख रही थी. Angry
उसकी आँखों में प्यार और वासना भरा हुआ था. मुझे लग रहा था अब उसे मेरा मोटा लंड चाहिए था. वो मुझसे चिपकी जा रही थी,मेरा लंड भी उस पर मर-मिटने को तैयार था. दीदी ने बेचैन होते हुए कहा- आज दिन में मेरी बात का बुरा माँन गए थे क्या. मैंने कहा -नहीं दीदी-तू तो मेरी अपनी है तेरी किसी बात या चीज का क्या बुरा मानना. मैंने अपना मोटा लंड उसकी टांगों के बिच में डाल दिया,मेरे लंड के पास ही उसकी गीली चूत थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी की मचलती जवानी - by neerathemall - 26-05-2022, 06:21 PM



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