25-05-2022, 04:37 PM
“आह्ह … बहुत मजा आ रहा है चाची. चूसती रहो ऐसे ही ओह्ह …”
चाची उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और चाची के दूध हिल रहे थे. एक बार तो मुझे देखने में मजा आया लेकिन अगले ही पल यह ध्यान आया कि चाची तो मेरे भाई को बिगाड़ रही है. मैंने सोचा कि मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.
मैंने हिम्मत करके कमरे में कदम रखे और जोर से चिल्लाई- चाची, ये क्या कर रही हो मेरे भाई के साथ?
मुझे देख कर दोनों की ही हवाइयां उड़ गईं. उन दोनों के बदन पसीना-पसीना हो गये.
मैं दोबारा चिल्लाई- चाचा जी कहाँ हैं? मैं उनको आपकी इस करतूत के बारे में सब कुछ बता दूंगी. मैं अभी चाचा को बुला कर लाती हूँ.
चाची बोली- नहीं बेटी, तेरे चाचा शादी में गये हुए हैं. तू किसी से कुछ मत कहना नहीं तो मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी. तुझे अपने भाई की कसम है कि तू किसी को कुछ नहीं बताएगी.
मैंने कहा- चाची, आपको शर्म नहीं आती कि आप अपने से उम्र में इतने छोटे लड़के के साथ ऐसी गन्दी हरकत कर रही हैं? आप मेरे भाई को फंसाना चाहती हैं?
इतने में रोहित बोल पड़ा- दीदी, प्लीज आप चली जाओ. मैं आपके पीछे-पीछे आता हूँ और आपको सारी बात बता दूँगा.
मैंने एक जोर का झापड़ रोहित के मुंह पर जड़ दिया. वह वहीं पर चुप हो गया. रोहित अपने कपड़े पहनने लगा.
चाची मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी. मैं रोहित का हाथ पकड़ कर अपने साथ नीचे उसको कमरे में ले गयी.
रोहित बोला- दीदी, मुझे माफ कर दो. मैं आज के बाद कभी ऐसा नहीं करूंगा.
मैंने कहा- ठीक है. अभी तो मैं तुझे छोड़ रही हूँ. रात काफी हो गयी है. जाकर अपने कमरे में सो जा चुपचाप. तुझसे मैं सुबह इस बारे में बात करूंगी.
मैं भी अपने कमरे में आकर सोने की कोशिश करने लगी. मगर मेरी आंखों के सामने अभी भी वही सीन चल रहा था. चाची और रोहित कैसे मजे ले रहे थे. मैंने सोने की बहुत कोशिश की मगर मुझे भी अपने और दीपक (मेरा बॉयफ्रेंड) के बीच हुए सेक्स के बारे में वही सीन याद आने लगे. मगर अब दीपक के साथ मेरा ब्रेक-अप हो गया था. मैंने खुद को संभाला और आंख बंद करके सोने की कोशिश करने लगी.
कुछ देर के बाद मेरी आंख लगी ही थी कि मुझे अपनी नाइटी में ऐसा महसूस हुआ कि किसी के हाथ चल रहे हैं मेरे बदन पर. मैंने घबरा कर आंख खोल कर देखा तो रोहित ने अपना हाथ मेरी नाइटी में डाला हुआ था.
मैं चिल्लाई- बद्तमीज, ये क्या कर रहा है?
रोहित बोला- दीदी, आप थोड़ी देर के बाद नहीं आ सकती थी छत पर? मेरा काम अधूरा ही रह गया. मैं चाची के थोड़े मजे ही ले लेता. अब मुझसे कंट्रोल हो ही नहीं रहा है.
मैंने उसे कस कर एक चांटा मारा और कहा- तू जरा सुबह होने दे. मैं तेरी सारी करतूतें पापा को बता दूंगी.
रोहित ने एकदम मुझे गले से लगा लिया और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे चूचों को दबाने लगा. मैं हैरान थी कि उसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई है. उसने अगले ही पल मेरी नाइटी को ऊपर उठा कर मेरे चूचों को पीना शुरू कर दिया. उसकी जीभ जब मेरे चूचों पर लगी तो मैं बहकने लगी. मगर मैंने खुद को संभाला और रोहित को पीछे धकेल दिया. मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको कमरे से बाहर निकाल दिया और अपने बेड पर आकर लेट कर रोने लगी. रोते हुए मेरी आंख लग गयी.
सुबह के आठ बजे के लगभग मेरी आंख खुली तो मैं अपने कमरे से बाहर गयी और रोहित के कमरे में जा कर देखा तो वह सो रहा था. उसके बाद फ्रेश होकर मैंने नाश्ता बनाया. रोहित को नाश्ता करने के लिए कहा मगर उसने मेरे हाथ के बने नाश्ते में से कुछ भी नहीं खाया. शायद वह चाची के पास ही कुछ खाकर आ गया था. माँ अभी तक नानी के घर से नहीं आई थी.
नाश्ता करने के बाद पापा भी आ पहुंचे. मैंने दरवाजा खोला और पापा को देखते ही उनके गले से लग कर रोने लगी.
पापा बोले- क्या हुआ? तू रो क्यूं रही है?
मैंने कहा- पापा आप नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ. उसके बाद मैं सारी बात आप को बताती हूँ.
चाची उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और चाची के दूध हिल रहे थे. एक बार तो मुझे देखने में मजा आया लेकिन अगले ही पल यह ध्यान आया कि चाची तो मेरे भाई को बिगाड़ रही है. मैंने सोचा कि मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.
मैंने हिम्मत करके कमरे में कदम रखे और जोर से चिल्लाई- चाची, ये क्या कर रही हो मेरे भाई के साथ?
मुझे देख कर दोनों की ही हवाइयां उड़ गईं. उन दोनों के बदन पसीना-पसीना हो गये.
मैं दोबारा चिल्लाई- चाचा जी कहाँ हैं? मैं उनको आपकी इस करतूत के बारे में सब कुछ बता दूंगी. मैं अभी चाचा को बुला कर लाती हूँ.
चाची बोली- नहीं बेटी, तेरे चाचा शादी में गये हुए हैं. तू किसी से कुछ मत कहना नहीं तो मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी. तुझे अपने भाई की कसम है कि तू किसी को कुछ नहीं बताएगी.
मैंने कहा- चाची, आपको शर्म नहीं आती कि आप अपने से उम्र में इतने छोटे लड़के के साथ ऐसी गन्दी हरकत कर रही हैं? आप मेरे भाई को फंसाना चाहती हैं?
इतने में रोहित बोल पड़ा- दीदी, प्लीज आप चली जाओ. मैं आपके पीछे-पीछे आता हूँ और आपको सारी बात बता दूँगा.
मैंने एक जोर का झापड़ रोहित के मुंह पर जड़ दिया. वह वहीं पर चुप हो गया. रोहित अपने कपड़े पहनने लगा.
चाची मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी. मैं रोहित का हाथ पकड़ कर अपने साथ नीचे उसको कमरे में ले गयी.
रोहित बोला- दीदी, मुझे माफ कर दो. मैं आज के बाद कभी ऐसा नहीं करूंगा.
मैंने कहा- ठीक है. अभी तो मैं तुझे छोड़ रही हूँ. रात काफी हो गयी है. जाकर अपने कमरे में सो जा चुपचाप. तुझसे मैं सुबह इस बारे में बात करूंगी.
मैं भी अपने कमरे में आकर सोने की कोशिश करने लगी. मगर मेरी आंखों के सामने अभी भी वही सीन चल रहा था. चाची और रोहित कैसे मजे ले रहे थे. मैंने सोने की बहुत कोशिश की मगर मुझे भी अपने और दीपक (मेरा बॉयफ्रेंड) के बीच हुए सेक्स के बारे में वही सीन याद आने लगे. मगर अब दीपक के साथ मेरा ब्रेक-अप हो गया था. मैंने खुद को संभाला और आंख बंद करके सोने की कोशिश करने लगी.
कुछ देर के बाद मेरी आंख लगी ही थी कि मुझे अपनी नाइटी में ऐसा महसूस हुआ कि किसी के हाथ चल रहे हैं मेरे बदन पर. मैंने घबरा कर आंख खोल कर देखा तो रोहित ने अपना हाथ मेरी नाइटी में डाला हुआ था.
मैं चिल्लाई- बद्तमीज, ये क्या कर रहा है?
रोहित बोला- दीदी, आप थोड़ी देर के बाद नहीं आ सकती थी छत पर? मेरा काम अधूरा ही रह गया. मैं चाची के थोड़े मजे ही ले लेता. अब मुझसे कंट्रोल हो ही नहीं रहा है.
मैंने उसे कस कर एक चांटा मारा और कहा- तू जरा सुबह होने दे. मैं तेरी सारी करतूतें पापा को बता दूंगी.
रोहित ने एकदम मुझे गले से लगा लिया और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे चूचों को दबाने लगा. मैं हैरान थी कि उसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई है. उसने अगले ही पल मेरी नाइटी को ऊपर उठा कर मेरे चूचों को पीना शुरू कर दिया. उसकी जीभ जब मेरे चूचों पर लगी तो मैं बहकने लगी. मगर मैंने खुद को संभाला और रोहित को पीछे धकेल दिया. मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको कमरे से बाहर निकाल दिया और अपने बेड पर आकर लेट कर रोने लगी. रोते हुए मेरी आंख लग गयी.
सुबह के आठ बजे के लगभग मेरी आंख खुली तो मैं अपने कमरे से बाहर गयी और रोहित के कमरे में जा कर देखा तो वह सो रहा था. उसके बाद फ्रेश होकर मैंने नाश्ता बनाया. रोहित को नाश्ता करने के लिए कहा मगर उसने मेरे हाथ के बने नाश्ते में से कुछ भी नहीं खाया. शायद वह चाची के पास ही कुछ खाकर आ गया था. माँ अभी तक नानी के घर से नहीं आई थी.
नाश्ता करने के बाद पापा भी आ पहुंचे. मैंने दरवाजा खोला और पापा को देखते ही उनके गले से लग कर रोने लगी.
पापा बोले- क्या हुआ? तू रो क्यूं रही है?
मैंने कहा- पापा आप नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ. उसके बाद मैं सारी बात आप को बताती हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
