25-05-2022, 04:21 PM
सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराने के बाद हम पांचों, जिनमें दीपक और उसकी दोनों बहनें व मैं और अनु दीदी थे, ने अन्दर के एक कमरे में डेरा डाल दरवाजा बंद कर दिया.
फिर रंजू को नए मकान में माहौल की खोज खबर ले करके आने को बोला गया.
दीपक भाई अनु को देखते ही पहली नज़र से फिदा हुए पड़े थे. उसके साथ सेल्फी पोज दिए जा रहे थे.
रीना दीदी के घाघरा चोली के साथ मैंने भी कुछ सेल्फी क्लिक किए.
हम पांचों गर्म हुए पड़े थे. सभी सेल्फी पोज लेने में लगे थे. कोई कमर पर हाथ लपेटे हुए, कोई सीने पर सिर रख कर, कोई गोद में बैठकर गलबहियां डाले, कोई किस करते हुए, कोई दोनों जोबनों को पकड़ कर प्रेमी प्रेमिका की तरह फोटो खींच रहे थे.
दीपक ने तो उस वक्त एक पोज में हद ही कर दी थी, जब उसने अनु दीदी और रीना दीदी दोनों को अपनी जांघों पर बैठा कर सेल्फी क्लिक किया.
अनु दीदी किसी अप्सरा सी लगती थीं, सुंदरता में रंजू और रीना दीदी भी कम नहीं थीं. दीपू भाई बग़ल से बार बार अनु दीदी की चूचियों को छूने की असफल कोशिश कर रहे थे.
उसकी ये हरकत देख कर रीना दीदी हंस पड़ी थीं.
तभी रंजू खबर लेकर आई कि फूफा जी की मजलिस में शामिल सभी लेडी और जेंटलमैन गेम खेलने में लगे हैं.
मैंने रंजू को पकड़ कुछ सेल्फी क्लिक किए. उसकी 34 नाप की चुचियों की नोंके उसके टॉप में से ऐसी उठी हुई लग रही थीं, जैसे टॉप कप फाड़ कर उसमें छेद ही कर देंगी.
उसकी बड़े से चूतड़ जींस फाड़ कर बाहर निकल आने को बेताब दिख रहे थे.
मैंने बिना किसी हिचक के उसे भींच कर पकड़ लिया और बांहों में भर कर उसके नरम और सुर्ख लाल होंठों को चूसने लगा.
मुझे उसकी दोनों चूचियों के कठोर स्पर्श सीने में महसूस हो रहे थे.
कमरे में पुराने दो तख्त पर बिस्तर पड़े थे. मैंने एक पर रंजू को पकड़ कर गिरा दिया और खुद भी उसके ऊपर गिर गया.
यह अजीब हरक़त देख अनु दीदी ने मुझ पर आंखें तरेर दीं.
यूं भाई बहन को लिपटते देख अनु दीदी कमरे का खुला दरवाजा बंद कर अधिकार जताने जैसे भाव में हमारे बगल में बैठ गईं.
दोनों बहनों को मैं पहले चोद चुका था. ये बात अनु दीदी को अभी तक नहीं मालूम थी. इसलिए उनकी मनोदशा को भांपते हुए मैंने उन्हें गोद में खींच कर बताया कि ये दोनों मुझसे चुदाई करा चुकी हैं.
मैंने अनु दीदी को बांहों में भर कर चूम लिया. किसी मादक हसीना की तरह उन्होंने खुद को हमारे हवाले कर दिया था.
बगल में औंधे मुँह गिरी रंजू से मैंने धीरे से कहा- लो तुम अनु दीदी को नंगी कर दो.
लेकिन उसको इस काम में मानो लेने के देने पड़ रहे थे. वो अनु दीदी को नंगी न कर सकी. अनु दीदी की ताकत के आगे रंजू पिलपिली पड़ गई थी.
इधर मैंने रंजू के दोनों 34 साइज के चुचों को पकड़ा और उन्हें मसलता और होंठों को चबाता रहा.
रंजू किसी पुरुष की तरह अनु दीदी पर सवार होकर अब चुम्बन चाटन करने लगी.
बलिष्ठ शरीर की अनु दीदी ने रंजू के साथ मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया.
रंजू का दूधिया जिस्म कमरे की रोशनी में किसी संगमरमर की तरह चमक रहा था.
नंगी होने के बाद रंजू, अनु दीदी के गाउन के नीचे मुँह डाल उनकी चुत को नंगी करने की असफल कोशिश कर रही थी.
दीपक अनु दीदी को चोदना चाहता था, इसलिए मैंने दीपक को अनु दीदी की च़ुदाई का इशारा कर दिया. तथा दीपू के साथ चिपक कर फोरप्ले करती रीना को पकड़ कर मैं बिस्तर पर खींच लाया और धीरे धीरे मैं रीना दीदी को चूमते चूसते, उनके एक एक कपड़े को उनके मदमस्त जिस्म से अलग करता रहा.
फिर रंजू को नए मकान में माहौल की खोज खबर ले करके आने को बोला गया.
दीपक भाई अनु को देखते ही पहली नज़र से फिदा हुए पड़े थे. उसके साथ सेल्फी पोज दिए जा रहे थे.
रीना दीदी के घाघरा चोली के साथ मैंने भी कुछ सेल्फी क्लिक किए.
हम पांचों गर्म हुए पड़े थे. सभी सेल्फी पोज लेने में लगे थे. कोई कमर पर हाथ लपेटे हुए, कोई सीने पर सिर रख कर, कोई गोद में बैठकर गलबहियां डाले, कोई किस करते हुए, कोई दोनों जोबनों को पकड़ कर प्रेमी प्रेमिका की तरह फोटो खींच रहे थे.
दीपक ने तो उस वक्त एक पोज में हद ही कर दी थी, जब उसने अनु दीदी और रीना दीदी दोनों को अपनी जांघों पर बैठा कर सेल्फी क्लिक किया.
अनु दीदी किसी अप्सरा सी लगती थीं, सुंदरता में रंजू और रीना दीदी भी कम नहीं थीं. दीपू भाई बग़ल से बार बार अनु दीदी की चूचियों को छूने की असफल कोशिश कर रहे थे.
उसकी ये हरकत देख कर रीना दीदी हंस पड़ी थीं.
तभी रंजू खबर लेकर आई कि फूफा जी की मजलिस में शामिल सभी लेडी और जेंटलमैन गेम खेलने में लगे हैं.
मैंने रंजू को पकड़ कुछ सेल्फी क्लिक किए. उसकी 34 नाप की चुचियों की नोंके उसके टॉप में से ऐसी उठी हुई लग रही थीं, जैसे टॉप कप फाड़ कर उसमें छेद ही कर देंगी.
उसकी बड़े से चूतड़ जींस फाड़ कर बाहर निकल आने को बेताब दिख रहे थे.
मैंने बिना किसी हिचक के उसे भींच कर पकड़ लिया और बांहों में भर कर उसके नरम और सुर्ख लाल होंठों को चूसने लगा.
मुझे उसकी दोनों चूचियों के कठोर स्पर्श सीने में महसूस हो रहे थे.
कमरे में पुराने दो तख्त पर बिस्तर पड़े थे. मैंने एक पर रंजू को पकड़ कर गिरा दिया और खुद भी उसके ऊपर गिर गया.
यह अजीब हरक़त देख अनु दीदी ने मुझ पर आंखें तरेर दीं.
यूं भाई बहन को लिपटते देख अनु दीदी कमरे का खुला दरवाजा बंद कर अधिकार जताने जैसे भाव में हमारे बगल में बैठ गईं.
दोनों बहनों को मैं पहले चोद चुका था. ये बात अनु दीदी को अभी तक नहीं मालूम थी. इसलिए उनकी मनोदशा को भांपते हुए मैंने उन्हें गोद में खींच कर बताया कि ये दोनों मुझसे चुदाई करा चुकी हैं.
मैंने अनु दीदी को बांहों में भर कर चूम लिया. किसी मादक हसीना की तरह उन्होंने खुद को हमारे हवाले कर दिया था.
बगल में औंधे मुँह गिरी रंजू से मैंने धीरे से कहा- लो तुम अनु दीदी को नंगी कर दो.
लेकिन उसको इस काम में मानो लेने के देने पड़ रहे थे. वो अनु दीदी को नंगी न कर सकी. अनु दीदी की ताकत के आगे रंजू पिलपिली पड़ गई थी.
इधर मैंने रंजू के दोनों 34 साइज के चुचों को पकड़ा और उन्हें मसलता और होंठों को चबाता रहा.
रंजू किसी पुरुष की तरह अनु दीदी पर सवार होकर अब चुम्बन चाटन करने लगी.
बलिष्ठ शरीर की अनु दीदी ने रंजू के साथ मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया.
रंजू का दूधिया जिस्म कमरे की रोशनी में किसी संगमरमर की तरह चमक रहा था.
नंगी होने के बाद रंजू, अनु दीदी के गाउन के नीचे मुँह डाल उनकी चुत को नंगी करने की असफल कोशिश कर रही थी.
दीपक अनु दीदी को चोदना चाहता था, इसलिए मैंने दीपक को अनु दीदी की च़ुदाई का इशारा कर दिया. तथा दीपू के साथ चिपक कर फोरप्ले करती रीना को पकड़ कर मैं बिस्तर पर खींच लाया और धीरे धीरे मैं रीना दीदी को चूमते चूसते, उनके एक एक कपड़े को उनके मदमस्त जिस्म से अलग करता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
