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Incest मेरी बड़ी बहन
#6
करीब पांच-सात मिनट के बाद वो फिर से खड़ी हो गई. लौड़े में फिर से जान आ गई. दीदी इस समय अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी थी. फिर उसने अपने नितंब को खुजाया और सहलाया फिर अपने दोनों हाथों को बारी बारी से उठा कर अपनी कान्खो को देखा और फिर अपने जांघो के बीच झाँकने के बाद फर्श पर परे हुए कपड़ो को उठाया. यही वो क्षण था जिसका मैं काफी देर से इन्तेज़ार कर रहा था. फर्श पर पड़े हुए कपड़ो को उठाने के लिए दीदी निचे झुकी और उनके नितंब लकड़ी के पट्टो के बीच बने गैप के सामने आ गए. निचे झुकने के कारण उनके दोनों नितंब अपने आप अलग हो गए और उनके बीच की मोटी लकीर अब दीदी की गहरी गुदा में बदल गई. दोनों नितंब बहुत ज्यादा अलग नहीं हुए थे मगर फिर भी इतने अलग तो हो चुके थे की उनके बीच की गहरी खाई नज़र आने लगी थी. देखने से ऐसा लग रहा था जैसे किसी बड़े खरबूजे को बीच से काट कर थोड़ा सा अलग करके दो खम्भों के ऊपर टिका कर रख दिया गया है. दीदी वैसे ही झुके हुए बाल्टी में कपड़ो को डाल कर खंगाल रही थी और बाहर निकाल कर उनका पानी निचोड़ रही थी. ताकत लगाने के कारण दीदी के नितंब और फ़ैल गए और गोरी [b]चूतडोँ के बीच की गहरी भूरे रंग की गुदा की खाई पूरी तरह से नज़र आने लगी. दीदी की गुदा की खाई एक दम चिकनी थी. गुदा के छेद के आस-पास भी बाल उग जाते है मगर दीदी के मामले में ऐसा नहीं था उसकी गुदा, जैसा की उसका बदन था, की तरह ही मलाई के जैसी चिकनी लग रही थी. झुकने के कारण चुत्तरों के सबसे निचले भाग से जांघो के बीच से दीदी की चूत के बाल भी नजर आ रहे थे. उनके ऊपर लगा हुआ सफ़ेद क्रीम भी नज़र आ रहा था. चूतडोँ की खाई में काफी निचे जाकर जहा चूत के बाल थे उनसे थोड़ा सा ऊपर दीदी की गुदा की सिकुड़ी हुई भूरे रंग की छेद थी. ऊँगली के अगले सिरे भर की बराबर की छेद थी. किसी फूल की तरह से नज़र आ रही थी. दीदी के एक दो बार हिलने पर वो छेद हल्का सा हिला और एक दो बार थोड़ा सा फुला-पिचका. ऐसा क्यों हुआ मेरी समझ में नहीं आया मगर इस समय मेरा दिल कर रहा था की मैं अपनी ऊँगली को दीदी की गुदा की खाई में रख कर धीरे-धीरे चलाऊ और उसके भूरे रंग की दुप-दुपाती छेद पर अपनी ऊँगली रख हलके-हलके दबाब दाल कर गुदा की छेद की मालिश करू. उफ़ कितना मजा आएगा अगर एक हाथ से नितंब को मसलते हुए दुसरे हाथ की ऊँगली को गुदा की छेद पर डाल कर हलके-हलके कभी थोड़ा सा अन्दर कभी थोड़ा सा बाहर कर चलाया जाये तो. पूरी ऊँगली दीदी की गुदा में डालने से उन्हें दर्द हो सकता था इसलिए पूरी ऊँगली की जगह आधी ऊँगली या फिर उस से भी कम डाल कर धीरे धीरे गोल-गोल घुमाते हुए अन्दर-बाहर करते हुए गुदा की फूल जैसी छेद ऊँगली से हलके-हलके मालिश करने में बहुत मजा आएगा. इस कल्पना से ही मेरा पूरा बदन सिहर गया. दीदी की गुदा इस समय इतनी खूबसूरत लग रही थी की दिल कर रहा थी अपने मुंह को उसके चूतडोँ के बीच घुसा दू और उसकी इस भूरे रंग की सिकुड़ी हुई गुदा की छेद को अपने मुंह में भर कर उसके ऊपर अपना जीभ चलाते हुए उसके अन्दर अपनी जीभ डाल दू. उसके चूतडोँ को दांत से हलके हलके काट कर खाऊ और पूरी गुदा की खाई में जीभ चलाते हुए उसकी गुदा चाटू. पर ऐसा संभव नहीं था. मैं इतना उत्तेजित हो चूका था की लण्ड किसी भी समय पानी फेंक सकता था. लौड़ा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और अब दर्द करने लगा था. अपने अंडकोष को अपने हाथो से सहलाते हुए हलके से सुपाड़े को दो उँगलियों के बीच दबा कर अपने आप को सान्तवना दिया.
[/b]

 
सारे कपड़े अब खंगाले जा चुके थे. दीदी सीधी खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथो को उठा कर उसने एक अंगराई ली और अपनी कमर को सीधा किया फिर दाहिनी तरफ घूम गई. मेरी किस्मत शायद आज बहुत अच्छी थी. दाहिनी तरफ घूमते ही उसकी दाहिनी चूची जो की अब नंगी थी मेरी लालची आँखों के सामने आ गई. उफ़ अभी अगर मैं अपने लण्ड को केवल अपने हाथ से छू भर देता तो मेरा पानी निकल जाता. चूची का एक ही साइड दिख रहा था. दीदी की चूची एक दम ठस सीना तान के खड़ी थी. ब्लाउज के ऊपर से देखने पर मुझे लगता तो था की उनकी चूचियां सख्त होंगी मगर 28-29 साल की होने के बाद भी उनकी चुचियों में कोई ढलकाव नहीं आया था. इसका एक कारण ये भी हो सकता था की उनको अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था. दीदी को शायद ब्रा की कोई जरुरत ही नहीं थी. उनकी चुचियों की कठोरता किसी भी 17-18साल की लौंडिया के दिल में जलन पैदा कर सकती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बड़ी बहन - by neerathemall - 26-05-2022, 02:08 PM



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