25-05-2022, 04:44 PM
मैं भी अब अपने जवान बदन को निहारने लगी. मेरे अंदर कोई भी कमी नहीं थी पर मैं अपने बाबूजी के नीचे यानि की जन्म दाता के नीचे कैसे लेटूँ?
यह एक बहुत बड़ी समस्या थी.
मैंने सोचा कि क्यों न भाभी को रंगे हाथ पकड़ा जाये!
पर ऐसा करने से दोनों सावधान हो सकते थे.
फिर मैंने एक तरकीब लगायी कि भाभी से खुल कर बात करने लगी सेक्स के बारे में!
हम दोनों हमउम्र थी और हमारी कदकाठी भी लगभग एक समान थी.
मैंने एक दिन बात ही बात में कह दिया- भाभी, असली मजे तो तुम ले रही हो जवानी के!
तो वो एकदम से चौंक पड़ी और उन्होंने कहा- रमा तू भी … छी: तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी क्या?
मैंने बिल्कुल भी देर नहीं की और कह दिया- भाभी, और रात को तुम जो मजे लेती हो उसका क्या? आखिर भैया में ऐसी क्या कमी है?
उनका मुंह शर्म से लाल हो गया।
भाभी ने कहा- अरे रमा, बस जिंदगी ऐसे ही चलती है. औरत तो बस एक मोहरा है. मुझे तो इस घर में रहना है. जल में रहना है तो मगर से बैर नहीं किया जाता. पर बता तुझे कब पता लगा और तूने क्या देखा?
मैंने उसे सब कुछ बता दिया.
साथ ही मैंने तुरंत बात सँभालते हुए उन्हें कहा- भाभी, अगर कोई चीज़ मजा देती है तो उसे मिल बाँट कर खाने में क्या बुराई है?
भाभी ने कहा- रमा, देख तू मेरी सहेली ज्यादा है ननद बाद में! देख पहले तो जोर-जबरदस्ती करी थी पापा जी ने एक रात को और मैंने तुम्हारे भैया को डर के मारे नहीं बताया. और फिर धीरे धीरे मुझे भी आदत हो गयी उनकी।
भाभी आगे बोली- पर तेरे तो बाबू जी हैं। है तेरे अंदर इतनी हिम्मत?
मैंने कहा- भाभी, अभी कुछ नहीं कह सकती … पर तुम ही कोई रास्ता बताओ?
फिर भाभी ने जो कुछ कहा, सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
उन्होंने कहा- देख ऐसा कर … तेरे बेटे के साथ मैं सो जाऊंगी और दो दिन तक मैं उन्हें कोई भी बहाना बना कर रोक कर रखूंगी. और तू ऐसा करना कि मेरे बेड पर मेरे कपड़े पहन कर लेट जाना, वो कुछ भी बात नहीं करते हैं, बस प्यार करते हैं और फिर अपनी प्यास बुझा कर चुपचाप चले जाते हैं.
मुझे भाभी का यह सुझाव बहुत अच्छा लगा पर ख्याल आया कि सुबह क्या होगा?
मैंने भाभी से ये बात बताई तो उन्होंने कहा- अरे सुबह की सुबह देखना.
और फिर दो दिन बाद मैंने उनकी वो नारंगी रंग की साड़ी पहनी ठीक रात को सोने से पहले. भाभी मेरे कमरे में चली गयी और मैं उनके बिस्तर में।
मेरा दिल धड़क रहा था कि मैं ये क्या कर रही हूँ. पर मेरी चूत में चुलबुलाहट हो रही थी जो बाबूजी ही मिटा सकते थे.
मैं रात को वैसे ही अपनी गांड दरवाजे की तरफ करके लेट गयी. मेरे से टाइम काटे नहीं कट रहा था.
कि तभी मुझे दरवाजा बंद करने की आवाज आयी और फिर कोई मेरे पीछे आकर लेट गया.
मुझे उसकी सांसों से एक तेज गंध आयी जो दारू की गंध थी. बाबूजी ने दारू पी रखी थी.
और मेरे बाल हटा कर मेरी गर्दन पर जैसे ही उन्होंने किस किया, मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया. फिर वो अँधेरे में ही मेरी चुम्मियाँ लेने लगे और मेरे बाहर से ही स्तन दबाने लगे.
मैं चाह कर भी सिसकारी नहीं ले सकी।
उनका हाथ मेरे पेट की तरफ बढ़ रहा था और उन्होंने मेरी साड़ी उठा दी.
फिर बाबूजी ने मुझे सीधा करा और मेरे ऊपर आ गए. उन्होंने घुटने से मेरी जांघें चौड़ी की और अपना निहायत ही मोटा लण्ड मेरी फुद्दी पर रख दिया. वो मुझे लगातार चूमे जा रहे थे.
और फिर जैसे ही उन्होंने कस कर धक्का मारा, मैं एक अजीब आनंद के मारे दुहरी हो गयी.
बस फिर बाबूजी मुझे भाभी समझ कर धीरे धीरे पेलने लगे.
मेरा रोम रोम आनंद के मारे पुलकित हो रहा था। ऐसा मोटा लण्ड मैंने पहले कभी नहीं लिया था. मेरी चूत के सलवट खुलते जा रहे थे. साली ऐसी मस्त रगड़ाई मेरे पति रमेश ने पहले कभी नहीं की थी।
बाबूजी मुझे किसी भालू की तरह चोद रहे थे.
मैंने भी मस्ती में आकर उनकी जफ्फी भर ली और उनके चूतड़ पर हाथ फेरा. आह … उनके चूतड़ बहुत सॉलिड थे, तब मुझे आभास हुआ कि भाभी क्यों चीखती थी.
मेरी टाइट चूत मेरे से ज्यादा चीखने लगी.
न बाबू जी को होश था और न मुझे!
और आखिरी पलों में तो मैं जैसे किसी स्वर्ग की सैर कर रही थी. मेरी बच्चेदानी का जम कर चुदान हो रहा था, बाबूजी पूरी ताकत लगा रहे थे और अब मुझे मुश्किल हो रही थी. मुझे लग रहा था की बाबूजी का लौड़ा कोई साधारण लौड़ा नहीं है क्योंकि आज तक मुझे पहले कभी भी इतना आनंद नहीं आया था।
बाबूजी ने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने की कोशिश की पर जब नहीं खुले तो उन्होंने एक झटके में ब्लाउज़ के बटन तोड़ दिए और मेरे चूचे बुरी तरह मसल दिए उनके हाथ एक किसान के हाथ थे.
एक तो लौड़ा अंदर ठोकरें मार रहा था और फिर बाबूजी ने मेरे इतने अंदर लौड़ा पेल दिया कि मैं बता नहीं सकती। मुझे लगा कि कम से कम सात इंच लम्बा लौड़ा था उनका!
वो मुझे चूतड़ तक नहीं उठाने दे रहे थे!
‘आह!’ और जब लास्ट धक्का मारा तो मैं अपनी चीख रोक नहीं सकी और मुंह से आह निकल गयी. और तभी गर्म गर्म तेज फुहारें मेरे बदन में समाती चली गयी. आह … क्या आनन्द था इस चुदाई में!
बाबू जी का लौड़ा मेरी चूत में बुरी तरह काँप रहा था. पर फिर जैसे ही धारें गिरनी बंद हुई, वो एकदम से मेरे जिस्म से उतरे और लौड़ा भी लगभग खींच कर ही निकाला।
और फिर बड़ी तेजी से अपना कच्छा उठा कर दरवाजा खोल कर निकल गये.
शायद उन्हें मेरी आवाज से पता चल गया था कि मैंने किसी और की चुदाई कर दी है।
मैं भी कुछ देर बाद वहां से उठी और भाभी के पास आ गयी.
भाभी ने लाइट जलाई और मेरी तरफ देखा मेरा ब्लाउज़ एकदम खुला हुआ था.
उन्होंने हँसते हुए कहा- रमा हो गया तेरा काम? पड़ गयी ठण्ड? कैसा लगा?
मैंने शरमाते हुए कहा- भाभी, तुम बाबूजी को कैसे झेलती हो?
उन्होंने कहा- अरे रमा, हमारे मर्द तो बाऊजी के आगे कुछ भी नहीं हैं। आज तो देख ही लिया कि क्या करेंट है ससुर जी में।
भाभी आगे बोली- और सुन, भूल कर भी किसी को मत बताना ये बात!
मैंने कहा- भाभी, तुम्हारे तो मजे है यार! पर अब सुबह क्या होगा? मैं उन्हें कैसे मुंह दिखाऊंगी?
उन्होंने कहा- चिंता मत कर … शर्म तो उन्हें होगी कि अपनी बेटी की चूत ही बजा डाली नशे में!
“वो तेजी से भागे!” भाभी ने कहा- इसका मतलब है कि उन्होंने तेरी आवाज पहचान ली।
यह एक बहुत बड़ी समस्या थी.
मैंने सोचा कि क्यों न भाभी को रंगे हाथ पकड़ा जाये!
पर ऐसा करने से दोनों सावधान हो सकते थे.
फिर मैंने एक तरकीब लगायी कि भाभी से खुल कर बात करने लगी सेक्स के बारे में!
हम दोनों हमउम्र थी और हमारी कदकाठी भी लगभग एक समान थी.
मैंने एक दिन बात ही बात में कह दिया- भाभी, असली मजे तो तुम ले रही हो जवानी के!
तो वो एकदम से चौंक पड़ी और उन्होंने कहा- रमा तू भी … छी: तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी क्या?
मैंने बिल्कुल भी देर नहीं की और कह दिया- भाभी, और रात को तुम जो मजे लेती हो उसका क्या? आखिर भैया में ऐसी क्या कमी है?
उनका मुंह शर्म से लाल हो गया।
भाभी ने कहा- अरे रमा, बस जिंदगी ऐसे ही चलती है. औरत तो बस एक मोहरा है. मुझे तो इस घर में रहना है. जल में रहना है तो मगर से बैर नहीं किया जाता. पर बता तुझे कब पता लगा और तूने क्या देखा?
मैंने उसे सब कुछ बता दिया.
साथ ही मैंने तुरंत बात सँभालते हुए उन्हें कहा- भाभी, अगर कोई चीज़ मजा देती है तो उसे मिल बाँट कर खाने में क्या बुराई है?
भाभी ने कहा- रमा, देख तू मेरी सहेली ज्यादा है ननद बाद में! देख पहले तो जोर-जबरदस्ती करी थी पापा जी ने एक रात को और मैंने तुम्हारे भैया को डर के मारे नहीं बताया. और फिर धीरे धीरे मुझे भी आदत हो गयी उनकी।
भाभी आगे बोली- पर तेरे तो बाबू जी हैं। है तेरे अंदर इतनी हिम्मत?
मैंने कहा- भाभी, अभी कुछ नहीं कह सकती … पर तुम ही कोई रास्ता बताओ?
फिर भाभी ने जो कुछ कहा, सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
उन्होंने कहा- देख ऐसा कर … तेरे बेटे के साथ मैं सो जाऊंगी और दो दिन तक मैं उन्हें कोई भी बहाना बना कर रोक कर रखूंगी. और तू ऐसा करना कि मेरे बेड पर मेरे कपड़े पहन कर लेट जाना, वो कुछ भी बात नहीं करते हैं, बस प्यार करते हैं और फिर अपनी प्यास बुझा कर चुपचाप चले जाते हैं.
मुझे भाभी का यह सुझाव बहुत अच्छा लगा पर ख्याल आया कि सुबह क्या होगा?
मैंने भाभी से ये बात बताई तो उन्होंने कहा- अरे सुबह की सुबह देखना.
और फिर दो दिन बाद मैंने उनकी वो नारंगी रंग की साड़ी पहनी ठीक रात को सोने से पहले. भाभी मेरे कमरे में चली गयी और मैं उनके बिस्तर में।
मेरा दिल धड़क रहा था कि मैं ये क्या कर रही हूँ. पर मेरी चूत में चुलबुलाहट हो रही थी जो बाबूजी ही मिटा सकते थे.
मैं रात को वैसे ही अपनी गांड दरवाजे की तरफ करके लेट गयी. मेरे से टाइम काटे नहीं कट रहा था.
कि तभी मुझे दरवाजा बंद करने की आवाज आयी और फिर कोई मेरे पीछे आकर लेट गया.
मुझे उसकी सांसों से एक तेज गंध आयी जो दारू की गंध थी. बाबूजी ने दारू पी रखी थी.
और मेरे बाल हटा कर मेरी गर्दन पर जैसे ही उन्होंने किस किया, मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया. फिर वो अँधेरे में ही मेरी चुम्मियाँ लेने लगे और मेरे बाहर से ही स्तन दबाने लगे.
मैं चाह कर भी सिसकारी नहीं ले सकी।
उनका हाथ मेरे पेट की तरफ बढ़ रहा था और उन्होंने मेरी साड़ी उठा दी.
फिर बाबूजी ने मुझे सीधा करा और मेरे ऊपर आ गए. उन्होंने घुटने से मेरी जांघें चौड़ी की और अपना निहायत ही मोटा लण्ड मेरी फुद्दी पर रख दिया. वो मुझे लगातार चूमे जा रहे थे.
और फिर जैसे ही उन्होंने कस कर धक्का मारा, मैं एक अजीब आनंद के मारे दुहरी हो गयी.
बस फिर बाबूजी मुझे भाभी समझ कर धीरे धीरे पेलने लगे.
मेरा रोम रोम आनंद के मारे पुलकित हो रहा था। ऐसा मोटा लण्ड मैंने पहले कभी नहीं लिया था. मेरी चूत के सलवट खुलते जा रहे थे. साली ऐसी मस्त रगड़ाई मेरे पति रमेश ने पहले कभी नहीं की थी।
बाबूजी मुझे किसी भालू की तरह चोद रहे थे.
मैंने भी मस्ती में आकर उनकी जफ्फी भर ली और उनके चूतड़ पर हाथ फेरा. आह … उनके चूतड़ बहुत सॉलिड थे, तब मुझे आभास हुआ कि भाभी क्यों चीखती थी.
मेरी टाइट चूत मेरे से ज्यादा चीखने लगी.
न बाबू जी को होश था और न मुझे!
और आखिरी पलों में तो मैं जैसे किसी स्वर्ग की सैर कर रही थी. मेरी बच्चेदानी का जम कर चुदान हो रहा था, बाबूजी पूरी ताकत लगा रहे थे और अब मुझे मुश्किल हो रही थी. मुझे लग रहा था की बाबूजी का लौड़ा कोई साधारण लौड़ा नहीं है क्योंकि आज तक मुझे पहले कभी भी इतना आनंद नहीं आया था।
बाबूजी ने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने की कोशिश की पर जब नहीं खुले तो उन्होंने एक झटके में ब्लाउज़ के बटन तोड़ दिए और मेरे चूचे बुरी तरह मसल दिए उनके हाथ एक किसान के हाथ थे.
एक तो लौड़ा अंदर ठोकरें मार रहा था और फिर बाबूजी ने मेरे इतने अंदर लौड़ा पेल दिया कि मैं बता नहीं सकती। मुझे लगा कि कम से कम सात इंच लम्बा लौड़ा था उनका!
वो मुझे चूतड़ तक नहीं उठाने दे रहे थे!
‘आह!’ और जब लास्ट धक्का मारा तो मैं अपनी चीख रोक नहीं सकी और मुंह से आह निकल गयी. और तभी गर्म गर्म तेज फुहारें मेरे बदन में समाती चली गयी. आह … क्या आनन्द था इस चुदाई में!
बाबू जी का लौड़ा मेरी चूत में बुरी तरह काँप रहा था. पर फिर जैसे ही धारें गिरनी बंद हुई, वो एकदम से मेरे जिस्म से उतरे और लौड़ा भी लगभग खींच कर ही निकाला।
और फिर बड़ी तेजी से अपना कच्छा उठा कर दरवाजा खोल कर निकल गये.
शायद उन्हें मेरी आवाज से पता चल गया था कि मैंने किसी और की चुदाई कर दी है।
मैं भी कुछ देर बाद वहां से उठी और भाभी के पास आ गयी.
भाभी ने लाइट जलाई और मेरी तरफ देखा मेरा ब्लाउज़ एकदम खुला हुआ था.
उन्होंने हँसते हुए कहा- रमा हो गया तेरा काम? पड़ गयी ठण्ड? कैसा लगा?
मैंने शरमाते हुए कहा- भाभी, तुम बाबूजी को कैसे झेलती हो?
उन्होंने कहा- अरे रमा, हमारे मर्द तो बाऊजी के आगे कुछ भी नहीं हैं। आज तो देख ही लिया कि क्या करेंट है ससुर जी में।
भाभी आगे बोली- और सुन, भूल कर भी किसी को मत बताना ये बात!
मैंने कहा- भाभी, तुम्हारे तो मजे है यार! पर अब सुबह क्या होगा? मैं उन्हें कैसे मुंह दिखाऊंगी?
उन्होंने कहा- चिंता मत कर … शर्म तो उन्हें होगी कि अपनी बेटी की चूत ही बजा डाली नशे में!
“वो तेजी से भागे!” भाभी ने कहा- इसका मतलब है कि उन्होंने तेरी आवाज पहचान ली।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.