Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 1.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest पापा से चुद गयी मैं
#5
यह कहकर मैं पापा के लिए चाय बनाने चली गई. पापा को लग रहा था कि शायद रोहित और मेरे बीच में लड़ाई हो गई है. मगर मैं तो जानती थी कि हमारे बीच भाई-बहन वाली साधारण लड़ाई नहीं हुई है. हमारे बीच में तो कुछ दूसरी लड़ाई हुई थी.

मैंने पापा को रात वाली सारी बात बता दी और पापा ने रोहित को उसके कमरे से बुला कर बहुत बुरा-भला कहा. वह नाराज होकर घर से चला गया. पापा भी अपने कमरे में चले गये. पापा शराब पीने लगे. वैसे तो पापा शराब नहीं पीते थे मगर उनके दिमाग को शांत करने के लिए वह आज पी रहे थे.
मैंने पापा के लिए खाना बना दिया और खाना खाने के बाद उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया. अपने पास बिठा कर पापा ने मुझसे रात वाली बात विस्तार से बताने के लिए कहा. वैसे तो मैं शरमा रही थी मगर पापा ने पूछा था तो बता रही थी. पापा ने उस समय पजामा और बनियान पहन रखी थी. मैंने लोअर व टी-शर्ट डाली हुई थी.
मेरी बात सुनकर पापा बोले- यह तो हर कोई करता है. औरत और मर्द के बीच में यह सब होना आम बात है बेटी. तू इसको लेकर इतनी परेशान क्यों है? इतना हो-हल्ला करने की क्या जरूरत है?
मैं पापा को अजीब सी नजरों से देख रही थी कि पापा ये बोल क्या रहे हैं?
पापा बोले- सेक्स तो औरत और मर्द के बीच में ही होता है. इसमें कोई रिश्ता मायने नहीं रखता. अब तू जा और जाकर सो जा.
रात को जब मैं सो रही थी तो मुझे सपना आया कि मेरा पुराना बॉयफ्रेंड दीपक मेरे गले में बांहें डाले हुए है. वह मेरे दूधों को पी रहा है. मेरी चूत को सहला रहा है. मुझे मजा आ रहा था और मैं सपने में पूरी मस्ती में खोई हुई थी. मेरे मुंह से कामुक सिसकारी निकल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर से करो … पी जाओ दीपक … मेरे दूधों को काट लो … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है.
उसके बाद सपने में ही दीपक ने मुझे जोर से काटा तो मेरी आंख खुल गई. मैंने देखा कि कमरे में पूरा अंधेरा था और कोई सच में ही मेरे दूधों को पी रहा था.
मैंने सोचा कि ये जरूर मेरा भाई रोहित ही होगा. पापा के समझाने के बाद मेरे दिमाग में जो बात चल रही थी उसके चलते मैंने रोहित को ऐसा करने से रोकना ठीक नहीं समझा. मैं समझ गई थी कि रोहित शायद मुझसे बदला ले रहा है. मुझे भी सुरूर में मजा आ रहा था. मैंने रोहित को कुछ नहीं कहा और न ही उसे यह पता लगने दिया कि मैं जाग रही हूँ.
मेरा लोअर अब तक उतर चुका था. उसके बाद मेरी चूत पर दो गर्म-गर्म होंठ आकर लगे. मस्ती से एक गीली जीभ मेरी चूत में आकर घुसने का प्रयास कर रही थी.
मेरे मुंह से निकल गया – आआह्ह्ह … उम्मम … घुसा दो पूरी अंदर तक.
तड़पते हुए मेरा हाथ पीछे की तरफ जाने लगा. मेरा हाथ बेड के साइड में रखे लैम्प के स्विच पर जा लगा और लाइट जल गई. मैंने देखा कि जो जीभ मेरी चूत में घुसी हुई थी वह मेरे भाई रोहित की नहीं बल्कि मेरे पापा की थी.
पापा को देखकर मेरे अंदर एक अलग सा रोमांच भर गया. मैं भी यही सोच रही थी कि सेक्स में कोई रिश्ता नहीं होता है. अगर कोई रिश्ता होता है बस लंड और चूत का होता है.
फिर भी मैंने थोड़ा सा कंट्रोल करते हुए कहा- पापा, क्या कर रहे हो?
पापा बोले- बेटी, मैं तुझे कली से फूल बना रहा हूँ.
मैंने मन ही मन कहा कि पापा मैं तो कली से फूल पहले ही बन चुकी हूँ मगर आपको नहीं पता है इस बारे में.
मैंने फिर कहा- नहीं पापा, प्लीज ऐसा मत करो.
मगर अब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेरी अस्वीकृति अब स्वीकृति में बदलती जा रही थी. पापा नहीं रुके और मेरी चूत को पूरा निचोड़ कर रख दिया. पापा ने जल्द ही मुझे पूरी नंगी कर दिया. पापा ने कमरे की सारी लाइटें जला दी थीं. अब हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से देख सकते थे.
पापा ने कहा- प्रिया, इतनी सुंदर तो तेरी माँ भी नहीं है.
पापा सच ही कह रहे थे क्योंकि मेरे चूचे पूरे 36 के साइज के थे. चूतड़ भी 36 के साइज से ज्यादा ही थे. कमर 30 के साइज की है. मेरा रंग गोरा और आंखें एकदम प्रिया प्रकाश की तरह हैं. हर कोई मुझ पर फिदा था और आज मेरे पापा भी मुझ पर फिदा हो गये थे. पापा ने मेरे चूचों को अपने हाथों से दबा लिया और अपना लंड मेरे चूचों के बीच में ऊपर नीचे करने लगे.
ऐसा करते हुए उनका लंड मेरे मुंह तक पहुंच रहा था जिसको मैं मुंह लेने की कोशिश करती तो वह मेरे मुंह में चला जाता था.
मैं पापा के लंड को चूस कर फिर से बाहर निकाल देती थी. बहुत दिनों के बाद मेरे बदन पर कोई लंड नाच रहा था. दीपक ने तो मुझे तीन-चार बार ही चोदा था. उसका लंड भी इतना बड़ा नहीं था. जबकि मेरे पापा का लंड को सात इंच के करीब था. मेरे पापा का लंड दीपक के लंड की तुलना में मोटा भी अधिक था जो मेरे मुंह में भी ठीक ढंग से नहीं आ पा रहा था.
पापा बोले- बेटा, अब और मत तड़पा मुझे. अपनी चूत दे दे मुझे. मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा है.
मैंने पापा के सामने एक शर्त रख दी कि माँ के आने के बाद भी मुझे आपके लंड से चुदाई करवानी है. मेरी शर्त को पापा खुशी-खुशी मान गए.
पापा ने मेरी कमर के नीचे तकिया रख दिया.
मैंने सोचा कि दीपक तो ऐसा कुछ भी नहीं करता था. खैर, जो भी हो. मैं भी देखना चाहती थी कि पापा मेरी चुदाई में क्या नया करने वाले थे.
पापा ने मेरी दोनों टांगों को चौड़ी कर दिया और अपना लंड मेरी चूत पर टिका कर रगड़ने लगे. मैं तड़प उठी और पापा को लंड अंदर डालने के लिए कहने लगी. पापा ने एक झटका मारा तो मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया. उनका आधा लंड मेरी चूत में घुस चुका था. मेरे मुंह से चीख निकल गयी. उफ्फ … उम्म … आआह्ह … फ्फ …
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: पापा से चुद गयी मैं - by neerathemall - 25-05-2022, 04:37 PM



Users browsing this thread: 3 Guest(s)