26-05-2022, 05:31 PM
(26-05-2022, 05:30 PM)neerathemall Wrote:मनीष मुझसे बड़ा है और जॉब करता है. ये बात तब शुरू हुई थी जब मेरे भाई ने 4 साल पहले मेरे साथ ऐसी हरकत करना शुरू की थी जिसके बाद हम दोनों के बीच में सेक्स संबंध बन गये.
भैया के लंड से तीन बार चुदी
एक रात की बात है कि जब मैं सोकर उठी तो मेरे कपड़ों पर मुझे सुबह कुछ दाग जैसा दिखा.
वो कुछ सूखा पदार्थ लगा हुआ था. मुझे समझ नहीं आया.
मैंने सोचा कि शायद किचन से कुछ लग गया होगा.
फिर उसके दो दिन के बाद भी ऐसा ही हुआ. अब मैंने इस बात पर खास ध्यान देना शुरू कर दिया कि मेरे कपड़ों पर ये दाग कहां से आते हैं भला?
उस रात को मैं साफ कपड़े पहन कर सोई. मैंने किचन का काम भी निपटा लिया और उसके बाद मैं धुले हुए सफेद रंग के नाइट ड्रेस में सोई.
अगली सुबह जब उठी तो मेरी चूचियों पर वही दाग मिले.
अब मैंने सोच लिया कि मुझे पता करना पड़ेगा कि ऐसा कैसे हो रहा है.
फिर मैं रोज रात को जागने लगी. बस सोने का नाटक करती रहती.
दो-तीन रात ऐसे ही गुजार दी मैंने. उस दौरान मैं दिन में सोती और रात में जागती.
फिर एक रात की बात है कि करीब 1 बजे के आसपास मेरे रूम का दरवाजा खुला.
मैंने धीरे से आंख खोलकर देखा तो मनीष चुपके से मेरे रूम का दरवाजा बंद कर रहा था.
मेरी ओर उसकी पीठ थी तो मैंने तुरंत फिर से आंखें बंद कर लीं.
वैसे तो मुझे हल्की घबराहट हो रही थी क्योंकि मनीष कभी रात को मेरे पास नहीं आता था.
पर मैं चुपचाप लेटी रही.
थोड़ी देर के बाद मुझे आवाजें और सिसकारियां सुनाई देने लगीं.
फिर उसका एक हाथ मेरे बदन पर आ गया. वो मेरी चूचियों को हल्के से छूने लगा. मुझे करंट सा लग रहा था.
इससे पहले किसी लड़के ने मेरे बूब्स को टच भी नहीं किया था.
मेरी चूचियों को हल्की दबाने के बाद उसने मेरी जांघों पर हाथ फिराया और फिर मेरी चूत को भी छूने लगा.
वो मेरी चूत के होंठों पर उंगली फिरा रहा था और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ रहा था.
सच बताऊं तो मेरा मन कर गया कि भाई मेरी चूत को पैंटी के अंदर हाथ देकर सहलाये.
पर वो ऊपर से ही चूत को सहलाता रहा और मुट्ठ मारता रहा.
उसके हाथ के आगे पीछे होने की हलचल का मुझे साफ पता लग रहा था.
फिर उसने हाथ हटा लिया और उसकी सिसकारियां थोड़ी तेज हो गयीं. फिर अचानक मेरी चूचियों पर कुछ गर्म गर्म सा लिक्विड आकर लगा.
मैं जान गयी कि भाई ने अपने लंड का पानी गिराया है.
अब मुझे सारी बात समझ में आ गयी कि रात को मेरे कपड़ों पर वो दाग कैसे आते थे.
इस बारे में मैंने किसी को कुछ नहीं बताया.
अब मैं भैया पर ध्यान देने लगी थी. मुझे उसको देखना अच्छा लगता था. वो भी जवान था और मैं भी.
मैं उसकी ओर आकर्षित हो रही थी. मगर मैं सीधे उसको नहीं बोल सकती थी.
दो दिन के बाद फिर से वही हुआ. मनीष मेरे रूम में आया और मेरी चूचियों को छेड़ने लगा.
फिर उस दिन उसने मेरी लोअर में हाथ डाला और मेरी पैंटी के ऊपर से चूत को छेड़ने लगा.
मैं भी गर्म होने लगी. भाई की उंगलियां मेरी चूत पर चल रही थीं.
मेरी सांसें भारी होने लगी. मगर मैं खुद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी.
मनीष मेरी चूत को सहलाये जा रहा था और मुझे मजा आने लगा था.
फिर उसने अपना लंड निकाल लिया और उसको मेरे होंठों व चेहरे पर रगड़ने लगा.
उसके लंड की गंध मुझे साफ पता चल रही थी.
आज तक मैंने किसी लड़के का लंड ऐसे नहीं देखा था. देख तो उस दिन भी नहीं पा रही थी लेकिन चेहरे पर महसूस कर रही थी.
काफी देर तक वो मेरे चेहरे पर लंड को रगड़ता रहा. उसका लंड बहुत गर्म था और मुझे अपने गालों पर उसका लंड रगड़वाने में मजा आ रहा था.
फिर वो मुठ मारने लगा और उसने मेरे चेहरे पर माल गिरा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.