25-05-2022, 04:29 PM
अजय झट से बेड पर बैठ गया और अपनी सास को समझाने लगा : "आप उसकी चिंता मत करो..ये बात सिर्फ़ हम दोनो के बीच ही रहेगी..और 1 पर्सेंट प्राची को पता चल भी गया तो मैं सब संभाल लूँगा..मैं आपकी बेटी से बहुत प्यार करता हू, उसे मैं पूरी जिंदगी छोड़ने वाला नही हूँ ..मेरा विश्वास करो..''
वो अपनी सास की जांघों को सहलाते हुए ये बातें बड़े प्यार से उन्हे समझा रहा था..
एक तो उसकी बातों का जादू और दूसरा समझाने का ये तरीका...रजनी तो पिघलती चली गयी अपने दामाद की लच्छेदार बातें सुनकर...
वो सोचने लगी...और अजय के हाथ धीरे-2 उपर खिसकने लगे..और आग की भट्टी के बिल्कुल करीब पहुँचकर तो उससे रहा ही नही गया और उसने अपना पंजा आगे करते हुए अपनी सास की चूत को दबोच लिया..रजनी ने सिसकारी मारते हुए उसकी तरफ दयनीय दृष्टि से देखा पर वो जानती थी की अब ये मानने वाला नही है...गर्म तो वो भी हो रही थी...उसकी चूत से निकल रही गर्मी को महसूस करके ये बात अजय अच्छी तरह से जान चुका था.
रजनी (धीरे से) : "अच्छा ..ठीक है...पर एकदम से ये सब तुम्हारे साथ करना मुझे कुछ ठीक नही लग रहा...धीरे-2 ही आगे बढ़ना तुम...मेरे कहे अनुसार...अगर मुझे ठीक लगता गया तो मैं तुम्हे अगली बार थोड़ा और आगे बढ़ने का मौका दूँगी...वरना नही...''
अब ऐसी शर्त रखकर कुछ मिलने वाला तो नही था रजनी को...और ना ही अजय रुकने वाला था ऐसी बंदिशों को सुनकर...पर फिर भी इस खेल को धीरे-2 आगे बढ़ाने की सोचकर उसके अंदर भी रोमांच भर गया...और उसने हाँ कर दी.
अजय : "ठीक है...जैसा आप कहो...मुझे कोई प्रॉब्लम नही है...
इतना कहकर उसने रजनी का हाथ पकड़ा और अपने कमरे में चलने के लिए कहा..पर रजनी ने मना कर दिया और बोली : "नही...जो करना है,यही कर लो...प्राची की नींद फिर से खुल गयी तो मुश्किल हो जाएगी...एक ही रात में दूसरी बार मुझे तुम्हारे कमरे में एकसाथ देखकर वो सब समझ जाएगी...''
प्राची का तो बहाना था, वो वहीं रुकने की बात इसलिए कर रही थी क्योंकि वो नही चाहती थी की अजय अपनी हद से आगे बड़े ...प्राची के होते हुए वो वैसे भी कुछ भी ज़्यादा करने से रहा ....इसलिए वो उसी कमरे मे रुकने की ज़िद कर रही थी.
और अजय भी इतना भोंदू तो था नही जो इस बात को ना समझता...वैसे तो उसी कमरे में रुककर कुछ मस्ती करने की बात उसे रोमांचित कर रही थी क्योंकि अपनी पत्नी के होते हुए वो उसकी माँ के साथ जो काम करने वाला था उसमे ख़तरा तो था पर ये ख़तरा उठाने के लिए भी वो तैयार था...
अजय मुस्कुराता हुआ वहीँ रुक गया और आगे बढ़कर उसने अपने हाथ सीधा अपनी सास की ब्रेस्ट पर रख दिए...और उसके हाथ को महसूस करते ही रजनी की आँखे बंद हो गयी...और वो धीरे से सिसक उठी..
उम्म्म्मममममममम...... धीरे अजय...धीरे...
पर अजय ने कभी कोई काम धीरे किया है जो आज कर देता...वो तो अपनी सास के फूले हुए बूब्स को ज़ोर-2 से दबा कर उनमे और हवा भर रहा था...और ऐसा करते-2 उसके हाथों ने फिर से वो बटन खोल दिए जो रजनी ने कुछ देर पहले लगाए थे..
और इस बार रजनी चाह कर भी उसे रोकना नही चाहती थी...क्योंकि उसकी योनि पूरी भीग कर नीचे की चादर को गीला कर रही थी.
रजनी ने अजय के हाथों को पकड़ लिया और उनपर दबाव डालकर अपनी छातियों को और ज़ोर से दबवा लिया...
ऐसा करते हुए उसके दिल की धड़कन और तेज हो गयी जिसे अजय सॉफ महसूस कर पा रहा था...अजय बेड के साइड में खड़ा हुआ ये सब कर रहा था...उसने अपने लंड वाला हिस्सा धीरे-2 रजनी के कंधे पर रगड़ना शुरू कर दिया...खड़े लंड की महक और स्पर्श इतने करीब से मिलता देखकर रजनी के अंदर की भूखी औरत जाग उठी...उसने एक नज़र अपनी बेटी को देखा जो पहले की तरह खर्राटे भरने लगी थी और फिर गर्दन घूमाकर अजय की तरफ की और उसके पायजामे के उपर से ही उसने उसके खड़े हुए लंड को दांतो के बीच दबोच लिया..
''आआआआआआहह धीरे.....''
उनके दाँत सच में तेज थे काफ़ी...कपड़े को भेदकर स्किन पर महसूस हो रहे थे.
अजय ने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को उनके मुँह से निकलवाया और फिर अपना पयज़ामा नीचे करके अपना नंगा लंड उन्हे परोस दिया..
और जैसे ही वो रजनी के मुँह से टकराया,उसने बिना किसी देरी के उसे निगल लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी.
कुछ देर पहले तक अपनी शर्तें गिनवा रही रजनी अब बावली सी होकर अजय के लंड को चूस रही थी.
अजय भी अपनी आँखे बंद किए अपनी सास के गर्म मुँह को अपने लंड पर महसूस करता हुआ उनके मुम्मे दबा रहा था...
अजय तो काफ़ी देर से उत्तेजित था, इसलिए उसे देर नही लगी झड़ने में ...रजनी के तजुर्बेकार होंठों के सामने वैसे भी वो ज़्यादा देर तक टिक नही पाया...और भरभराकर उनके मुँह के अंदर झड़ गया.
''आआआआआआआआआआहह ओह मों ................. एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... पी जाओ सारा का सारा......''
अपने दामाद की बात एक सास भला कैसे ठुकरा सकती है, उसने वो सारी दही पी डाली.
अजय हांफता हुआ अपनी सास के उपर गिर गया...और उन्हे बिस्तर पर लिटा कर उनके दोनो तरफ टांगे कर ली और अपने होंठों को उनके होंठों पर लगा कर चूसने लगा.
उसे एक पल के लिए भी नहीं लगा की वो अपनी सास को चूम रहा है...ऐसा लग रहा था जैसे वो प्राची ही है...दोनो के होंठों की नर्माहट और स्मेल लगभग एक जैसी ही थी..पर दोनो के चूसने में काफ़ी फ़र्क था...रजनी थोड़ा ज़्यादा ही ज़ोर से चूस रही थी...और ऐसा करना हर मर्द को अच्छा फील करवाता है...अजय ने भी अपने आप को अपनी सास के हवाले छोड़ दिया और वो भूखी लोमड़ी की तरह उसके होंठों को .-चूस्कर उनका रस निगल रही थी.
वो अपनी सास की जांघों को सहलाते हुए ये बातें बड़े प्यार से उन्हे समझा रहा था..
एक तो उसकी बातों का जादू और दूसरा समझाने का ये तरीका...रजनी तो पिघलती चली गयी अपने दामाद की लच्छेदार बातें सुनकर...
वो सोचने लगी...और अजय के हाथ धीरे-2 उपर खिसकने लगे..और आग की भट्टी के बिल्कुल करीब पहुँचकर तो उससे रहा ही नही गया और उसने अपना पंजा आगे करते हुए अपनी सास की चूत को दबोच लिया..रजनी ने सिसकारी मारते हुए उसकी तरफ दयनीय दृष्टि से देखा पर वो जानती थी की अब ये मानने वाला नही है...गर्म तो वो भी हो रही थी...उसकी चूत से निकल रही गर्मी को महसूस करके ये बात अजय अच्छी तरह से जान चुका था.
रजनी (धीरे से) : "अच्छा ..ठीक है...पर एकदम से ये सब तुम्हारे साथ करना मुझे कुछ ठीक नही लग रहा...धीरे-2 ही आगे बढ़ना तुम...मेरे कहे अनुसार...अगर मुझे ठीक लगता गया तो मैं तुम्हे अगली बार थोड़ा और आगे बढ़ने का मौका दूँगी...वरना नही...''
अब ऐसी शर्त रखकर कुछ मिलने वाला तो नही था रजनी को...और ना ही अजय रुकने वाला था ऐसी बंदिशों को सुनकर...पर फिर भी इस खेल को धीरे-2 आगे बढ़ाने की सोचकर उसके अंदर भी रोमांच भर गया...और उसने हाँ कर दी.
अजय : "ठीक है...जैसा आप कहो...मुझे कोई प्रॉब्लम नही है...
इतना कहकर उसने रजनी का हाथ पकड़ा और अपने कमरे में चलने के लिए कहा..पर रजनी ने मना कर दिया और बोली : "नही...जो करना है,यही कर लो...प्राची की नींद फिर से खुल गयी तो मुश्किल हो जाएगी...एक ही रात में दूसरी बार मुझे तुम्हारे कमरे में एकसाथ देखकर वो सब समझ जाएगी...''
प्राची का तो बहाना था, वो वहीं रुकने की बात इसलिए कर रही थी क्योंकि वो नही चाहती थी की अजय अपनी हद से आगे बड़े ...प्राची के होते हुए वो वैसे भी कुछ भी ज़्यादा करने से रहा ....इसलिए वो उसी कमरे मे रुकने की ज़िद कर रही थी.
और अजय भी इतना भोंदू तो था नही जो इस बात को ना समझता...वैसे तो उसी कमरे में रुककर कुछ मस्ती करने की बात उसे रोमांचित कर रही थी क्योंकि अपनी पत्नी के होते हुए वो उसकी माँ के साथ जो काम करने वाला था उसमे ख़तरा तो था पर ये ख़तरा उठाने के लिए भी वो तैयार था...
अजय मुस्कुराता हुआ वहीँ रुक गया और आगे बढ़कर उसने अपने हाथ सीधा अपनी सास की ब्रेस्ट पर रख दिए...और उसके हाथ को महसूस करते ही रजनी की आँखे बंद हो गयी...और वो धीरे से सिसक उठी..
उम्म्म्मममममममम...... धीरे अजय...धीरे...
पर अजय ने कभी कोई काम धीरे किया है जो आज कर देता...वो तो अपनी सास के फूले हुए बूब्स को ज़ोर-2 से दबा कर उनमे और हवा भर रहा था...और ऐसा करते-2 उसके हाथों ने फिर से वो बटन खोल दिए जो रजनी ने कुछ देर पहले लगाए थे..
और इस बार रजनी चाह कर भी उसे रोकना नही चाहती थी...क्योंकि उसकी योनि पूरी भीग कर नीचे की चादर को गीला कर रही थी.
रजनी ने अजय के हाथों को पकड़ लिया और उनपर दबाव डालकर अपनी छातियों को और ज़ोर से दबवा लिया...
ऐसा करते हुए उसके दिल की धड़कन और तेज हो गयी जिसे अजय सॉफ महसूस कर पा रहा था...अजय बेड के साइड में खड़ा हुआ ये सब कर रहा था...उसने अपने लंड वाला हिस्सा धीरे-2 रजनी के कंधे पर रगड़ना शुरू कर दिया...खड़े लंड की महक और स्पर्श इतने करीब से मिलता देखकर रजनी के अंदर की भूखी औरत जाग उठी...उसने एक नज़र अपनी बेटी को देखा जो पहले की तरह खर्राटे भरने लगी थी और फिर गर्दन घूमाकर अजय की तरफ की और उसके पायजामे के उपर से ही उसने उसके खड़े हुए लंड को दांतो के बीच दबोच लिया..
''आआआआआआहह धीरे.....''
उनके दाँत सच में तेज थे काफ़ी...कपड़े को भेदकर स्किन पर महसूस हो रहे थे.
अजय ने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को उनके मुँह से निकलवाया और फिर अपना पयज़ामा नीचे करके अपना नंगा लंड उन्हे परोस दिया..
और जैसे ही वो रजनी के मुँह से टकराया,उसने बिना किसी देरी के उसे निगल लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी.
कुछ देर पहले तक अपनी शर्तें गिनवा रही रजनी अब बावली सी होकर अजय के लंड को चूस रही थी.
अजय भी अपनी आँखे बंद किए अपनी सास के गर्म मुँह को अपने लंड पर महसूस करता हुआ उनके मुम्मे दबा रहा था...
अजय तो काफ़ी देर से उत्तेजित था, इसलिए उसे देर नही लगी झड़ने में ...रजनी के तजुर्बेकार होंठों के सामने वैसे भी वो ज़्यादा देर तक टिक नही पाया...और भरभराकर उनके मुँह के अंदर झड़ गया.
''आआआआआआआआआआहह ओह मों ................. एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... पी जाओ सारा का सारा......''
अपने दामाद की बात एक सास भला कैसे ठुकरा सकती है, उसने वो सारी दही पी डाली.
अजय हांफता हुआ अपनी सास के उपर गिर गया...और उन्हे बिस्तर पर लिटा कर उनके दोनो तरफ टांगे कर ली और अपने होंठों को उनके होंठों पर लगा कर चूसने लगा.
उसे एक पल के लिए भी नहीं लगा की वो अपनी सास को चूम रहा है...ऐसा लग रहा था जैसे वो प्राची ही है...दोनो के होंठों की नर्माहट और स्मेल लगभग एक जैसी ही थी..पर दोनो के चूसने में काफ़ी फ़र्क था...रजनी थोड़ा ज़्यादा ही ज़ोर से चूस रही थी...और ऐसा करना हर मर्द को अच्छा फील करवाता है...अजय ने भी अपने आप को अपनी सास के हवाले छोड़ दिया और वो भूखी लोमड़ी की तरह उसके होंठों को .-चूस्कर उनका रस निगल रही थी.