26-05-2022, 02:23 PM
मैं शर्मा कर अपने आप में सिमटते हुए दीदी के हाथ को हटाने की कोशिश करते हुए अपने दोनों जांघो को आपस में सटाने की कोशिश की ताकि दीदी मेरे उभार को नहीं देख पाए. दीदी ने मेरे जांघ पर दबाब डालते हुए उनका सीधा कर दिया और मेरे पैंट के उभार को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और बोली “रुक…आराम से बैठा रह…देखने दे….साले अभी शर्मा रहा है,…चुपचाप मेरे कमरे में आकर मुझे छू रहा था…तब शर्म नहीं आ रही थी तुझे…कुत्ते” दीदी ने फिर से अपना गुस्सा दिखाया और मुझे गाली दी. मैं सहम कर चुप चाप बैठ गया.
दीदी मेरे लण्ड को छोर कर मेरे हाफ पैंट का बटन खोलने लगी. मेरे पैंट के बटन खोल कर कड़कती आवाज़ में बोली “चुत्तर…उठा तो…तेरा पैंट निकालू…” मैंने हल्का विरोध किया “ओह दीदी छोड़ दो…”
“फिर से मार खायेगा क्या…जैसा कहती हु वैसा कर…” कहती हुई थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आई और अपने पेटिकोट को खींच कर घुटनों से ऊपर करते हुए पहले के जैसे बैठ गई. मैंने चुपचाप अपने चूतडोँ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया. दीदी ने सटाक से मेरे पैंट को खींच कर मेरी कमर और चूतडोँ के निचे कर दिया, फिर मेरे पैरों से होकर मेरे पैंट को पूरा निकाल कर निचे कारपेट पर फेंक दिया. मैंने निचे से पूरा नंगा हो गया था और मेरा ढीला लण्ड दीदी की आँखों के सामने था. मैंने हाल ही में अपने लण्ड के ऊपर उगे के बालो को ट्रिम किया था इसलिए झांट बहुत कम थे. मेरे ढीले लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भरते हुए दीदी ने सुपाड़े की चमरी को थोड़ा सा निचे खींचते हुए मेरे मरे हुए लण्ड पर जब हाथ चलाया तो मैं सनसनी से भर आह किया. दीदी ने मेरी इस आह पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने अंगूठे को सुपाड़े पर चलाती हुई सक-सक मेरे लण्ड की चमरी को ऊपर निचे किया. दीदी के कोमल हाथो का स्पर्श पा कर मेरे लण्ड में जान वापस आ गई. मैं डरा हुआ था पर दीदी जैसी खूबसूरत औरत की हथेली ने लौड़े को अपनी मुठ्ठी में दबोच कर मसलते हुए, चमरी को ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को गुदगुदाया तो अपने आप मेरे लण्ड की तरफ खून की रफ्तार तेज हो गई. लौड़ा फुफकार उठा और अपनी पूरी औकात पर आ गया. मेरे खड़े होते लण्ड को देख दीदी का जोश दुगुना हो गया और दो-चार बार हाथ चला कर मेरे लण्ड को अपने बित्ते से नापती हुई बोली “बाप रे बाप….कैसा हल्लबी लण्ड है…ओह… हाय…भाई तेरा तो सच में बहुत बड़ा है….मेरी इतनी उम्र हो गई….आज तक ऐसा नहीं देखा था…ओह…ये पूरा नौ इंच का लग रहा है…इतना बड़ा तो तेरे बहनोई का भी नहीं….हाय….ये तो उनसे बहुत बड़ा लग रहा है…..और काफी शानदार है….उफ़….मैं तो….मैं तो……हाय…..ये तो गधे के लण्ड जितना बड़ा है…..उफ्फ्फ्फ़…..” बोलते हुए मेरे लण्ड को जोर से मरोर दिया और सुपाड़े को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच कस कर दबा दिया. दर्द के मारे छटपटा कर जांघ सिकोरते हुए दीदी का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए पीछे खिसका तो तो मेरे लण्ड को पकर कर अपनी तरफ खींचती हुई बोली “हरामी….साले….मैं जब सो रही होती हु तो मेरी चूची दबाता है मेरी चूत में ऊँगली करता है….आग लगाता है….इतना मोटा लौड़ा ले कर….घूमता है…और बाएं गाल पर तड़ाक से एक झापड़ जड़ दिया. मैं हतप्रभ सा हो गया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. दीदी मुझ से क्या चाहती है, ये भी समझ में नहीं आ रहा था. एक तरफ तो वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुठ मार रही थी और दूसरी तरफ गाली देते हुए बात कर रही थी और मार रही थी. मैं उदास और डरी हुई नज़रों से दीदी को देख रहा था. दीदी मेरे लण्ड की मुठ मारने में मशगूल थी. एक हाथ में लण्ड को पकरे हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथ से करता है…. राजू….अपना शरीर बर्बाद मत कर…..तेरा शरीर बर्बाद हो जायेगा तो मैं माँ को क्या मुंह दिखाउंगी….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर दीदी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदास क्यों है….क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा है…..हाय राजू तेरा लण्ड बहुत बड़ा और मजेदार है…. तेरा हाथ से करने लायक नहीं है….ये किसी छेद घुसा कर किया कर…..” मैं दीदी की ऐसी खुल्लम खुल्ला बातों को सुन कर एक दम से भोच्चक रह गया और उनका मुंह ताकता रहा. दीदी मेरे लण्ड की चमरी को पूरा निचे उतार कर सुपाड़े की गोलाई के चारो तरफ ऊँगली फेरती हुई बोली “ऐसे क्या देख रहा है….तू अपना शरीर बर्बाद कर लेगा तो मैं माँ को क्या मुंह दिखाउंगी……मैंने सोच लिया है मुझे तेरी मदद करनी पड़ेगी……..तू घबरा मत….” दीदी की बाते सुन कर मुझे ख़ुशी हुई मैं हकलाते हुए बोला “हाय दीदी मुझे डर लगता है….आपसे….” इस पर दीदी बोली “राजू मेरे भाई…डर मत….मैंने तुझे….गाली दी इसकी चिंता मत कर…. मैं तेरा मजा ख़राब नहीं करना चाहती…ले……मेरा मुंह मत देख तू भी मजे कर……..” और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी ब्लाउज में कसी चुचियों पर रखती हुई बोली “….तू इनको दबाना चाहता था ना….ले…दबा…तू….भी मजा कर….मैं जरा तेरे लण्ड…. की……कितना पानी भरा है इसके अंदर….” मैंने डरते हुए दीदी की चुचियों को अपनी हथेली में थाम लिया और हलके हलके दबाने लगा. अभी दो तीन बार ही दबाया था की दीदी मेरे लण्ड को मरोरती हुई बोली “साले…कब मर्द बनेगा….ऐसे औरतो की तरह चूची दबाएगा तो…इतना तगड़ा लण्ड हाथ से ही हिलाता रह जायेगा….अरे मर्द की तरह दबा ना…डर मत….ब्लाउज खोल के दबाना चाहता है तो खोल दे….हाय कितना मजेदार हथियार है तेरा….देख….इतनी देर से मुठ मार रही हूँ मगर पानी नहीं फेंक रहा…..” मैंने मन ही मन सोचा की आराम से मुठ मारेगी तभी तो पानी फेंकेगा, यहाँ तो जैसे ही लौड़ा अपनी औकात पर आया था वैसे ही एक थप्पर मार कर उसको ढीला कर दिया. इतनी देर में ये समझ में आ गया की अगर मुझे दीदी के साथ मजा करना है तो बर्दाश्त करना ही परेगा, चूँकि दीदी ने अब खुली छूट दे दी थी इसलिए अपने मजे के अनुसार दोनों चुचियों को दबाने लगा, ब्लाउज के बटन भी साथ ही साथ खोल दिए और नीले रंग की छोटी से ब्रा में कसी दीदी की दोनों रसभरी चुचियों को दोनों हाथो में भर का दबाते हुए मजा लूटने लगा. मजा बढ़ने के साथ लण्ड की औकात में भी बढोतरी होने लगी. सुपाड़ा गुलाबी से लाल हो गया था और नसों की रेखाएं लण्ड के ऊपर उभर आई थी. दीदी पूरी कोशिश करके अपनी हथेली की मुट्ठी बना कर पुरे लण्ड को कसते हुए अपना हाथ चला रही थी. फिर अचानक उन्होंने लण्ड को पकरे हुए ही मुझे पीछे की तरफ धकेला, मेरी पीठ पलंग की पुश्त से जाकर टकराई मैं अभी संभल भी नहीं पाया था की दीदी ने थोड़ा पीछे की तरफ खिसकते हुए जगह बनाते हुए अपने सर को निचे झुका दिया और मेरे लाल आलू जैसे चमचमाते सुपाड़े को अपने होंठो के बीच कसते हुए जोर से चूसा. मुझे लगा जैसे मेरी जान सुपाड़े से निकल कर दीदी के मुंह के अन्दर समा गई हो. गुदगुदी और मजे ने बेहाल कर दिया था. अपने नौजवान सुपाड़े को चमरी हटा कर पहले कभी पंखे के निचे हवा लगाता था तो इतनी जबरदस्त सनसनी होती थी की मैं जल्दी से चमरी ऊपर कर लेता था. यहाँ दीदी की गरम मुंह के अन्दर उनके कोमल होंठ और जीभ ने जब अपना कमाल सुपाड़े पर दिखाना शुरू किया तो मैं सनसनी से भर उठा. लगा की लण्ड पानी छोड़ देगा. घबरा कर दीदी के मुंह को अपने लण्ड पर से हटाने के लिए चूची छोड़ कर उनके सर को पकड़ ऊपर उठाने की कोशिश की तो दीदी मेरे हाथ को झटक लौड़े पर से मुंह हटाती हुई बोली “हाय राजू….तेरा लण्ड तो बहुत स्वादिष्ट है….खाने लायक है….तुझे मजा आएगा…….चूसने दे….देख हाथ से करने से ज्यादा मजा मिलेगा….” मैं घबराता हुआ बोला “पर…पर…दीदी मेरा निकल जायेगा,,,,बहुत गुदगुदी होती है…..जब चूसती हो…..हाय. इस पर दीदी खुश होती हुई बोली “कोई बात नहीं भाई….ऐसा होता है…..आज से पहले कभी तुने चुसवाया है…”
“हाय…नहीं दीदी…कभी…नहीं….”
दीदी मेरे लण्ड को छोर कर मेरे हाफ पैंट का बटन खोलने लगी. मेरे पैंट के बटन खोल कर कड़कती आवाज़ में बोली “चुत्तर…उठा तो…तेरा पैंट निकालू…” मैंने हल्का विरोध किया “ओह दीदी छोड़ दो…”
“फिर से मार खायेगा क्या…जैसा कहती हु वैसा कर…” कहती हुई थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आई और अपने पेटिकोट को खींच कर घुटनों से ऊपर करते हुए पहले के जैसे बैठ गई. मैंने चुपचाप अपने चूतडोँ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया. दीदी ने सटाक से मेरे पैंट को खींच कर मेरी कमर और चूतडोँ के निचे कर दिया, फिर मेरे पैरों से होकर मेरे पैंट को पूरा निकाल कर निचे कारपेट पर फेंक दिया. मैंने निचे से पूरा नंगा हो गया था और मेरा ढीला लण्ड दीदी की आँखों के सामने था. मैंने हाल ही में अपने लण्ड के ऊपर उगे के बालो को ट्रिम किया था इसलिए झांट बहुत कम थे. मेरे ढीले लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भरते हुए दीदी ने सुपाड़े की चमरी को थोड़ा सा निचे खींचते हुए मेरे मरे हुए लण्ड पर जब हाथ चलाया तो मैं सनसनी से भर आह किया. दीदी ने मेरी इस आह पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने अंगूठे को सुपाड़े पर चलाती हुई सक-सक मेरे लण्ड की चमरी को ऊपर निचे किया. दीदी के कोमल हाथो का स्पर्श पा कर मेरे लण्ड में जान वापस आ गई. मैं डरा हुआ था पर दीदी जैसी खूबसूरत औरत की हथेली ने लौड़े को अपनी मुठ्ठी में दबोच कर मसलते हुए, चमरी को ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को गुदगुदाया तो अपने आप मेरे लण्ड की तरफ खून की रफ्तार तेज हो गई. लौड़ा फुफकार उठा और अपनी पूरी औकात पर आ गया. मेरे खड़े होते लण्ड को देख दीदी का जोश दुगुना हो गया और दो-चार बार हाथ चला कर मेरे लण्ड को अपने बित्ते से नापती हुई बोली “बाप रे बाप….कैसा हल्लबी लण्ड है…ओह… हाय…भाई तेरा तो सच में बहुत बड़ा है….मेरी इतनी उम्र हो गई….आज तक ऐसा नहीं देखा था…ओह…ये पूरा नौ इंच का लग रहा है…इतना बड़ा तो तेरे बहनोई का भी नहीं….हाय….ये तो उनसे बहुत बड़ा लग रहा है…..और काफी शानदार है….उफ़….मैं तो….मैं तो……हाय…..ये तो गधे के लण्ड जितना बड़ा है…..उफ्फ्फ्फ़…..” बोलते हुए मेरे लण्ड को जोर से मरोर दिया और सुपाड़े को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच कस कर दबा दिया. दर्द के मारे छटपटा कर जांघ सिकोरते हुए दीदी का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए पीछे खिसका तो तो मेरे लण्ड को पकर कर अपनी तरफ खींचती हुई बोली “हरामी….साले….मैं जब सो रही होती हु तो मेरी चूची दबाता है मेरी चूत में ऊँगली करता है….आग लगाता है….इतना मोटा लौड़ा ले कर….घूमता है…और बाएं गाल पर तड़ाक से एक झापड़ जड़ दिया. मैं हतप्रभ सा हो गया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. दीदी मुझ से क्या चाहती है, ये भी समझ में नहीं आ रहा था. एक तरफ तो वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुठ मार रही थी और दूसरी तरफ गाली देते हुए बात कर रही थी और मार रही थी. मैं उदास और डरी हुई नज़रों से दीदी को देख रहा था. दीदी मेरे लण्ड की मुठ मारने में मशगूल थी. एक हाथ में लण्ड को पकरे हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथ से करता है…. राजू….अपना शरीर बर्बाद मत कर…..तेरा शरीर बर्बाद हो जायेगा तो मैं माँ को क्या मुंह दिखाउंगी….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर दीदी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदास क्यों है….क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा है…..हाय राजू तेरा लण्ड बहुत बड़ा और मजेदार है…. तेरा हाथ से करने लायक नहीं है….ये किसी छेद घुसा कर किया कर…..” मैं दीदी की ऐसी खुल्लम खुल्ला बातों को सुन कर एक दम से भोच्चक रह गया और उनका मुंह ताकता रहा. दीदी मेरे लण्ड की चमरी को पूरा निचे उतार कर सुपाड़े की गोलाई के चारो तरफ ऊँगली फेरती हुई बोली “ऐसे क्या देख रहा है….तू अपना शरीर बर्बाद कर लेगा तो मैं माँ को क्या मुंह दिखाउंगी……मैंने सोच लिया है मुझे तेरी मदद करनी पड़ेगी……..तू घबरा मत….” दीदी की बाते सुन कर मुझे ख़ुशी हुई मैं हकलाते हुए बोला “हाय दीदी मुझे डर लगता है….आपसे….” इस पर दीदी बोली “राजू मेरे भाई…डर मत….मैंने तुझे….गाली दी इसकी चिंता मत कर…. मैं तेरा मजा ख़राब नहीं करना चाहती…ले……मेरा मुंह मत देख तू भी मजे कर……..” और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी ब्लाउज में कसी चुचियों पर रखती हुई बोली “….तू इनको दबाना चाहता था ना….ले…दबा…तू….भी मजा कर….मैं जरा तेरे लण्ड…. की……कितना पानी भरा है इसके अंदर….” मैंने डरते हुए दीदी की चुचियों को अपनी हथेली में थाम लिया और हलके हलके दबाने लगा. अभी दो तीन बार ही दबाया था की दीदी मेरे लण्ड को मरोरती हुई बोली “साले…कब मर्द बनेगा….ऐसे औरतो की तरह चूची दबाएगा तो…इतना तगड़ा लण्ड हाथ से ही हिलाता रह जायेगा….अरे मर्द की तरह दबा ना…डर मत….ब्लाउज खोल के दबाना चाहता है तो खोल दे….हाय कितना मजेदार हथियार है तेरा….देख….इतनी देर से मुठ मार रही हूँ मगर पानी नहीं फेंक रहा…..” मैंने मन ही मन सोचा की आराम से मुठ मारेगी तभी तो पानी फेंकेगा, यहाँ तो जैसे ही लौड़ा अपनी औकात पर आया था वैसे ही एक थप्पर मार कर उसको ढीला कर दिया. इतनी देर में ये समझ में आ गया की अगर मुझे दीदी के साथ मजा करना है तो बर्दाश्त करना ही परेगा, चूँकि दीदी ने अब खुली छूट दे दी थी इसलिए अपने मजे के अनुसार दोनों चुचियों को दबाने लगा, ब्लाउज के बटन भी साथ ही साथ खोल दिए और नीले रंग की छोटी से ब्रा में कसी दीदी की दोनों रसभरी चुचियों को दोनों हाथो में भर का दबाते हुए मजा लूटने लगा. मजा बढ़ने के साथ लण्ड की औकात में भी बढोतरी होने लगी. सुपाड़ा गुलाबी से लाल हो गया था और नसों की रेखाएं लण्ड के ऊपर उभर आई थी. दीदी पूरी कोशिश करके अपनी हथेली की मुट्ठी बना कर पुरे लण्ड को कसते हुए अपना हाथ चला रही थी. फिर अचानक उन्होंने लण्ड को पकरे हुए ही मुझे पीछे की तरफ धकेला, मेरी पीठ पलंग की पुश्त से जाकर टकराई मैं अभी संभल भी नहीं पाया था की दीदी ने थोड़ा पीछे की तरफ खिसकते हुए जगह बनाते हुए अपने सर को निचे झुका दिया और मेरे लाल आलू जैसे चमचमाते सुपाड़े को अपने होंठो के बीच कसते हुए जोर से चूसा. मुझे लगा जैसे मेरी जान सुपाड़े से निकल कर दीदी के मुंह के अन्दर समा गई हो. गुदगुदी और मजे ने बेहाल कर दिया था. अपने नौजवान सुपाड़े को चमरी हटा कर पहले कभी पंखे के निचे हवा लगाता था तो इतनी जबरदस्त सनसनी होती थी की मैं जल्दी से चमरी ऊपर कर लेता था. यहाँ दीदी की गरम मुंह के अन्दर उनके कोमल होंठ और जीभ ने जब अपना कमाल सुपाड़े पर दिखाना शुरू किया तो मैं सनसनी से भर उठा. लगा की लण्ड पानी छोड़ देगा. घबरा कर दीदी के मुंह को अपने लण्ड पर से हटाने के लिए चूची छोड़ कर उनके सर को पकड़ ऊपर उठाने की कोशिश की तो दीदी मेरे हाथ को झटक लौड़े पर से मुंह हटाती हुई बोली “हाय राजू….तेरा लण्ड तो बहुत स्वादिष्ट है….खाने लायक है….तुझे मजा आएगा…….चूसने दे….देख हाथ से करने से ज्यादा मजा मिलेगा….” मैं घबराता हुआ बोला “पर…पर…दीदी मेरा निकल जायेगा,,,,बहुत गुदगुदी होती है…..जब चूसती हो…..हाय. इस पर दीदी खुश होती हुई बोली “कोई बात नहीं भाई….ऐसा होता है…..आज से पहले कभी तुने चुसवाया है…”
“हाय…नहीं दीदी…कभी…नहीं….”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
