25-05-2022, 04:20 PM
कॉलेज के प्रथम वर्ष में गर्मियों की छुट्टी में मैं मौसी के घर पर गया था, जहां मुझसे एक साल बड़ी अनु दीदी क़ी कोरी मस्त जवानी देख कर मैं मतवाला हो गया था.
दीदी एक स्वछंद माहौल में पली बढ़ी थी.
उनकी मदहोश अनछुई कली के पीछे डोलते मोहल्ले के मनचले भौंरों को देख पहले दिन ही मुझे मालूम हो गया था कि अनु दीदी से अपनी जवानी को ज्यादा समय तक संभाल कर नहीं रखी पाएंगी और कभी भी बाहर सील मुहर तुड़वा लेंगी.
इसलिए मैं घर के माल को घर में ही खुश रखूं, यही सोच कर पहली बार उनकी सील पैक चुत चोद कर दीदी को मैंने मज़ा दे दिया.
उसके बाद से चुदाई का ऐसा चस्का लगा कि वो कभी भी अपनी चुत चुदवाना चाहती हैं तो मुझे याद कर लेती हैं और मैं अनु दीदी के गदराये जवां बदन की हरदम सेवा कर देता हूं.
अनु दीदी के साथ अब तो हालात ये हो गए थे कि हम दोनों एक-दूसरे के बिना एक हफ्ते भी नहीं झेल पाते थे.
अपने 34-30-36 के गदराए बदन वाली मेरी अनु दीदी की चाल अब पहले से ज्यादा मतवाली हो गई थी.
उनकी बलखाती कमर और चूतड़ों में पैदा होती थिरकन, युवाओं और भूतपूर्व युवाओं को भी गजब का आकर्षित करने सक्षम थी.
इसी क्रम में एक दूसरी सच्ची घटना के साथ मैं भोगू आपकी सेवा में हाज़िर हूं.
वो घटना तब हुई थी, जब अनु दीदी ने मुझसे बुआ के घर जाने की ख्वाहिश जाहिर की थी. मुझे जहां दीपक भाई, रीना और रंजू नाम की दोनों बहनों … साथ ही अनु दीदी की चौकड़ी के साथ रंगरेलियां मनाने का अवसर मिला था.
ये मुझे जिंदगी भर याद रहने वाली घटना थी और ये कजिन सेक्स कहानी आपके सामने परोस रहा हूँ.
दीपक यानि दीपू के जन्मदिवस के आमंत्रण पर 23 दिसम्बर को मैं मौसी के घर से निकला. मैं अनुष्का यानि अनु दीदी और मुन्ना भाई को लेकर अपनी बुआ के घर गया था.
दीपू भाई अपनी बहनों रंजू और रीना के साथ जन्मदिन की पार्टी की तैयारियों में जुटे हुए थे.
हम लोगों के वहां पहुंचने पर घर में अतिउत्साह और उल्लास का माहौल बन गया था.
सभी बहुत खुश हो गए.
फूफाजी ने पुराने मकान के साथ पड़ी खाली जमीन पर और कमरे बनवा कर अपने मकान को बहुत सुंदर और बड़ा बना लिया था.
बर्थडे स्पेशल पार्टी इसी नए मकान में होनी थी. जिसको लेकर जबरदस्त व्यवस्था की गई थी.
दीपक की पच्चीसवीं बर्थ-डे पार्टी में काफी लोग थे. मोहल्ले और रिश्तेदारों को मिला कर तकरीबन सत्तर मेहमान एकत्र हो गए थे.
पार्टी में मेरी खोजी नज़र में परियों का जमघट लगा था, जनके मदमाते हुस्न ने पार्टी के वातावरण को काफी सेक्सी बना दिया था.
मेरी नज़रें किसी नई लौंडिया को तलाश रही थीं, जो मोहल्ले में सबसे चर्चित हो.
हालांकि घर में तीन परियां मौजूद थीं, फिर भी चौथी की तलाश जारी थी.
मगर कोई बात नहीं जम सकी.
शाम होते ही केक काटा गया और शुरू हुई पार्टी, देर रात तक जारी रही. खाना खाने के साथ जमकर डांस भी हुआ.
चोरी छुपे सैम्पेन भी खुल गई थी, जिसमें लड़कियों ने भी हाथ मारे.
पार्टी में अनु दीदी ने दोनों बहनों के साथ अपने हुस्न का तड़का लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
उनके साथ मोहल्ले की अनीशा, गुलनाज, परिणीति, अलीशा, शहनाज़, बिलौरी, चित्रांगदा, फातिमा, सनाया और भी कई परियां शामिल रही थीं.
अब सीधे मुख्य घटना पर आते हैं.
रीना दीदी का 36-32-38 का फिगर, आकर्षक लंहग चोली कयामत ढा रहा था. ऊपर से रंजू का 34-30-36 का हाहाकारी फिगर उसकी जींस-टॉप में मस्त लग रहा था.
तीसरी कयामत के रूप में अनु दीदी का नशीला बदन एक पारदर्शी गाउन में लड़कों के तनबदन में आग लगा रहा था.
पार्टी में एक से एक लौंडियां जुटी थीं, पर मेरी सैटिंग अपने घर के अलावा कोई दूसरी से नहीं थी.
इसलिए आज की रात अपनी सैटिंगों से ही रंगीन हो जाएगा, ये सोच कर मेरा मन खुश हो रहा था.
पार्टी में डिनर के बाद बुआ ने सभी बच्चों के लिए पुराने मकान में सोने के लिए व्यवस्था कर दी थी.
बाकी लोगों को नए मकान में सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी.
मुन्ना भाई नए मकान में रह गया था.
हम सब अब सिर्फ़ चुदाई करने के ख्याल वाले ही रहे थे, लेकिन संख्या ज्यादा देख कर मेरा दिल बैठने लगा था कि चुदाई समारोह कैसे होगा.
खैर … हम लोगों का रुख पुराने मकान की तरफ़ हुआ. दोनों मकानों के बीच लकड़ी का बड़ा दरवाजा था, अन्दर जाते समय उसे बंद कर दिया, जो नए मकान से पुराने मकान को अलग करता था. दरवाजा बंद हो गया था … अब न कोई उधर से आ सकता … और न ही इधर से कोई जा सकता था.
मैंने और रीना दीदी ने सभी युवाओं को नियत स्थान पर सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराई.
दीदी एक स्वछंद माहौल में पली बढ़ी थी.
उनकी मदहोश अनछुई कली के पीछे डोलते मोहल्ले के मनचले भौंरों को देख पहले दिन ही मुझे मालूम हो गया था कि अनु दीदी से अपनी जवानी को ज्यादा समय तक संभाल कर नहीं रखी पाएंगी और कभी भी बाहर सील मुहर तुड़वा लेंगी.
इसलिए मैं घर के माल को घर में ही खुश रखूं, यही सोच कर पहली बार उनकी सील पैक चुत चोद कर दीदी को मैंने मज़ा दे दिया.
उसके बाद से चुदाई का ऐसा चस्का लगा कि वो कभी भी अपनी चुत चुदवाना चाहती हैं तो मुझे याद कर लेती हैं और मैं अनु दीदी के गदराये जवां बदन की हरदम सेवा कर देता हूं.
अनु दीदी के साथ अब तो हालात ये हो गए थे कि हम दोनों एक-दूसरे के बिना एक हफ्ते भी नहीं झेल पाते थे.
अपने 34-30-36 के गदराए बदन वाली मेरी अनु दीदी की चाल अब पहले से ज्यादा मतवाली हो गई थी.
उनकी बलखाती कमर और चूतड़ों में पैदा होती थिरकन, युवाओं और भूतपूर्व युवाओं को भी गजब का आकर्षित करने सक्षम थी.
इसी क्रम में एक दूसरी सच्ची घटना के साथ मैं भोगू आपकी सेवा में हाज़िर हूं.
वो घटना तब हुई थी, जब अनु दीदी ने मुझसे बुआ के घर जाने की ख्वाहिश जाहिर की थी. मुझे जहां दीपक भाई, रीना और रंजू नाम की दोनों बहनों … साथ ही अनु दीदी की चौकड़ी के साथ रंगरेलियां मनाने का अवसर मिला था.
ये मुझे जिंदगी भर याद रहने वाली घटना थी और ये कजिन सेक्स कहानी आपके सामने परोस रहा हूँ.
दीपक यानि दीपू के जन्मदिवस के आमंत्रण पर 23 दिसम्बर को मैं मौसी के घर से निकला. मैं अनुष्का यानि अनु दीदी और मुन्ना भाई को लेकर अपनी बुआ के घर गया था.
दीपू भाई अपनी बहनों रंजू और रीना के साथ जन्मदिन की पार्टी की तैयारियों में जुटे हुए थे.
हम लोगों के वहां पहुंचने पर घर में अतिउत्साह और उल्लास का माहौल बन गया था.
सभी बहुत खुश हो गए.
फूफाजी ने पुराने मकान के साथ पड़ी खाली जमीन पर और कमरे बनवा कर अपने मकान को बहुत सुंदर और बड़ा बना लिया था.
बर्थडे स्पेशल पार्टी इसी नए मकान में होनी थी. जिसको लेकर जबरदस्त व्यवस्था की गई थी.
दीपक की पच्चीसवीं बर्थ-डे पार्टी में काफी लोग थे. मोहल्ले और रिश्तेदारों को मिला कर तकरीबन सत्तर मेहमान एकत्र हो गए थे.
पार्टी में मेरी खोजी नज़र में परियों का जमघट लगा था, जनके मदमाते हुस्न ने पार्टी के वातावरण को काफी सेक्सी बना दिया था.
मेरी नज़रें किसी नई लौंडिया को तलाश रही थीं, जो मोहल्ले में सबसे चर्चित हो.
हालांकि घर में तीन परियां मौजूद थीं, फिर भी चौथी की तलाश जारी थी.
मगर कोई बात नहीं जम सकी.
शाम होते ही केक काटा गया और शुरू हुई पार्टी, देर रात तक जारी रही. खाना खाने के साथ जमकर डांस भी हुआ.
चोरी छुपे सैम्पेन भी खुल गई थी, जिसमें लड़कियों ने भी हाथ मारे.
पार्टी में अनु दीदी ने दोनों बहनों के साथ अपने हुस्न का तड़का लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
उनके साथ मोहल्ले की अनीशा, गुलनाज, परिणीति, अलीशा, शहनाज़, बिलौरी, चित्रांगदा, फातिमा, सनाया और भी कई परियां शामिल रही थीं.
अब सीधे मुख्य घटना पर आते हैं.
रीना दीदी का 36-32-38 का फिगर, आकर्षक लंहग चोली कयामत ढा रहा था. ऊपर से रंजू का 34-30-36 का हाहाकारी फिगर उसकी जींस-टॉप में मस्त लग रहा था.
तीसरी कयामत के रूप में अनु दीदी का नशीला बदन एक पारदर्शी गाउन में लड़कों के तनबदन में आग लगा रहा था.
पार्टी में एक से एक लौंडियां जुटी थीं, पर मेरी सैटिंग अपने घर के अलावा कोई दूसरी से नहीं थी.
इसलिए आज की रात अपनी सैटिंगों से ही रंगीन हो जाएगा, ये सोच कर मेरा मन खुश हो रहा था.
पार्टी में डिनर के बाद बुआ ने सभी बच्चों के लिए पुराने मकान में सोने के लिए व्यवस्था कर दी थी.
बाकी लोगों को नए मकान में सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी.
मुन्ना भाई नए मकान में रह गया था.
हम सब अब सिर्फ़ चुदाई करने के ख्याल वाले ही रहे थे, लेकिन संख्या ज्यादा देख कर मेरा दिल बैठने लगा था कि चुदाई समारोह कैसे होगा.
खैर … हम लोगों का रुख पुराने मकान की तरफ़ हुआ. दोनों मकानों के बीच लकड़ी का बड़ा दरवाजा था, अन्दर जाते समय उसे बंद कर दिया, जो नए मकान से पुराने मकान को अलग करता था. दरवाजा बंद हो गया था … अब न कोई उधर से आ सकता … और न ही इधर से कोई जा सकता था.
मैंने और रीना दीदी ने सभी युवाओं को नियत स्थान पर सोने की व्यवस्था उपलब्ध कराई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.