26-05-2022, 11:40 AM
फिर कुछ देर ऐसे ही मज़े लेकर में भी सो गया और अब में हर रोज़ रात को मौका देखकर यही सब करता रहा, लेकिन इस बीच दीदी एक बार भी नहीं जागी तो मेरी हिम्मत अब धीरे धीरे बढ़ने लगी और फिर एक रात को मैंने दीदी की सलवार का नाड़ा थोड़ा ढीला किया और अंदर हाथ डाल दिया. अंदर दीदी ने पेंटी नहीं पहनी हुई थी तो इसलिए मुझे ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और अब मेरा हाथ दीदी की चूत पर फिसल रहा था और उनकी चूत के बाल एकदम मुलायम और छोटे छोटे थे. में अपने हाथ को थोड़ा आगे की तरफ ले गया और उनकी चूत के बीच में डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन तभी अचानक से दीदी ने करवट ले ली और में डरकर सो गया और फिर दो दिन तक ऐसा ही चला और एक दिन दीदी ने मुझे पकड़ लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
