26-05-2022, 02:31 PM
मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था. कूद कर दीदी के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने अपने आप को देखने लगी. मैं दीदी के चुत्तरों को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता. मेरा मन अब थोरा ज्यादा बहकने लगा था. ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था. दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया. मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का चुम्बन लेने लगा. तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया. मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा “हाय राजू….ये तो एक दम टाइम पर लाइट चली गई…मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में बूर चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चुत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं….सलवार नहीं खोलना ठीक है….” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनकी फटी सलवार के पास उनके चुत के पास पहुँच गया. सलवार के फटे हुए भाग को फैला कर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हाय राजू….बूर चाटू…..राजा….हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एक दम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद….साला बहुत उस्ताद हो गया….है…..है मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फार दिया, यहाँ तक तक की दीदी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दी से कपरे खोलो….” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइट आ जाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी…..साली …” कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी. समीज खुलते ही दीदी कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो गई. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था. दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी और कमरे में उनके बदन से निकल रही पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और चुचियों को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उनकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गार दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. दीदी चिल्लाते हुए गाली दे रही थी “हाय हरामी….सीईईइ…ये क्या कर रहा है…..चूतखोर…..सीई….बेशरम…..कांख चाटने का तुझे कहा से सूझा…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ….पूरा पसीने से भरा हुआ था….साला मुझे भी गन्दा कर रहा है….. हाय पूरा थूक से भींगा दिया….हाय माधरचोद….ये क्या कर रहा है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….हाय मेरे पुरे बदन को चाट रहा है…..हाय भाई……तुझे मेरे बदन से रस टपकता हुआ लगता है क्या…..हाय…… उफ्फ्फ्फ्फ्फ….” मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. मैं दुसरे कांख को चाटते हुए बोला “हाय दीदी…तेरा बदन नशीला है…उम्म्म्म्म्म्म्म…..बहुत मजेदार है….तू तो रसवंती है….रसवंती….तेरे बदन को चाटने से जितना मजा मुझे मिलता है उतना एक बार बियर पी थी तब भी नहीं आया था….हाय…..दीदी तुम्हारी कान्खो में जो पसीना रहता है उसकी गंध ने मुझे बहुत बार पागल किया है…..हाय आज मौका मिला है तो नहीं छोरुगा….तुम्हारे पुरे बदन को चाटूंगा…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.