26-05-2022, 02:22 PM
. इसलिए मैंने पेटिकोट के कट को दुसरे हाथ की सहायता से थोड़ा सा और फैलाया और फिर अपनी ऊँगली को थोड़ा और अन्दर घुसाया और यही मेरी सबसे बड़ी गलती साबित हो गई. मुझे ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए था मगर गलती हो चुकी थी. दीदी अचानक सीधी होती हुई उठ कर बैठ गई. अपनी नींद से भरी आँखों को उन्होंने ऐसे खोल दिया जैसे वो कभी सोई ही नहीं थी. सीधा मेरे उस हाथ को पकर लिया जो उनके पेटिकोट के नाड़े के कट के पास था. मैं एक दम हक्का बक्का सा खड़ा रह गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.