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Incest मेरी बड़ी बहन
#8
गांड के सीकूडे हुए छेद से करीब चार अंगुल भर की दूरी पर निचे की तरफ एक लम्बी लकीर सी नज़र आ रही थी. मैं ये देख कर ताज्जुब में पर गया, पर तभी ख्याल आया की घोंचू ये तो शायद चूत है. पहले ये लकीर इसलिए नहीं नज़र आ रही थी क्योंकि यहाँ पर झान्ट के बाल थे, हेयर रिमुविंग क्रीम ने जब झांटो की सफाई कर दी तो चूत की लकीर स्पष्ट दिखने लगी. इस बात का अहसास होते ही की मैं अपनी दीदी की चूत देख रहा हूँ, मुझे लगा जैसे मेरा कलेजा मुंह को आ जायेगा और फिर से मेरा गला सुख गया और पैर कांपने लगे. इस बार शायद मेरे लण्ड से दो बूँद टपक कर निचे गिर भी गया पर मैंने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. लण्ड भी मारे उत्तेजना के काँप रहा था. बाथरूम में वैसे तो लाइट आँन थी मगर चूँकि बल्ब भी लकरी के पट्टो के सामने ही लगा हुआ था इसलिए दीदी की पीठ की तरफ रोशनी कम थी. फिर भी दोनों मोटी जांघो के बीच ऊपर की तरफ चूतडोँ की खाई के ठीक निचे एक गुलाबी लकीर सी दिख रही थी. पट्टो के बीच से देखने से ऐसा लग रहा था जैसे सेब या पके हुए पपीते के आधे भाग को काट कर फिर से आपस में चिपका कर दोनों जांघो के बीच फिट कर दिया गया है. मतलब दीदी की चूत ऐसी दिख रही थी जैसे सेब को चार भागो में काट कर फिर दो भागो को आपस में चिपका कर गांड के निचे लगा दिया गया हो. कमर या चूतडोँ के इधर-उधर होने पर दोनों फांकों में भी हरकत होती थी और ऐसा लगता जैसे कभी लकीर टेढी हो गई है कभी लकीर सीधी हो गई है. जैसे चूत के दोनों होंठ कभी मुस्कुरा रहे है कभी नाराज़ हो रहे है. दोनों होंठ आपस में एक दुसरे से एक दम सटे हुए दिख रहे थे. होंठो के आपस में सटे होने के मतलब बाद में समझ में आया की ऐसा चूत के बहुत ज्यादा टाइट होने के कारण था. दोनों फांक एक दम गुलाबी और पावरोटी के जैसे फूले हुए थे. मेरे मन में आया की काश मैं चूत की लकीर पर ऊपर से निचे तक अपनी ऊँगली चला और हलके से दोनों फांकों को अलग कर के देख पाता की कैसी दिखती है, दोनों गुलाबी होंठो के बीच का अंदरूनी भाग कैसा है मगर ये सपना ही रह गया. दीदी के बाल धुल चुके थे और वो सीधी खड़ी हो गई.

 
बालो को अच्छी तरह से धोने के बाद फिर से उनका गोला बना कर सर के ऊपर बाँध लिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने आप को फिर से गीला कर पुरे बदन पर साबुन लगाने लगी। पहले अपने हाथो पर अच्छी तरह से साबुन लगाया फिर अपने हाथो को ऊपर उठा कर वो दाहिनी तरफ घूम गई और अपने कान्खो को आईने में देख कर उसमे साबुन लगाने लगी. पहले बाएं कांख में साबुन लगाया फिर दाहिने हाथ को उठा कर दाहिनी कांख में जब साबुन लगाने जा रही थी तो मुझे हेयर रिमुविंग क्रीम का कमाल देखने को मिला. दीदी की कांख एक दम
गोरी, गुलाबी और चिकनी हो गई थी।
जीभ लगा कर चाटो तो जीभ फिसल जाये ऐसी चिकनी लग रही थी. दीदी ने खूब सारा साबुन अपनी कान्खो में लगाया और फिर वैसे ही अपनी छाती पर रगर-रगर कर साबुन लगाने लगी. छाती पर साबुन का खूब सारा झाग उत्पन्न हो रहा था. दीदी का हाथ उसमे फिसल रहा था और वो अपनी ही चुचियों के साथ खिलवार करते हुए साबुन लगा रही थी. कभी निप्पल को चुटकियों में पकर कर उन पर साबुन लगाती कभी पूरी चूची को दोनों हाथो की मुट्ठी में कस कर साबुन लगाती. साबुन लगाने के कारण दीदी की चूची हिल रही थी और थलथला रही थी. चुचियों के हिलने का नज़ारा लण्ड को बेकाबू करने के लिए काफी था. तभी दीदी वापस नल की तरफ घूम गई और फिर निचे झुक कर पैरों पर साबुन लगाने के बाद सीधा हो कर अपनी जांघो पर साबुन लगाने लगी. दोनों जांघो पर साबुन लगाने के बाद अपने हाथो में ढेर सारा साबुन का झाग बना कर अपनी जांघो को फैला कर उनके बीच अपने हाथों को घुसा दिया. हाथ चलाते हुए अपनी चूत पर साबुन लगाने लगी. अच्छी तरह से चूत पर साबुन लगा लेने के बाद जैसा की मैंने सोचा था गांड की बारी आई और फिर पहले अपने चूतरों पर साबुन लगा लेने के बाद अपने हाथो में साबुन का ढेर सारा झाग बना कर अपने हाथो को चूतडोँ की दरार में घुसा दिया और ऊपर से निचे चलाती हुई अपनी गांड की खाई को रगरते हुए उसमे साबुन लगाने लगी. गांड में साबुन लगाने से भी खूब सारा झाग उत्पन्न हो रहा था. खूब अच्छी तरह से साबुन लगा लेने के बाद. नल खोल कर मग से पानी उठा-उठा कर दीदी ने अपना बदन धोना शुरू कर दिया. पानी धीरे-धीरे साबुन को धो कर निचे गिराता जा रहा था और उसी के साथ दीदी के गोरे बदन की सुन्दरता को भी उजागर करता जा रहा था. साबुन से धुल जाने के बाद दीदी का गोरा बदन एक दम ढूध का धुला लग रहा था. जैसे बाथरूम के उस अंधियारे में चांदनी रौशन हो गई थी. ऊपर से निचे तक दीदी का पूरा बदन चम-चमा रहा था. मेरी आंखे चुंधिया रही थी और मैं अपनी आँखों को फाड कर ज्यादा से ज्यादा उसके मद भरे यौवन का रस अपनी आँखों से पी जाना चाहता था. मेरे पैर थक चुके थे और कमर अकड़ चूँकि थी मगर फिर भी मैं वह से हिल नहीं पा रहा था. अपने पुरे बदन को धो लेने के बाद दीदी ने खूंटी पर टंगा तौलिया उतारा और अपने बदन को पोछने लगी. पुरे बदन को तौलिये से हौले-हौले दबा कर पोछने के बाद अपने सर को बालों को तौलिये से हल्के से पोछा और तौलिये को बालों में लपेट कर एक गोला बना दिया. फिर दाहिनी तरफ घूम कर आईने के सामने आ गई. दाहिनी चूची जो की मुझे इस समय दिख रही थी थोड़ी लाल या फिर कहे तो गुलाबी लग रही थी. ऐसा शायद रगर का सफाई करने के कारण हुआ होगा, निप्पल भी थोड़ी काली लग रही थी ऐसा शायद उनमे खून भर जाने के कारण हुआ होगा. दीदी ने अपने आप को आईने अच्छी तरह से देखा फिर अपने दोनों हाथो को उठा कर बारी-बारी से अपनी कान्खो को देखा और सुंघा भी, फिर अपने दोनों जांघो के बीच अच्छी तरह से देखा, अपने चेहरे का हर कोण से अच्छी तरह से आईने में देखा और फिर अपनी नजरो को निचे ले जा कर अपने पैरों आदि को देखने लगी. मैं समझ गया की अब दीदी बाहर निकलेंगी. इस से पहले की वो बाहर निकले मुझे चुप चाप निकल जाना चाहिए. मैं जल्दी से बाहर निकला और साइड में बने बेसीन पर अपना हाथ धोया और एक शर्ट पहन कर चुपचाप बाहर निकल गया. मैं किसी भी तरह का खतरा नहीं मोलना चाहता चाहता था इसलिए बाहर निकल पहले अपने आप को सयंत किया, अपने उखरे हुए सांसो पर काबू पाया और फिर करीब पंद्रह मिनट के बाद घर में फिर से दाखील हुआ.
 
घर में घुसने पर देखा की दीदी अपने कपड़े पहन कर बालकनी में खरी हो कर अपने बालों को सुखा रही थी. पीली साडी और ब्लाउज में आसमान से उतरी परी की तरह लग रही थी. गर्दन पीछे की तरफ कर के बालों को तौलिये से रगर कर पोछते हुए शायद उसे ध्यान नहीं था की टाइट ब्लाउज में बाहर की ओर उसकी चुचियाँ निकल जाएँगी. देखने से ऐसा लग रहा था जैसे अभी फाड कर बाहर निकल आएगी. उसने शायद थोड़ा मेकअप भी कर लिया था. बाल सुखाते हुए उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी तो बोली कहाँ था, बोल के जातामैं कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेती”. मैंने कहा सॉरी दीदी वो मुझे ध्यान नहीं रहा…”. फिर बाल सुखाने के बाद दीदी अपने कमरे में चली गई. मैं वही बाहर बैठ कर टेलिविज़न देखने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बड़ी बहन - by neerathemall - 26-05-2022, 02:19 PM



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